सिलीगुड़ी और पूरे प्रदेश में SIR का काम जोरों से चल रहा है. बहुत से लोग ऑनलाइन फॉर्म भर रहे हैं. जबकि कई लोग ऑफलाइन फॉर्म भर कर बीएलओ के सुपुर्द कर रहे हैं. जो लोग ऑनलाइन SIR फॉर्म भर रहे हैं, उनके लिए कुछ सावधानियों का पालन करना जरूरी है, अन्यथा आपके साथ बहुत बड़ा धोखा हो सकता है!
देश के 12 राज्यों में फिलहाल SIR चल रहा है. उनमें पश्चिम बंगाल भी एक है. SIR फॉर्म को अपलोड करने को लेकर इस समय मतदाताओं के साथ साइबर ठगी की घटनाएं भी बढ़ गई हैं. मध्य प्रदेश, केरल, राजस्थान से लेकर बंगाल में भी कई मतदाताओं के साथ ठगी की घटनाएं बढ़ी हैं. साइबर ठग SIR फॉर्म अपलोड करने के क्रम में मतदाताओं से उनके मोबाइल पर आए ओटीपी नंबर पूछ रहे हैं और SIR एपीके डलवाने के नाम पर मतदाताओं से छल कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में इस तरह की बढ़ती घटनाओं के बीच राज्य चुनाव आयुक्त ने इसका संज्ञान लिया है. राज्य चुनाव आयुक्त मनोज अग्रवाल के कार्यालय से पहले ही इस संबंध में राज्य के मतदाताओं को जागरुक करते हुए एक अधिसूचना प्रकाशित की गई है. इसमें साफ कहा गया है कि मतदाता SIR फार्म अपलोड करते समय किसी को भी ओटीपी ना बताएं और अपने मोबाइल से ही फॉर्म डाउनलोड करें.
राज्य चुनाव आयोग ने राज्य के लोगों को नसीहत दी है कि किसी भी सरकारी संस्था की ओर से मतदाताओं से उनके मोबाइल पर आए ओटीपी अथवा पिन नंबर को नहीं पूछा जाता है. इसलिए उन्हें सावधान हो जाने की जरूरत है. अगर कोई आपसे ओटीपी नंबर मांगता है तो सावधान हो जाएं. वह व्यक्ति साइबर ठग हो सकता है. जो आपका ओटीपी नंबर जानकर नकली एपीके फाइल डाउनलोड करने की सलाह दे सकता है और इस तरह से वह आपके वित्तीय प्रबंधन को हाईजैक कर सकता है.
अधिकारियों ने साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कुछ उपाय बताएं हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है. अगर आपने सावधानी नहीं बरती तो वे आपके मोबाइल नंबर को अपने नियंत्रण में कर सकते हैं. वे आपके मोबाइल में वायरस डाल सकते हैं और आपके यूपीआई पिन को भी चुरा सकते हैं और इस तरह से आपका बैंक अकाउंट खाली कर सकते हैं.
अगर कोई अनजान व्यक्ति आपसे ओटीपी नंबर मांगता है तो उसे कदापि न बताएं और कह दें कि वह अपने इलाके के बीएलओ से संपर्क करेगा और बीएलओ को ही बताएगा. अगर फोन करने वाला धमकी देता है अथवा कुछ इस तरह से बात करता है कि अगर आपने तत्काल ऐसा नहीं किया तो आपका बड़ा नुकसान हो सकता है, तो भी आप भूल कर उसकी बातों में ना आए. उसे ओटीपी नहीं बताएं. कोई भी सरकारी संस्था कभी भी अपने उपभोक्ता से ओटीपी नंबर, पिन नंबर, मैसेज, गुप्त जानकारी आदि या व्यक्तिगत विवरण की जानकारी फोन पर नहीं मांग सकती है.
साइबर फ्रॉड सरकारी लोगो अथवा प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए लोगों को धोखा भी हो रहा है. उन पर भरोसा करके लोग नकली ऐप डाउनलोड कर रहे हैं और छले जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई है. उसके बाद साइबर फ्रॉड ने बंगाल के लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है. चुनाव आयुक्त ने कहा है कि अपने मोबाइल का इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षित है. लेकिन किसी अजनबी को ओटीपी नंबर बताना खतरनाक है.
इसलिए आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. अगर असमंजस की स्थिति बढ़ जाए तो आप पुलिस से संपर्क कर सकते हैं. ध्यान देने की बात है कि अगर किसी तरह साइबर फ्रॉड को आपका ओटीपी नंबर हाथ लग गया तो वह आपसे फर्जी एप्स के जरिए नकली SIR एपीके डाउनलोड करवा सकता है. इस तरह से नकली एपीके फाइल डाउनलोड होने पर इसके जरिए वे आपके यूपीआई पिन नंबर को भी प्राप्त कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में एस आई आर के क्रम में बढती साइबर ठगी की घटनाओं के बाद राज्य चुनाव आयुक्त मनोज अग्रवाल ने प्रदेश के लोगों को सावधान किया है!

