सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल, दक्षिण बंगाल और पूरे प्रदेश में बस मालिकों को कोलकाता हाई कोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है. कोलकाता हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि 15 साल पुरानी गाड़ियों को फिलहाल सड़कों से नहीं हटाया जाएगा. जिसके लिए बस मालिक लगातार संघर्ष कर रहे थे.
राज्य सरकार परिवहन विभाग ने राज्य के बस मालिकों को 15 साल पुरानी बसों को सड़कों पर नहीं चलने की अनुमति दी थी. इसके बाद बस मालिकों के विभिन्न संगठन नाराज हो गए थे और वे सरकार से मोहलत मांग रहे थे. परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ कई बार उनकी बैठक भी हुई. अंततः यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट पहुंच गया था.
कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले से परिवहन मालिक काफी खुश हैं. कोर्ट ने कहा है कि 15 साल पुराने व निजी/ वाणिज्यिक वाहनों को तभी सड़कों पर चलने की अनुमति दी जाएगी, जब वे प्रत्येक 6 महीने पर अपने वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करेंगे. राज्य सरकार और बस यूनियनों के बीच यह सहमति बन गई है. इस निर्देश के अनुसार वाहन मालिक को प्रत्येक 6 महीने में अपने वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना होगा.
आपको बताते चलें कि कोलकाता हाई कोर्ट ने गत महीने की 22 तारीख को राज्य सरकार और बस संचालकों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का निर्देश दिया था. मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट में कहा गया कि परिवहन विभाग तथा निजी वाहन मालिकों के बीच सहमति बन गई है. इसके बाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
राज्य परिवहन विभाग और बस मालिक इस संबंध में कोलकाता हाई कोर्ट में एक हालकनामा दायर कर रहे हैं. उसके बाद 15 साल पुरानी बसों को सड़कों पर चलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इस संबंध में कोलकाता हाई कोर्ट की ओर से बस मालिकों के लिए एक दिशा निर्देश भी जारी किया जा सकता है. बस मालिकों को हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा.
वास्तव में यह सारा मामला पर्यावरण प्रदूषण को लेकर सामने आया था. 15 वर्ष या उससे अधिक पुरानी बसें चलने की स्थिति में नहीं होती है. अगर इन बसों को सड़कों पर चलाया जाता है तो इससे प्रदूषण फैलता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा यात्रियों को भी कई बार कठिनाई का सामना करना पड़ता है. कोर्ट ने कहा है कि बस मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि 15 साल या उसे अधिक पुराने सभी निजी अथवा वाणिज्यिक वाहन पर्यावरण को कोई अतिरिक्त नुकसान नहीं पहुंचा सकें.
बस यूनियनों में सिटी सब अर्बन बस सर्विस, आल बंगाल बस मिनी बस समन्वय समिति, बसंती हाईवे बस मालिक समन्वय समिति, विश्व बांग्ला बस सर्विस, हावड़ा बस वेलफेयर सोसाइटी, उत्तर 24 परगना बस मालिक यूनाइटेड फोरम और हावड़ा बस मिनी बस मालिक वेलफेयर एसोसिएशन शामिल थे. राज्य परिवहन विभाग के मंत्री स्नेहाशीश चक्रवर्ती ने कहा है कि जिन बस मालिकों के वाहन 15 साल अथवा उससे अधिक पुराने हो गए हैं, उन्हें साल में दो बार फिटनेस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना होगा. अगर टेस्ट में वाहन खरा उतरता है तभी उसे सड़कों पर चलने की अनुमति दी जाएगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे स्क्रैप कर दिया जाएगा.
फिटनेस टेस्ट के लिए फिटनेस शुल्क भी तय कर दिया गया है. इसके अनुसार पहले टेस्ट के लिए 12500 तथा दूसरे टेस्ट के लिए 540 रुपए देने होंगे. बस मालिकों को फिटनेस सर्टिफिकेट उस अवस्था में मिलेगा, जब उनके पास प्रदूषण से संबंधित प्रमाण पत्र होंगे. कहना नहीं होगा कि राज्य सरकार की मेहरबानी से ही 15 साल पुराने बस मालिकों के चेहरे पर खुशी दिख रही है.
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