पश्चिम बंगाल में एस आई आर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है. यह दावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया है और कहा है कि इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेवार है. दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने पलटवार किया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि बंगाल में एस आई आर में चूक होने पर अधिकारी जिम्मेदार होंगे.
कोलकाता में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती ने यह बयान जारी किया. उन्होंने अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की और SIR की प्रगति का जायजा लिया. इस बैठक में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता बंगाल में SIR का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने टाइमिंग पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि 3 साल के काम को चुनाव आयोग दो महीने में कैसे पूरा कर सकता है? मुख्यमंत्री जनता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के अनियोजित निर्णय के कारण राज्य में मतदाता और कर्मी दबाव में हैं, जिससे आत्महत्या की घटनाएं अत्यधिक हो रही हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अब तक राज्य में 28 लोगों की मौत हो चुकी है. उसके लिए आयोग का अनियोजित निर्णय जिम्मेदार है. मुख्यमंत्री के दावे और आरोप का जवाब देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने कहा है कि SIR के डर से होने वाली मौत की खबर बिल्कुल बेबुनियाद है. आपको बताते चले कि चुनाव आयोग ने अक्टूबर के आखिर में यहां SIR की शुरुआत की थी.
प्रदेश में SIR की प्रक्रिया चल रही है. राज्य के भारत बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एस आई आर को लेकर कुछ ना कुछ गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं. पूरा प्रपत्र बंगला में होने के कारण फॉर्म भरने में हिंदीभाषी लोगों को कठिनाई हो रही है, तो कई मतदाताओं के नाम 2002 की मतदाता सूची से गायब हो चुका है. बॉर्डर इलाके में शख्स तो बांग्लादेशी है, लेकिन उसने वोटर कार्ड को पाने के लिए अपने पिता के नाम की जगह पर अपने ससुर के नाम का इस्तेमाल किया है.
यानी वह खुद भारतीय नहीं होते हुए भी भारत की वोटिंग प्रक्रिया में भाग ले रहा था. बहुत से लोग दूसरे मामलों को लेकर चिंतित और परेशान है. उनमें भय और अनिश्चितता बरकरार है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में दर्ज है अथवा जिनके परिवार में नाम मौजूद है, उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी लोग आतंकित है और असुरक्षा तथा भय के वातावरण में जी रहे हैं.
लोगों के दिमाग में यह धारणा बैठ गई है कि अगर मतदाता सूची में उनका नाम नहीं होगा तो वह राज्य के निवासी नहीं रह सकेंगे. राज्य में SIR लागू होने के बाद से अब तक कई लोगों ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली है. इससे समाज में भय और असुरक्षा उत्पन्न हो रही है. स्थानीय स्तर पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि बूथ लेवल अधिकारी पर काम का अत्यधिक दबाव है. इसके कारण वे भी मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या कर रहे हैं.
माल बाजार में एक महिला बीएलओ का शव फंदे से लटका हुआ मिला था.उनके परिवार का दावा है कि यह आत्महत्या एस आई आर से जुड़े काम के दबाव के कारण है. इस तरह के आरोप प्रत्यारोप के बीच बहस की गुंजाइश बढ़ गई है. सामाजिक संगठनों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीएलओ की मौत की घटना के बाद चुनाव आयोग पर गुस्सा उतारा है. महिला आंगनबाड़ी में काम करती थी और वह SIR का दबाव नहीं झेल सकी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि SIR प्रक्रिया ठीक तो है, लेकिन इसे पूरा होने में 2 साल से अधिक समय लग सकता है. 2002 में ऐसा ही हुआ था. लेकिन अभी राजनीतिक कारणों से उसे 2 महीने में पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है.इस जल्दबाजी के कारण ही आम नागरिकों और कर्मचारियों का जीवन दांव पर लगा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चेतावनी दी है कि अगर आयोग ने समय रहते इस पर पुनर्विचार नहीं किया तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

