इस समय सिलीगुड़ी में छोटे नोटों की भारी कमी देखी जा रही है. ₹5 और ₹10 के नोटों की भारी किल्लत है. जबकि ₹20 के नोट पर्याप्त उपलब्ध हैं. ₹500 के बड़े नोट भी भारी मात्रा में उपलब्ध हैं. ₹100 के नोट भी उपलब्ध हैं. ₹50 के नोट की उपलब्धता में कमी देखी जा रही है. लेकिन सर्वाधिक संकट की स्थिति छोटे नोटों को लेकर है. हालांकि ग्राहकों के पास पर्याप्त मात्रा में रेजगारी भी है. लेकिन दुकानदार एक रुपए, दो रुपए के सिक्कों को लेने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
छोटे दुकानदार ग्राहकों से ₹1 अथवा दो रुपए के सिक्के लेना पसंद नहीं करते हैं. दूसरी तरफ ग्राहक के पास ₹5 अथवा ₹10 के नोट उपलब्ध नहीं है. कई बार तो स्थिति यह होती है कि दुकानदार ग्राहक से छोटे पैसे यानी ₹5 अथवा ₹10 के नोट मांगता है. ग्राहक के पास नहीं रहने पर दुकानदार सामान देने में आनाकानी करते हैं. वह सीधे ग्राहकों को कह देते हैं कि या तो खुले पैसे लेकर आए अन्यथा उनके पास खुले पैसे नहीं है. यहां खुले पैसे का मतलब ₹5 अथवा ₹10 के नोट है. ना कि रेजगारी ₹1 या ₹2 का सिक्का.
भारतीय रिजर्व बैंक ने ₹20 के सिक्के भी जारी किए हैं. लेकिन सिलीगुड़ी के बाजार में यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. जानकारों का मानना है कि बाजार में ₹20 के सिक्के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बाद छोटे नोटों जैसे ₹5, ₹10 की कमी की भरपाई हो सकती है तथा दुकानदारों से लेकर ग्राहकों तक को छोटे नोट को लेकर परेशान होना नहीं पड़ेगा.
हालांकि इन सब में सबसे बड़ा सच यह है कि सिलीगुड़ी के बाजार में ₹10 के नोट की भारी कमी देखी जा रही है. दुकानदार से लेकर ग्राहक, छोटे दुकानदार, दूध वाले, कबाड़ी वाले ,यात्री वाहन वाले, टोटो, ऑटो सब जगह छोटे नोटों की भारी किल्लत देखी जा रही है. जानकार मानते हैं कि ₹10 के नोट शुरू में बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे. लेकिन धीरे-धीरे बाजार से नदारद होते गए. सवाल यह है कि अगर ₹10 के नोट बाजार में नहीं मिल रहे हैं, तो उसकी जगह रेजगारी पैसों का लेनदेन क्यों नहीं हो रहा है?
दुकानदारों का कहना है कि वजन के कारण सिक्के ना तो ग्राहक वापस लेना चाहता है और ना ही बैंक में जमा करने वाले गिनती करना चाहते हैं. जिसके चलते दुकानदारों के पास ढेर सारी रेजगारी जुड़ जाती है. कई जगहों पर तो दुकानदारों को कागज के नोट लेने के लिए कीमत से अधिक सिक्कों का भुगतान तक करना पड़ता है. शहर के अधिकतर फुटकर व्यापारियों का कहना है कि उन्हें सिक्के लेने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन बैंक को भी तो सिक्के जमा करने में उदारता दिखानी चाहिए.
सिलीगुड़ी शहर के कई बैंक ऐसे हैं, जो ग्राहकों से जमा रकम के रूप में सिक्के लेना पसंद नहीं करते हैं. क्योंकि बैंकों के पास सिक्के गिनने का समय नहीं होता. अधिकतर ग्राहक भी सिक्के लेना पसंद नहीं करते हैं. खासकर ₹1 और ₹2 .छोटे सामान हो अथवा बड़े सामान, सब जगह ऐसी ही स्थिति है. शुरू-शुरू में तो ₹1 और ₹2 के सिक्के सिलीगुड़ी के कई भागों में खासकर बस्ती क्षेत्रों में दुकानदार तो लेते ही नहीं थे. अब उन्होंने लेना शुरू किया है तो बहुत सीमित मात्रा में. यानी अगर आप ₹20 का भुगतान कर रहे हैं तो सभी ₹1 या ₹2 के सिक्के वह नहीं ले सकते हैं. ₹5 के सिक्के ₹10 के सिक्के लेने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन ₹1 या ₹2 के सिक्के अधिक से अधिक ₹5 तक ही ग्रहण कर सकते हैं.
सिलीगुड़ी के नया बाजार के व्यापारियों का कहना है कि ₹20 का सिक्का बाजार में प्राप्त मात्रा में आने लगे तो खुले नोटों की किल्लत में बहुत हद तक कमी आएगी. इसके साथ ही बाजार में ₹1 और ₹2 के सिक्के भी ग्राहक, बैंक और व्यापारी लेनदेन करें तो बाजार में जिस तरह से ₹10 और ₹5 की नोटों की किल्लत हो गई है, उससे छुटकारा मिल सकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में 50000 करोड रुपए से अधिक के 10 और ₹20 के पुराने नोट हैं, जो धीरे-धीरे चलन से बाहर हो जाते हैं और रिजर्व बैंक के पास वापस आ जाते हैं. इतने नोटों की भरपाई करने में करोड़ों रुपए का खर्चा आएगा और ऐसा माना जाता है कि चलन में 5 साल रहने पर नोट खराब हो जाते हैं. जबकि सिक्को की आयु ज्यादा होती है. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय रिजर्व बैंक ₹10 के नोट की जगह ₹10 के सिक्के पर्याप्त मात्रा में बाजार में उतार सकता है.
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