लोकसभा चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल चुनाव जीतने की रणनीति तैयार करता है. दार्जिलिंग लोकसभा सीट पिछले तीन पारियों से भाजपा जीतती रही है. लेकिन इस बार भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहाड़ के लोगों पर कृपा बरसा रही है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी भी अपने दरबार में विनय तमांग को महिमा मंडित करके कुछ ऐसा ही एहसास दिला रहे हैं.
जब से विनय तमांग कांग्रेस में शामिल हुए हैं, तभी से ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी विनय तमांग को सर माथे पर बैठाने लगी है. 26 नवंबर 2023 को विनय तमांग कांग्रेस के सदस्य बने थे. उन्हें कांग्रेस की सदस्यता खुद लोकसभा में विरोधी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दिलाई थी. कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते के साथ ही विनय तमांग पहाड़ से निकलकर राष्ट्रीय स्तर के नेता बन चुके हैं. 19 दिसंबर से उनके सितारे बुलंदियों पर हैं.उन्हें दिल्ली में बुलाकर अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया. इतना ही नहीं उन्हें हिल का भी पूरा अधिकार सौंप दिया गया.
निश्चित रूप से विनय तमांग खुद को सौभाग्यशाली समझ रहे होंगे. क्योंकि किसी भी राष्ट्रीय दल में इस मुकाम तक पहुंचने में कार्यकर्ताओं को वर्षों लग जाते हैं. जबकि विनय तमांग को केवल एक महीने में ही सब कुछ मिल गया. अब सवाल यह है कि विनय तमांग के जरिए कांग्रेस पहाड़ में क्या खेल करना चाहती है. 19 दिसंबर को विनय तमांग दिल्ली गये और एक बार फिर से उन्हें 25 दिसंबर को भी दिल्ली बुला लिया गया.
इस बार तो विनय तमांग धन्य हो गए होंगे. क्योंकि पहली बार उन्हें राहुल गांधी से मुलाकात हुई है.उनके साथ फोटो सेशन भी हुआ है. राहुल गांधी के बारे में असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने एक बार कहा था कि राहुल गांधी तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री को भी भाव नहीं देते हैं. ऐसे में विनय तमांग को राहुल गांधी द्वारा अपनी बैठक में शामिल करना और बराबरी का दर्जा देना निश्चित रूप से इसके पीछे उनकी कोई बड़ी मंशा है.
आज विनय तमांग के साथ सुबह सवेरे राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस के दूसरे शीर्ष नेताओं की एक बैठक हो चुकी है. अगली बैठक आज रात होने वाली है. मजे की बात तो यह है कि विनय तमांग के साथ भारतीय गोरखा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर मुनीष तमांग, कालिमपोंग सीपीएम के जोनल सचिव प्रकाश सुब्बा भी साथ में हैं. यहां तक तो ठीक है. लेकिन विनय तमांग के साथ हमरो पार्टी के प्रेसिडेंट अजय एडवर्ड और गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की ओर से महासचिव महेंद्र क्षेत्री का होना जरूर आश्चर्यजनक है. इन नेताओं को दिल्ली किसने बुलाया, यह तो पता नहीं चला है. परंतु इन सभी का एक मंच पर आना कहीं ना कहीं भाजपा के लिए सर दर्द से कम नहीं है.
यह सभी जानते हैं कि गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा भाजपा की बी टीम है.ऐसे में गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा भी कांग्रेस की बैठक में शामिल हो, तो राजनीतिक विश्लेषकों के कान तो खड़े होंगे ही. अजय एडवर्ड तो आज सिलीगुड़ी लौट गए हैं. क्योंकि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है. जो भी हो, विभिन्न दलों के नेता कांग्रेस के साथ और वह भी राहुल गांधी के साथ मीटिंग कर रहे हैं. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि राहुल गांधी विनय तमांग के जरिए पहाड़ पर कृपा बरसा रहे हैं. उनके प्यार और स्नेह को देखते हुए विनय तमांग ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और उनके पूरे परिवार को दार्जिलिंग भ्रमण करने का न्यौता दिया है.
जहां तक दार्जिलिंग लोकसभा सीट से उम्मीदवार देने की बात है, तो कांग्रेस अकेला यह फैसला नहीं कर सकती. पश्चिम बंगाल में कौन दल कितनी सीटों पर लड़ेगा, यह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही तय करेंगी. अगर किसी तरह से गठबंधन नहीं होता है,तो एक मजबूत विकल्प के रूप में विनय तमांग को पेश करने की राहुल गांधी और कांग्रेस की यह रणनीति राजनीतिक हलकों में देखी जा रही है.