नए साल में लोग पिकनिक मनाने के लिए या फिर कहीं पहाड़ और वादियों में घूमना ज्यादा पसंद करते हैं. अगर आप भी कुछ इसी तरह की प्लानिंग कर रहे हैं तो जेब गरम करके रखिए. क्योंकि गंगटोक जाने के लिए टैक्सी तो तैयार है, परंतु टैक्सी वालों का मनमाना किराया आपको परेशान कर सकता है.
सिलीगुड़ी से बाहर दूर दराज के पर्यटकों को सिलीगुड़ी से गंगटोक का टैक्सी किराया पता जरूर होता है लेकिन जब वे सिलीगुड़ी जंक्शन पर टैक्सी वाले से बात करते हैं तो निर्धारित किराया और और टैक्सी वाले द्वारा मांगे जाने वाले किराये में जमीन आसमान का अंतर होता है. यह आपके पर्यटन बजट को असंतुलित कर सकता है
आमतौर पर सिलीगुड़ी जंक्शन से गंगटोक जाने के लिए टैक्सी का किराया प्रति यात्री लगभग ₹400 आता है. अगर आप रिजर्व में जाना चाहते हैं तो लगभग ₹4000 का किराया होता है. लेकिन इन दिनों टैक्सी वाले बाहर से आने वाले पर्यटकों से प्रति यात्री 700 से लेकर ₹800 और यदि आप टैक्सी बुक करते हैं तो 8000 से ₹10000 तक देना पड़ सकता है.
ऐसा नहीं है कि सरकार या यूनियन की ओर से टैक्सी किराया बढ़ाया गया है, बल्कि कुछ टैक्सी चालकों ने पर्यटकों से मनमाना किराया वसूल करना शुरू कर दिया है. इसके बारे में यूनियन को भी पता नहीं होता. अब जो बाहर से पर्यटक आया है, वह तो घूमने के लिए ही आया है. ऐसे में उसके पास टैक्सी वाले की मनमानी झेलने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है.
सिलीगुड़ी से गंगटोक जाने के लिए पर्याप्त टैक्सी भी है. रास्ता भी सही है. लेकिन फिर भी किराया महंगा? ऐसा लगता है कि दार्जिलिंग समतल पहाड़ विवाद के चक्कर में कमाई से वंचित रहने वाले कुछ टैक्सी चालक पर्यटकों से ही भरपाई करना चाहते हैं. सिलीगुड़ी से गंगटोक जाने वाले कुछ पर्यटकों ने यह आरोप लगाते हुए कहा है कि टैक्सी चालक बाहरी पर्यटक को देखकर किराया बढ़ा देते हैं. क्योंकि पर्यटकों को पता नहीं होता है.
लेकिन इससे एक पर्यटक की नजर में शहर और टैक्सी चालकों की छवि खराब होती है. सिलीगुड़ी जंक्शन के स्थानीय लोगों ने बताया कि इस समय बाहर से काफी पर्यटक आ रहे हैं. पर्यटकों की भीड़ देखकर टैक्सी वाले भी मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि केवल बाहरी पर्यटकों से ही पैसा वसूला जा रहा है बल्कि स्थानीय पर्यटक भी उनके शोषण का शिकार हो रहे हैं.
सूत्र बताते हैं कि सिलीगुड़ी के कई होटल, हेरिटेज, रेलवे स्टेशन और विभिन्न बाजारों के आगे गंगटोक जाने के लिए टैक्सी लगी रहती है. इन टैक्सियों की अपनी अपनी यूनियन भी होती है. बाकायदा सिंडिकेट होता है. लेकिन यह सभी मिले होते हैं. होटल वालों से लेकर सिंडिकेट और टैक्सी चालक सब मिलकर पर्यटकों का शोषण करते हैं. इसलिए कोई कुछ नहीं बोलता.
हिमालयन हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म डेवलपमेंट नेटवर्क के प्रवक्ता बताते हैं कि हालांकि हमारे पास लिखित तौर पर कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसा कुछ है तो अधिकारियों तक यह बात पहुंचाएंगे. क्योंकि प्रशासन की अनुमति के बगैर आप मनमाना किराया नहीं बढ़ा सकते हैं. किसी भी पर्यटक से अधिक किराया वसूल नहीं सकते हैं.
प्रशासन को इस पर फौरन कार्रवाई करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा है कि सभी चालक ऐसे नहीं है. केवल कुछ चालकों के कारण ही सभी चालक बदनाम हो रहे हैं और टूरिस्ट की नजर में छोटे हो रहे हैं. अगर ऐसा है तो हम यह पता लगाएंगे और प्रशासन से मांग करेंगे कि फौरन इस पर रोक लगे और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो.
