उत्तर भारत के कई राज्यों की तरह अब पश्चिम बंगाल, खासकर उत्तर बंगाल में भी मानसून राहत के बजाय विनाश लेकर आया है। पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलनों ने पर्वतीय इलाकों में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले छह दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश का सिलसिला जारी रहेगा, जिससे हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
सेवक-रंगपो रेल परियोजना पर मंडरा रहा खतरा
उत्तर बंगाल के कलिमपोंग जिले में स्थित सेवक-रंगपो रेल परियोजना एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गई है। टनल नंबर 7 के पास भारी बारिश के चलते दीवार ढह गई, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। हालांकि किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है, लेकिन इस हादसे ने इस सामरिक दृष्टि से अहम परियोजना पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। यह रेल लाइन भारत-चीन सीमा की दिशा में निर्माणाधीन है, और बार-बार भूस्खलन व जलभराव की वजह से काम बाधित होता आ रहा है।
एनएच-10 बना मौत का रास्ता, दरार के कारण बंद
सिक्किम की जीवनरेखा माने जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-10 (NH-10) एक बार फिर डर का सबब बन गया है। कलिमपोंग जिले में इस हाईवे पर भारी दरार पड़ने के बाद इसे तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया। सिलीगुड़ी से गंगटोक जाने वाला यह मुख्य मार्ग अब भारी वाहनों के लिए पूरी तरह बंद है। बारिश के कारण सड़कें खिसक रही हैं और भूस्खलन ने सफर को जानलेवा बना दिया है। सेवक, मैली और रवीझोरा जैसे क्षेत्रों में सड़कें धंस गई हैं और कई जगह संपर्क पूरी तरह टूट चुका है।
सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग में कहर बरपा रही बारिश
सिलीगुड़ी शहर में पिछले दो दिनों से अचानक तेज़ बारिश और धूप के बीच झूलता मौसम स्थानीय लोगों की मुसीबतें बढ़ा रहा है। कई निचले इलाकों में पानी भर गया है और सड़कों पर कीचड़ से आवागमन बाधित है। वहीं, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार में भी लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। मौसम विभाग ने इन जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है।
दक्षिण बंगाल भी नहीं है सुरक्षित
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर बंगाल के साथ-साथ अब दक्षिण बंगाल भी खतरे में है। उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, बांकुरा, पूर्वी मिदनापुर, पश्चिमी मिदनापुर और मुर्शिदाबाद जिलों में बुधवार और गुरुवार को भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। हुगली और हावड़ा जिलों में नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। दामोदर घाटी निगम (DVC) द्वारा अतिरिक्त पानी छोड़े जाने से बाढ़ जैसी स्थिति बनने की आशंका जताई जा रही है।
खेती चौपट, महंगाई चरम पर
लगातार हो रही बारिश ने कृषि क्षेत्र को भी तबाह कर दिया है। धान, सब्ज़ियां और दूसरी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। राज्यभर में सब्जियों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। कई गांवों में सड़कें टूट गई हैं और ग्रामीण इलाके पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
मानसून बना आपदा, राहत की कोई उम्मीद नहीं
मौसम विभाग का साफ कहना है कि अगले कुछ दिनों तक राहत की कोई संभावना नहीं है। बंगाल की खाड़ी में बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण बारिश और भूस्खलनों की घटनाएं और भी ज़्यादा हो सकती हैं। उत्तर बंगाल अब एक आपदा क्षेत्र में तब्दील होता जा रहा है, जहां हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं।
अगर बारिश का यही सिलसिला जारी रहा, तो सेवक, एनएच-10 और उत्तर बंगाल के कई जिलों में जन-जीवन पूरी तरह से ठप हो सकता है।