सिलीगुड़ी: मालगाड़ी में की जा रही लकड़ी की तस्करी को आरपीएफ और जीआरपी ने विफल करते हुए, भारी मात्रा में बर्मा टीक लकड़ी को बरामद किया । आरपीएफ और जीआरपी ने कार्रवाई करते हुए,न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर पहुंची एक मालगाड़ी के कई डिब्बों से भारी मात्रा में बर्मा टीक लकड़ी बरामद किया |
जानकारी अनुसार, मालगाड़ी असम से आ रही थी, वहीं गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर न्यू जलपाईगुड़ी जीआरपी और आरपीएफ ने मालगाड़ी के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर पहुंचते ही छापेमारी शुरू कर दी।
आरपीएफ और जीआरपी ने एक के बाद एक मालगाड़ी के डिब्बों को खोलकर तलाशी ली। मालगाड़ी के हर डिब्बे में बर्मा टीक लकड़ी के लगभग दो से तीन लट्ठे रखे हुए थे। यह मालगाड़ी असम से हावड़ा की ओर जा रही थी।सवाल यह है कि, तस्करी की लकड़ी आखिर भारतीय रेलवे के डिब्बों में कैसे पहुंची, भारतीय रेलवे के कर्मचारियों की नजर में आए बिना इतनी लकड़ी आखिर मालगाड़ी के डिब्बों में कैसे पहुंची। साथ ही इस मामले के सामने आने के बाद अब असम से न्यू जलपाईगुड़ी तक जीआरपी और आरपीएफ के नेटवर्क पर भी सवाल उठ रहे हैं।
यह मालगाड़ी आज सुबह लगभग 11 बजे न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर रुकी। उस समय रेलवे कर्मियों के साथ आरपीएफ और जीआरपी की एक बड़ी टीम ने मालगाड़ी के प्रत्येक कोच को खोलकर तलाशी ली और तभी जानकारी मिली कि, भारतीय रेलवे की मालगाड़ी में बर्मा टीक लकड़ी की तस्करी की जा रही थी। ज्ञात हुआ है कि, प्रत्येक लकड़ी के लट्ठ की कीमत लाखों रुपये से अधिक है। आरपीएफ और जीआरपी का अनुमान है कि, बरामद लकड़ी की कुल कीमत कई करोड़ रुपये है।
न्यू जलपाईगुड़ी जीआरपी और आरपीएफ ने कहा कि, इस मालगाड़ी में अन्य सामानों के साथ लकड़ी की तस्करी की जा रही थी। हालांकि जीआरपी और आरपीएफ रेलवे विभाग के साथ मिलकर इस मामले की जांच कर रही है कि, लकड़ी तस्कर रेलवे जीआरपी आरपीएफ की नजर में आए बिना असम में इस गतिविधि को कैसे अंजाम दे पाए और यह लकड़ी असम से हावड़ा ले जाई जा रही थी। आरपीएफ, जीआरपी और रेलवे के उच्च पदस्थ अधिकारियों का मानना है कि, इस गिरोह में कई बड़े सरगना शामिल हो सकते हैं। मामले की छानबीन की जा रही है |