हालांकि वर्तमान में सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रो में कुएं नजर नहीं आते. या तो वे सूख गए हैं या फिर उन्हें ढक दिया गया है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कुएं है ही नहीं. सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में आज भी लोग कुएं का पानी पीने और अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं. लोगों की धारणा है कि कुएं का पानी शुद्ध होता है और यह पीने में भी स्वादिष्ट होता है.
यह भी सत्य है कि कुएं का पानी तभी शुद्ध होता है, जब कुएं की नियमित रूप से सफाई की जाती है. उचित सफाई के अभाव में कुएं पानी दूषित हो जाता है.इसलिए जरूरी है कि नियमित रूप से कुएं की साफ सफाई होती रहे. कुएं की साफ सफाई के लिए कारीगरों को बुलाया जाता है. कारीगर कुएं में गहराई में उतर कर कुएं की सफाई करते हैं. यह कार्य काफी जोखिम भरा होता है. कभी-कभी ऑक्सीजन की कमी के कारण गंभीर हादसे हो जाते हैं.
जैसे कि सिलीगुड़ी के नजदीक घोषपुकुर इलाके में आज दिल दहला देने वाली घटना घटी है. पूरा फांसीदेवा क्षेत्र शोक के आवरण में लिपट गया है. यहां एक कुएं की सफाई के क्रम में कुएं के अंदर उतरे कारीगरों को मौत का सामना करना पड़ा. यह घटना फांसी देवा ब्लॉक के घोषपुकुर इलाके की है. यहां बुमरा लाइन इलाके में एक कुएं की सफाई की जा रही थी. इसके लिए कुछ कारीगर बुलाए गए थे. जो कुएं में नीचे उतरकर सफाई कार्य को अंतिम रूप दे रहे थे.
इस समय वैसे ही तापमान काफी उच्च है. ऐसे तापमान में सामान्य रूप से सांस लेने में भी कठिनाई उत्पन्न होती है. जबकि भीषण गर्मी में कुएं में नीचे उतरकर कार्य करना कितना बड़ा जोखिम भरा कदम है. शुरू में तो कारीगरों को सब सामान्य महसूस हुआ. लेकिन उसके बाद से उनकी स्थिति दयनीय होती चली गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्होंने सहायता के लिए आवाज लगाई होगी जरूर, पर शायद किसी ने भी उनकी आवाज नहीं सुनी. इस बीच देर होने पर और जब किसी तरह की आहट महसूस नहीं हुई, तब कुछ लोगों ने कुएं में झांक कर देखा और इसके बाद तो हंगामा मच गया. लोगों ने घोषपुकुर पुलिस चौकी, माटीगाड़ा व सिलीगुड़ी सभी जगह से फायर ब्रिगेड और पुलिस को जानकारी दी. पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे.
अंदर कुएं में दो कारीगर अचेत पड़े थे. पुलिस और अग्निशमन विभाग के लोगों ने सर्वप्रथम उन्हें होश में लाने का प्रयास शुरू कर दिया. उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, इसलिए उन्हें कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन देने की व्यवस्था की गई. बाद में थोड़ी हलचल हुई तो अग्निशमन विभाग और पुलिस के सहयोग से उन्हें कुएं से बाहर निकाल लिया गया. उन्हें आनन फानन में इलाज के लिए फांसीदेवा ग्रामीण अस्पताल पहुंचाया गया. तब तक रास्ते में ही उनकी मौत हो गई थी. मारे गये लोगों के नाम आशिक टोप्पो और विजय कुजूर हैं. दोनों स्थानीय निवासी हैं. पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए उत्तर बंगाल अस्पताल भेज दिया है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
जिस तरह से सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है, ऐसे में इस तरह के जोखिम भरे कार्य करने से पहले पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए. अन्यथा हादसे होते रहेंगे. जरा सी लापरवाही आफत को जन्म दे सकती है!
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