बिहार में चुनाव की गहमागहमी शुरू हो चुकी है. एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे बड़े चेहरे सभा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल की ओर से लालू यादव और तेजस्वी यादव बिहार की जनता को लुभाने के सभी प्रयास करते नजर आ रहे हैं. इन सभी के विपरीत जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर बिहार के विकास की बात करते हैं. वे बिहार की जनता को किसी भी तरह के प्रलोभन से बचने की सलाह देते हैं.
राष्ट्रीय जनता दल की ओर से तेजस्वी यादव ने ऐलान किया है कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनती है तो हर महीने बिहार की महिलाओं को ₹2500 मासिक भत्ता दिया जाएगा. यह बात तेजस्वी यादव हर चुनाव सभा में करते हैं. आज नीतीश कुमार ने बिहार में चुनाव हलचल को अपने फैसले से और ज्यादा विस्फोटक बना दिया है.
नीतीश कुमार ने ऐलान कर दिया कि बिहार के स्त्री पुरुष और दिव्यांगों को हर महीने ₹1100 दिए जाएंगे. बिहार में ठीक चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बिहार के महिला, पुरुष और दिव्यांगों को अपने पक्ष में करने की रणनीति के तहत यह बड़ा कदम उठाया है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. नीतीश कुमार ने अब अपने राज्य के नागरिकों को हर महीने 1100 रुपए मासिक भत्ता देने का फैसला किया है.
बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत महिला और पुरुषों को हर महीने उनके खाते में ₹400 मिलते हैं. इनमें बुजुर्ग महिला, पुरुष, दिव्यांग और विधवा महिलाएं शामिल हैं, जिसे नीतीश सरकार ने तीन गुना से भी ज्यादा मासिक राशि में बढ़ोतरी की है. चुनाव से पहले पेंशन में इतनी बड़ी बढ़ोतरी को राजनीतिक पंडित बिहार की जनता को सरकार के पक्ष में करना मानते हैं. एक साथ इतनी बड़ी राशि जब स्त्री पुरुषों के खाते में जुड़ेंगे तो इसका बेशक चुनावी लाभ एनडीए को मिलेगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने फैसले को लेकर X पर पोस्ट करते हुए लिखा है, मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत सभी पात्रजनों को हर महीने ₹400 की जगह ₹1100 पेंशन मिलेगी. सभी लाभार्थियों को जुलाई महीने से पेंशन बढ़ी हुई दर पर मिलेगी. सभी लाभार्थियों के खाते में यह राशि महीने की 10 तारीख को भेजना सुनिश्चित किया गया है. इससे एक करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लाभार्थी लाभ प्राप्त करेंगे.
नीतीश कुमार के इस फैसले ने बिहार में एनडीए नेताओं के हौसले बुलंद कर दिए हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका चुनाव पर पूरा असर पड़ेगा. उनका मानना है कि यह जमीनी हकीकत है. जबकि तेजस्वी यादव की ओर से राज्य की महिलाओं को हर महीने ₹2500 देने की जो बात कही गई है, वह एक जुमला है.राज्य की जनता समझदार है और सच्चाई को समझना जानती है. इसमें कोई शक नहीं है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह फैसला चुनावी है लेकिन इसका लाभ तो बिहार की जनता को मिलेगा ही. आज की राजनीति का स्वरूप बदल चुका है. जनता समझदार है और नेता भी जनता की समझ को जानते हैं.
पश्चिम बंगाल से लेकर उड़ीसा, झारखंड, दिल्ली ,महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश सब जगह लगभग सभी राज्यों में महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए हर सरकार मासिक भत्ता का ऐलान करती है.क्योंकि नेताओं को भी पता है कि उनके दल की सरकार बनाने में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है. यही कारण है कि हर राजनीतिक दल चुनाव में जीत के लिए महिला सशक्तिकरण को अपना हथियार बनाता है और चुनाव में इसका लाभ भी मिलता है. हालांकि नीतीश कुमार ने एक नई चुनावी रणनीति का परिचय दिया है. उन्होंने महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी लाभ प्रदान किया है, जिसका आने वाले चुनाव पर जरूर असर पड़ेगा.
बिहार में मासिक भत्ता बढ़ोतरी के नीतीश कुमार के फैसले का बंगाल पर भी असर पड़ना तय माना जा रहा है. क्योंकि अगले साल बंगाल में भी चुनाव होना है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वर्तमान में राज्य की महिलाओं को मासिक भत्ता के नाम पर हर महीने ₹1000 से 1250 रुपए देती है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बंगाल चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिलाओं के मासिक भत्ते में बढ़ोतरी कर सकती हैं.
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