एक कहावत तो आपने सुनी होगी, तू डाल-डाल तो हम पात- पात! साइबर ठगों के लिए यह मुहावरा सटीक बैठता है.जैसे-जैसे साइबर ठगों से दूर रहने के तंत्रों का विकास हो रहा है, वैसे वैसे साइबर ठग भी मजबूत होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर इस समय आईआरसीटीसी के टि्वटर हैंडल पर ठगी का एक मामला सुर्खियों में है.
एक महिला ने आईआरसीटीसी के टि्वटर हैंडल पर अपने आरएसी टिकट के साथ ही मोबाइल नंबर डालकर आईआरसीटीसी से विस्तृत जानकारी मांगी. इसके कुछ देर बाद महिला के मोबाइल पर कॉल किया गया, जिसमें कॉल करने वाले ने आईआरसीटीसी का अधिकृत व्यक्ति बताया. फिर उसने महिला को एक लिंक भेजा. साथ ही रिक्वेस्ट की प्रक्रिया पूरी करने के लिए ₹2 का पेमेंट करने के लिए कहा.
महिला पढ़ी लिखी थी. उसने साइबर ठगी के मामले तो बहुत सुने थे. परंतु आईआरसीटीसी के अधिकृत ट्विटर हैंडल पर भी साइबर ठगों की पहुंच हो गई है, इसकी तो उसने कल्पना तक नहीं की थी. उसने ऐसा ही किया. इसके तुरंत बाद महिला के अकाउंट से 64011 रुपए कट गए.
साइबर ठगों ने सोशल मीडिया पर जैसे अपना संपूर्ण नियंत्रण कर लिया है. कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त मुरलीधर शर्मा के अनुसार कोलकाता में 50% साइबर अपराध के मामले सोशल मीडिया से जुड़े फर्जी प्रोफाइल से जुड़े बताए जा रहे हैं. मुरलीधर शर्मा के अनुसार 30% घटनाएं सोशल इंजीनियरिंग फ्रॉड से जुड़ी होती हैं. जबकि 10% घटनाएं सेक्सटॉर्शन और 10% अपराध की घटनाएं हैकिंग से जुड़ी होती हैं.
साइबर ठगी के खिलाफ पुलिस, बैंक तथा सरकारी एजेंसियां लगातार अभियान चला रही है. लेकिन इन सबके बावजूद आए दिन लोग साइबर ठगों के शिकार हो रहे हैं. दरअसल लोग सोच नहीं पाते कि साइबर ठग वहां तक पहुंच गए हैं, जहां उनकी नजर में उनका पहुंचना आसान नहीं है. अनेक लोग तो अपने लुटे जाने की शिकायत भी साइबर सेल को नहीं कर पाते, जबकि 10% मामलों में ही सेल को लिखित शिकायत की जाती है. साइबर पुलिस को कभी-कभी ऐसे मामलों की तह तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है, तब तक साइबर ठग पुलिस की पकड़ से दूर हो जाते हैं. पुलिस हाथ मलकर रह जाती है.
अगर आप साइबर ठगों के शिकार होने से बचना चाहते हैं तो कुछ बातों को कतई नजरअंदाज न करें. जैसे किसी संस्था अथवा एजेंसी की सेवा लेना चाहते हैं तो उसका कस्टमर केयर नंबर गूगल से नहीं बल्कि एजेंसी की वेबसाइट से निकालें. कोई भी सरकारी, गैर सरकारी, बैंक अथवा वित्तीय संस्थाएं ऑनलाइन रिक्वेस्ट पैसे की मांग नहीं करती और ना ही इस तरह की रिक्वेस्ट आपके पास भेजी जाती है. ऐसे में अगर आपके मोबाइल पर किसी तरह का लिंक मैसेज अथवा मोबाइल पे का अनुरोध किया जाता है तो उसे इग्नोर कर दें. अपनी पर्सनल जानकारी ओटीपी, पिन आदि किसी से भी शेयर ना करें. कोई भी अधिकृत संस्था अथवा बैंक आपसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगते. इन बातों का रखेंगे ध्यान तो साइबर ठग आपका शिकार नहीं कर सकेंगे!