पश्चिम बंगाल में आंखों की बीमारी ‘जॉय बांग्ला’ एक बार फिर से लौट आई है. यह बीमारी कोई नई नहीं है. इससे पहले भी सिलीगुड़ी और प्रदेश में बच्चों और बड़ो को प्रभावित करती रही है. वर्तमान में सिलीगुड़ी में जॉय बांग्ला के कई मामले देखे जा रहे हैं. इससे बच्चे और बड़े सभी प्रभावित हो रहे हैं. बच्चों में जॉय बांग्ला के अधिकतर मामले देखे जा रहे हैं.
पश्चिम बंगाल के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों दिल्ली, एनसीआर इत्यादि में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है. इस बीमारी में आंखें लाल और गुलाबी हो जाती है. आंखों में खुजली और दर्द रहता है. संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 5-6 दिनो तक बीमारी के लक्षण रह सकते हैं. उसके बाद यह बीमारी अपने आप ठीक भी हो जाती है. हालांकि जॉय बांग्ला कोई जानलेवा नहीं है. परंतु आंखों पर इसका बुरा असर पड़ता है.
जॉय बांग्ला की उत्पत्ति के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ और बारिश के बाद आंखों की बीमारी उत्पन्न होती है. इसको कंजेक्टिवाइटिस कहते हैं. यह एक संक्रामक रोग है. लेकिन यह बीमारी आई कांटेक्ट से नहीं फैलती है. जैसा कि लोगों की धारणा है. पिछली बार जॉय बांग्ला के समय लोग संक्रमित व्यक्ति की आंख में नहीं देखते थे. इस डर से कि कहीं उन्हें भी संक्रमण ना हो जाए. डॉक्टर कहते हैं कि आई कांटेक्ट से यह बीमारी नहीं फैलती. बल्कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों के इस्तेमाल से ही यह बीमारी फैलती है.
आंखों की यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है.सिलीगुड़ी और कोलकाता में जॉय बांग्ला से अनेक बच्चे और बड़े ग्रसित हुए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार एडिनोवायरस के नए स्ट्रेन के कारण ही यह बीमारी उत्पन्न हुई है. बच्चों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. इसमें आंखों से पानी भी निकलता है. आंखें लाल हो जाती हैं. दिल्ली में बाढ़ से प्रभावित लोगों के शरणार्थी कैंपों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने इसकी पुष्टि भी की है.
विशेषज्ञ और डॉक्टर जय बांग्ला से बचाव के लिए सभी उम्र के व्यक्तियों खासकर बच्चों को बार बार हाथ धोने की बात कहते हैं. उनके अनुसार आंख बार-बार नहीं छूना चाहिए. संक्रमित व्यक्ति के तोलिया, बिस्तर, रुमाल आदि शेयर ना करें और डॉक्टर को दिखाकर उपचार शुरू कर दें. यह कोई गंभीर रोग नहीं है. रोग का बचाव करने पर मरीज जल्दी ही ठीक हो जाता है.