November 18, 2024
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उत्तर बंगाल दार्जिलिंग सिलीगुड़ी

सुप्रीम कोर्ट का फैसला GTA के नेताओं के लिए राहत या आफत?

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है,जिसमें कोलकाता हाई कोर्ट ने जीटीए में शिक्षकों की भर्ती के मामले में धांधली तथा अनियमितता की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहाड़ के किन नेताओं को राहत मिली है और किन नेताओं के लिए मुसीबत या आफत साबित हुई है, यह तो बाद की बात है. पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा देने से पहाड़ की राजनीति में आरोप प्रत्यारोप के जरिए बुलबुले उठने के आसार जरूर कम हो गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निश्चित रूप से विनय तमांग और विमल गुरुंग को राहत मिली होगी, जिनके समय में पहाड़ और जीटीए में यह चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था. आरोप विनय तमांग पर लगा था. 2017 से लेकर 2019 तक पहाड़ की राजनीति के केंद्र बिंदु में विनय तमांग और विमल गुरुंग होते थे. हालांकि विनय तमांग ने सीबीआई जांच का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लिया था. हालांकि जिस समय का यह मामला है, उस समय अनित थापा सत्ता में नहीं थे. पहाड़ के कई क्षेत्रीय संगठनों के नेताओं ने शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले को पहाड़ की राजनीति में जोर शोर से उठाया था.

किसी समय पहाड़ में शिक्षक भर्ती घोटाले की गूंज सुनाई पड़ती थी. विपक्षी पार्टियों अथवा उनके नेता विनय तमांग पर हमलावर होते थे. जीटीए पर आरोप लगा था कि शिक्षक भर्ती घोटाले में काफी अनियमितता बरती गई है. इसके अलावा जीटीए प्रमुख ने पैसे लेकर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. हाम्रो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड ने इस मुद्दे को इतना तूल दिया कि बाद में यह मुद्दा कोलकाता हाई कोर्ट में चला गया.

कोलकाता हाई कोर्ट ने पूरे प्रकरण पर विचार करके इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दे दिया. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल और कुछ अन्य याचिका कर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य की दलील सुनने के बाद अपील दायर की. जिनकी याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने के लिए पर्याप्त और उचित कारण बताया जाना जरूरी है. जबकि हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने 4 अप्रैल को जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने का जो उचित कारण बताया, वह कोई तर्कसंगत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि उच्च न्यायालय को अनुच्छेद 226 के अंतर्गत सीबीआई जांच का आदेश देने अथवा राज्य पुलिस एजेंसियों से जांच को केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने का पूरा अधिकार है, लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है जब वह इस बात से संतुष्ट हो कि कथित घोटाले में राज्य अधिकारियों द्वारा की गई जांच अनुचित और पक्षपात पूर्ण थी.

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को कानून के अनुसार दायर रिट याचिका से निपटने के लिए वापस एकल न्यायाधीश के पास भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा GTA में नौकरी जांच का सीबीआई आदेश खारिज करने के बाद पहाड़ में कानून का सम्मान करने की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहाड़ के क्षेत्रीय संगठनों के नेता कहीं ना कहीं राहत महसूस कर रहे हैं, जो किसी समय GTA के अंग हुआ करते थे.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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