December 28, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

दिसंबर का महीना और सर्दी नदारद! पिकनिक मनाने जा रहे हैं तो जंगली जानवरों से रहें सावधान!

कहते हैं कि दिसंबर और जनवरी की सर्दी रूह को कंपकंपा देने वाली होती है. पुस्तकों में भी पढ़ा गया है. लोगों ने अनुभव भी किया है. दिसंबर और जनवरी महीने में अलाव जलाकर आग तापते लोग मिल जाते हैं. शीत लहर चलती है. ठंडी ठंडी हवाएं जब बदन को छूती है, तो ऐसा लगता है कि शरीर अकड़ कर रह गया. कई कई दिनों तक धूप का दर्शन भी नहीं होता है. दिन में कुहासा और अंधेरा छाया रहता है.कदाचित अब तक के परंपरागत इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब सिलीगुड़ी के लोगों को दिसंबर महीने में इन सभी अनुभूतियों का कोई एहसास नहीं हुआ है.

सिलीगुड़ी ही क्यों, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में भी ऐसा ही हाल है. बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में इस समय कड़ाके की सर्दी पड़ती है. परंतु पहली बार सभी राज्यों में सर्दी लगभग छूमंतर हो गई है. आखिर इसका कारण क्या है? दिसंबर का महीना सर्दी और शीतलहर के लिए जाना जाता है. जबकि दिसंबर बीत रहा है और नए साल का आगाज होने जा रहा है. पर लोग अभी भी सर्दी और ठंड का तीव्रता से एहसास नहीं कर पा रहे हैं. दिन में धूप तेज होती है. धीरे-धीरे लोगों के बदन से गर्म कपड़े उतरते जा रहे हैं.

वैज्ञानिक भी अचंभित है. पर्यावरण विद चिंतित हैं. जीव जंतु, पशु पक्षी, मानव सबके लिए यह चिंता का विषय है. सर्दी के दिनों में अगर सर्दी नहीं पड़ती है तो इसका भारी असर कृषि, वनस्पति, जंगल, मानव जीवन और पशु जीवन के साथ-साथ प्रकृति पर भी पड़ता है. बहुत से लोग इसे ग्लोबल वार्मिंग का भी संकेत मान रहे हैं. पर ऐसा भी होगा, किसी को यह अनुमान नहीं था. सवाल यह है कि क्या सर्दी खत्म हो गई अथवा इसकी वापसी होगी? क्योंकि कई लोगों का मानना है कि जनवरी में सर्दी अपना असर दिखा सकती है. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों की ओर से भी इसका कोई पूर्वाभास नहीं मिल रहा है. ना ही पर्यावरणविद इसका कयास लगा रहे हैं.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग का भारत में तेज असर हो रहा है. मौसम में परिवर्तन से लेकर जीव, जंतु, वनस्पति जंगल, सब जगह प्राकृतिक व्यवस्था नष्ट हो रही है. प्रकृति की व्यवस्था मौसम पर निर्भर करती है. लेकिन मौसम दगाबाजी कर रहा है. आज मानव और पशुओं के बीच संघर्ष, पशुओं के व्यवहार में परिवर्तन तथा अपने प्राकृतिक स्थान को छोड़ने पर मजबूर जानवर, खाद्यान्न की तलाश में भटकते जानवर, और उनके मार्ग में आड़े आते मानव के साथ संघर्ष की बहुत सी घटनाएं सुर्खियों में है. मदारीहाट इलाके में एक जंगली हाथी ने भोजन की तलाश में सुकांत नगर के एक प्राथमिक विद्यालय में ही हमला कर दिया. हाथी ने भवन में तोड़फोड़ कर दी. इसी तरह से नागराकाटा में क्रिसमस समारोह में भाग लेने के बाद घर जाते समय नागरकाटा ब्लॉक के बामनडांगा चाय बागान में जंगली सूअर के हमले से एक महिला की मौत हो गई.

सिलीगुड़ी के नजदीक पानीघाटा पिकनिक इलाके में अक्सर हाथी देखे जाते हैं. सुकना, गुलमा, सिलीगुड़ी में सालूगाड़ा, छोटाफाफड़ी में भी हाथी देखे जाते हैं. दूधिया में भी कुछ दिनों पहले हाथी देखा गया था. यह सभी जंगली जानवर भोजन पानी की तलाश में जंगलों से निकलकर बस्ती क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.क्योंकि मानव ने उनके आवास पर भी हमला कर दिया है. आबादी बढ़ने से जंगलों की अंधाधुंध कटाई चल रही है. ऐसे में जंगली जानवरों के रहने और खाने का अभाव उन्हें अपने स्थान से बाहर निकलने पर मजबूर कर रहा है. पानीघाटा पुल पर हाथी की मौजूदगी देखी गई. इससे वहां पिकनिक मनाने आए लोगों में दहशत फैल गई. बहुत से लोग पशुओं पर अत्याचार कर रहे है.

जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी में एक 16 साल के लड़के ने अजगर को पकड़ कर उसका वीडियो बनाया. हालांकि अजगर ने युवक को बुरी तरह घायल कर दिया है. घायल लड़के का नाम प्रदीप मंडल है और उसे गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.अजगर एक मकान में घुस गया था. इस तरह से मानव और पशुओं के बीच संघर्ष, प्रकृति की फीकी पडती चमक, प्राकृतिक असंतुलन और ग्लोबल वार्मिंग ने जीवन और जगत के सभी क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित करना शुरू कर दिया है. अगर जनवरी में सर्दी दस्तक नहीं देती है तो इसका मानव, प्रकृति, वनस्पति और जीवन पर गंभीर असर पड़ेगा.

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