भारतीय मूल की बेटी और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स धरती पर वापस आ गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देशभर की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने सुनीता विलियम्स की वापसी पर खुशी और उन्हें बधाई दी है. नरेंद्र मोदी ने कहा crew 9, धरती ने आपको बहुत मिस किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुनीता विलियम्स को बधाई देते हुए कहा कि वह भारत रत्न की हकदार हैं और केंद्र सरकार को सुनीता विलियम्स को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए.
बंगाल समेत देश भर में सुनीता की वापसी, उनके साहस और धैर्य की प्रशंसा की जा रही है. चारों तरफ उत्साह का माहौल है. लोगों ने उनकी सकुशल वापसी की दुआ मांगी थी. वह पूरी तरह सकुशल हैं. उन्होंने 9 महीने तक किन कठिनाइयों का सामना किया है और अपनी लंबी अंतरिक्ष यात्रा का उनका अनुभव कैसा होगा, इसकी कल्पना करके ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ममता बनर्जी ने उन्हें साहस और धैर्य की प्रतिमूर्ति बताया. आज विधानसभा में उन्होंने इस पर चर्चा भी की और उन्हें सम्मानित करने की वकालत भी की है.
सुनीता विलियम्स के साथ बुच बिलमोर, निक हैग तथा रूसी अंतरिक्ष यात्री ए. गोरबुनोव भी आए हैं. यह सभी अमेरिकी और रूसी अंतरिक्ष यात्री हैं. राज्य विधानसभा में अंतरिक्ष यात्रियों की चर्चा करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि हम सभी काफी उत्साहित हैं क्योंकि भारत की बेटी हमारे पास वापस आ गई है. उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों के साहस और संघर्ष की चर्चा की. आज सुबह 3:27 पर सुनीता विलियम्स का यान धरती पर लैंड हुआ था. उनकी सकुशल वापसी के साथ ही देश भर में जश्न शुरू हुआ और उन्हें बधाइयां दी जाने लगी.
सुनीता विलियम्स पिछले साल 5 जून को अंतरिक्ष यात्रा पर गई थी. उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 8 दिन बीताने थे और पृथ्वी पर लौटना था. सुनीता केवल 8 दिनों के लिए ही अंतरिक्ष में गई थी. लेकिन तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि उनकी 8 दिन की यात्रा 9 महीने में पूरी होगी. अंतरिक्ष यान में खराबी आ गई थी, जिसके कारण सुनीता विलियम्स की पृथ्वी पर वापसी की तिथि बार-बार स्थगित होती रही. आखिर कार बुधवार को सुबह 3:27 पर उनकी पृथ्वी पर वापसी हुई.
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर वापसी की खुशी कितनी है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में गई थी लेकिन वह सकुशल वापस नहीं आ सकी. सुनीता विलियम्स की वापसी के साथ ही लोग ट्विटर, एक्स हैंडल, फेसबुक और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उन्हें बधाई का संदेश देने लगे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपने एक्स हैंडल पर उन्हें बधाई संदेश भेजा.
सुनीता विलियम्स को बचपन में जानवरों से बहुत लगाव था. इसलिए उन्होंने जानवरों का डॉक्टर बनने का मन बनाया था. लेकिन उन्हें बनना तो कुछ और था. पढ़ाई के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिलने से वह अपने मन की इच्छा पूरी नहीं कर सकी थी. उनके पिता का नाम दीपक पांडया है. वह गुजरात के रहने वाले हैं. लेकिन बाद में अमेरिका में बस गए. अमेरिका में ही उन्होंने शादी की, जिससे सुनीता विलियम्स का जन्म हुआ.
1983 में सुनीता विलियम्स ने अमेरिकी नौसेना अकादमी ज्वाइन की. नौसेना अकादमी में अपनी ट्रेनिंग लेने के बाद वह पायलट बन गई. इसके बाद उन्होंने विमान उड़ाना शुरू कर दिया. एक दिन जॉनसन स्पेस सेंटर जाने का उन्हें मौका मिला. इसने उनकी जिंदगी को एक नई राह दिखाई. वहीं उनकी मुलाकात अंतरिक्ष यात्री जॉन यंग से हुई. सुनीता उनसे काफी प्रभावित हुई. इसके बाद उन्होंने एस्ट्रोनॉट बनने का फैसला कर लिया.
सुनीता विलियम्स ने नासा में आवेदन किया. लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया. 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने फिर से नासा में आवेदन किया. इस बार उनका चुनाव हो गया. लेकिन अंतरिक्ष में जाने के लिए उन्हें एक लंबा इंतजार करना पड़ा. 2006 में उन्हें अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला था.
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