समतल के चालकों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया है. एसडीओ को विवाद सुलझाने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया है.अगर प्रशासन ने समतल पहाड़ टैक्सी चालक विवाद को सुलझाया नहीं तो समतल के चालकों ने एक बड़े आंदोलन की धमकी दी है. कहा है कि पहाड़ के चालकों को समतल में घुसने नहीं दिया जाएगा. कल क्या हो सकता है? यह कोई नहीं जानता है.
आज समतल और तराई के चालकों ने एसडीओ को ज्ञापन दे दिया है. यह उनकी तरफ से जैसे आखिरी चेतावनी है. इससे पहले उन्होंने बार-बार प्रशासन से गुहार की. लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. आज पहली बार एसडीओ कार्यालय से उन्हें बुलाया गया. एसडीओ ने विवाद सुलझाने के लिए 24 घंटे का समय मांगा है.
समतल-तराई के चालक प्रशासन के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. सवाल यह है कि अगर प्रशासन ने उनके हक में फैसला नहीं सुनाया तो क्या चालक कानून हाथ में लेने पर मजबूर होंगे? माहौल काफी गर्म है.समतल तराई के चालकों का धैर्य जवाब देने लगा है.वे आक्रोशित हैं और धमकी दे रहे हैं. कुछ चालक कानून हाथ में लेने की बात कर रहे हैं. जबकि बहुत से चालक संविधान और कानून के तहत अगला कदम उठाने की बात कर रहे हैं.
पिछले काफी दिनों से समतल और तराई के चालक दार्जिलिंग पहाड़ में कुछ चालकों की गुंडागर्दी के शिकार हैं और इसीलिए वे कई दिनों से मामले में हस्तक्षेप करने के लिए प्रशासन की गुहार लगा रहे थे. आज महकमा शासक की ओर से उन्हें सकारात्मक संदेश मिला है. इसके बाद चालकों के प्रतिनिधि मंडल ने बाकायदा तैयारी के साथ एसडीओ से मिलकर ज्ञापन सौपा है.
समतल और तराई के चालकों की शिकायत अपनी जगह सही है. जब उन्हें ऑल बेंगल टूरिस्ट परमिट मिला है, तो वे दार्जिलिंग में अपनी गाड़ी क्यों नहीं ले जा सकते हैं? टैक्सी ड्राइवर सिलीगुड़ी से पर्यटकों को उठाते हैं और पर्यटक को गंतव्य स्थान तक ले जाने के हिसाब से भाड़ा तय करते हैं. लेकिन जब वे दार्जिलिंग पहुंचते है तो वहां के कुछ चालक उनकी गाड़ियों को रोक देते हैं और पर्यटक को जबरन अपनी गाड़ी में बिठाकर गंतव्य स्थान ले जाते हैं. ऐसे में पर्यटक उन्हें पूरा भाड़ा क्यों देगा? अगर दे भी देता है तो क्या यह पर्यटकों के साथ अन्याय नहीं है?
समतल के एक चालक ने अपने दर्द का इजहार करते हुए बताया कि विगत 27 तारीख की घटना के बाद उसे पहाड़ में टैक्सी चलाना मुश्किल हो रहा है. समतल के चालकों को पहाड़ में धमकी मिलती है. उनके सारे कागजात सही होते हैं. लेकिन उन्हें झूठे मामले में फ॔साने की साजिश की जाती है. बर्दाश्त की भी एक हद होती है. जब उन्हें all बंगाल का परमिट मिला है तो क्या दार्जिलिंग बंगाल से अलग है? पहाड़ में यहां के परमिट पर क्यों सवाल उठाया जाता है? उन्हें दार्जिलिंग में पर्यटक स्थल पर टैक्सी ले जाने से क्यों रोका जाता है? क्या पहाड़ के टैक्सी चालकों को ही पर्यटक स्थल पर टैक्सी ले जाने का अधिकार है और समतल के टैक्सी चालकों को यह अधिकार नहीं है?
सिलीगुड़ी और आसपास के चालकों के जॉइंट फोरम के कुछ चालकों ने बताया कि जैसे ही वे पर्यटक को लेकर पहाड़ में प्रवेश करते हैं तो रास्ते में पहाड़ के कुछ ड्राइवर उनकी टैक्सी को रोक देते हैं. फूल देते हैं.खदा देकर कहते हैं कि बहुत हो गया. कल से गाड़ी लेकर मत आना. इसके बाद वे जोर जबरदस्ती करते हैं. पर्यटकों को टैक्सी से उतार लेते हैं और वहां से अपनी टैक्सी में बिठाकर उन्हें पर्यटक स्थल ले जाते हैं. यहां के चालकों का कहना है कि अगर हम लोग यहां से पर्यटक नहीं ले जाएंगे तो उन्हें पर्यटक कहां से मिलेगा!
चालकों ने बताया कि पहाड़ के कुछ चालक हमारे पेट पर लात मार रहे हैं. सभी को आजीविका कमाने का अधिकार है. किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. एक चालक ने बताया कि पहाड़ में बंगाली और बिहार टैक्सी चालकों के साथ वहां के चालक गलत व्यवहार करते हैं और उन्हें बात-बात पर अपमानित करते हैं. गाली गलौज तक कर देते हैं. पुलिस से शिकायत करने पर पुलिस भी मूकदर्शक बनी रहती है. ऐसे में हम कहां शिकायत करें? क्या हम टैक्सी चलाना छोड़ दें? हमारा परिवार कैसे चलेगा? टैक्सी का EMI कैसे भरेंगे?
प्रत्येक चालक की अपनी-अपनी पीड़ा और कहानी है. उनमें से अधिकांश पहाड़ के कुछ चालकों की गुंडागर्दी के शिकार हैं. इसलिए वे प्रशासन से फरियाद कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन है कि उनकी सुनता नहीं है. आज जब वे धरना प्रदर्शन करते हुए एसडीओ ऑफिस गए तो वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. बाद में स्वयं एसडीओ ने उन्हें बुलाया और उनका ज्ञापन लिया. इसके साथ ही पहाड़ तराई चालक विवाद सुलझाने के लिए चालकों से 24 घंटे का समय लिया है.
अब देखना होगा कि प्रशासन तराई-पहाड़ टैक्सी विवाद सुलझाने के लिए क्या कदम उठाता है? अगर तराई के चालको के साथ इंसाफ नहीं हुआ तो क्या होगा? जॉइंट फोरम ने चेतावनी दी है कि वह एक बड़ा आंदोलन करेंगे. अगर समतल के टैक्सी चालकों को पहाड़ में जाने नहीं दिया गया तो पहाड़ के चालकों को भी समतल में नहीं आने दिया जाएगा. इस तरह की वे बात कर रहे हैं. इसी से समझा जा सकता है कि पहाड़ के चालकों के प्रति उनका गुस्सा किस हद तक है.

