September 7, 2025
Sevoke Road, Siliguri
bangladesh bangladeshi mamata banerjee NARENDRA MODI newsupdate WEST BENGAL westbengal

बांग्लादेशी हिंदुओं पर मेहरबान केंद्र का कदम ममता बनर्जी का कितना खेल बिगाड़ेगा!

how-much-will-the-centres-kind-move-towards-bangladeshi-hindus-spoil-mamata-banerjees-game

ममता बनर्जी पूरे प्रदेश में बांग्ला भाषा आंदोलन चला रही है. उनका आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों में रोजी रोटी कमाने वाले बंगाली समुदाय के लोगों पर वहां की सरकार अत्याचार कर रही है. जानकारों के अनुसार इस मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी पूरे प्रदेश में बंगाली समुदाय के लोगों को एकजुट करने और उनका समर्थन हासिल करने की राजनीति कर रही है. उनकी सरकार ने प्रवासी बंगाली श्रमिकों के लिए राज्य में ही रोजगार और प्रत्येक परिवार को ₹5000 मासिक भत्ता देने का निर्णय लिया है.

वर्तमान में यह मुद्दा पूरे प्रदेश में गरमाया हुआ है. तृणमूल कांग्रेस के मंत्री और नेता इस मुद्दे को हवा देने में लगे हैं. इस बीच पूर्व राज्यपाल तथागत राय का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री ब्रत बसु पर आरोप लगाया है कि वे जानबूझकर भारत के बंगाली नागरिक और बांग्लादेशियों को एक साथ मिलाने की कोशिश कर रहे है.तथागत राय का कहना है कि टीएमसी की पुरानी रणनीति है और इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी की निष्ठा भारत राष्ट्र के प्रति ईमानदार नहीं है. तथागत राय ने X पर लिखते हुए कहा है कि व्रत बसु ध्यान से सुन लीजिए.

वर्ष 1971 में पाकिस्तानी सेना ने पूर्व पाकिस्तान के नागरिकों पर गोली चलाई थी, ना कि बंगालियों पर. उस समय यह संघर्ष बांग्लादेश की आजादी को लेकर था ना कि समूचे बंगालियों के खिलाफ था. तथागत राय लिखते हैं कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति जियाउर रहमान और प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने साफ कहा था कि हम बंगाली नहीं, हम बांग्लादेशी हैं. इस बयान का अब तक किसी बांग्लादेशी नेता ने विरोध नहीं किया. जिससे यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेशी की पहचान वे अलग मानते हैं. तथागत राय ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि व्रत बसु सावधान हो जाइए! भारत के प्रति निष्ठा की कमी का परिणाम बहुत गंभीर हो सकता है.

तथागत राय का यह बयान तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रहे राजनीतिक विवाद को और गहरा और तीखा कर सकता है. खासकर बांग्लादेश और बंगालियों की पहचान को लेकर उनकी एक टिप्पणी आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस को और गरमा सकती है. खैर प्रदेश में इस तरह की राजनीति और बहस के दौर के बीच में केंद्र सरकार ने तृणमूल कांग्रेस की रणनीति का काट ढूंढ लिया है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार केंद्र सरकार का यह कदम पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की राजनीति पर भारी पड़ सकता है.

दरअसल केंद्र की भाजपा सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की कट ऑफ डेट बढ़ा दिया है, जिसका मतलब अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने के कारण भारत में शरण लेने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन,पारसी और ईसाई समुदाय से संबंध रखने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को बिना पासपोर्ट अथवा अन्य यात्रा दस्तावेजों के देश में रहने की अनुमति मिल गई है. पहली कट ऑफ डेट 31 दिसंबर 2014 रखी गई थी, जो बदले हालात में 31 दिसंबर 2024 तय की गई है.

इस तरह से यह भी कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार ने बांग्लादेशी हिंदुओं के प्रति ममता दिखाई है. इस अधिसूचना के बाद बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम लोगों को शरणार्थी का दर्जा दिया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 सितंबर को यह गजट अधिसूचना प्रकाशित की थी. इसकी शुरुआत में कहा गया है कि यह अधिसूचना आव्रजन और विदेशी अधिनियम की धारा 33 के अनुसार है, जो 4 अप्रैल 2025 को लागू हुई थी. अधिसूचना की उप धारा ई में कहा गया है कि हिंदू बंगाली जो धार्मिक उत्पीड़न के शिकार है और बांग्लादेश से भाग कर आए हैं, उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया जाएगा. उन्हें वापस बांग्लादेश नहीं भेजा जाएगा.

दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बंगाल और असम की हिंदू आबादी के एक बड़े हिस्से को उन्हें वापस बांग्लादेश भेजने के डर को ही खत्म करना चाहती है. बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न का आरोप भाजपा पर लगाकर उसके खिलाफ मुखर होने वाली ममता बनर्जी अब इस मुद्दे पर क्या कहती हैं, यह देखना होगा. लेकिन राजनीतिक पंडित और जानकार मानते हैं कि केंद्र सरकार के इस कदम के बाद ममता बनर्जी का भाजपा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को शायद सफलता नहीं मिले.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *