यात्री बस हो अथवा मालवाहक वाहन, ना तो यात्रियों को डरने की जरूरत है और ना ही मालवाहक वाहन के मालिक अथवा माल भेजने वाले व्यापारियों को. यहां तक कि अगर आप अकेली महिला हैं और बस, टैक्सी अथवा निजी वाहन में सफर कर रही है तब भी आपको डरने की जरूरत नहीं है.पुलिस लगातार आपकी निगरानी कर रही है.
यह सब संभव हो सका है वीएलटीएस से. राज्य सरकार ने अपना वायदा पूरा किया है. राज्य भर में सभी यात्री और वाणिज्यिक वाहनों में यह सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है. इससे सफर के दौरान अगर आप कोई परेशानी या मुसीबत का सामना कर रहे हैं तो तुरंत ही बटन को दबा दें.कुछ ही देर में पुलिस आपका पीछा करते हुए आ जाएगी. लेकिन इस बटन को लेकर कुछ समस्या भी सामने आ रही है.
कई यात्री चलती बस अथवा वाहन में लगे डिवाइस के बटन को उत्सुकतावश दबा देते हैं. जिससे कंट्रोल रूम को भागकर पहुंचना होता है. जब पुलिस वाहन का पीछा करते हुए आती है तो पता चलता है कि ऐसा उत्सुकतावश किया गया है. इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि यात्रियों को इसके लिए जागरूक किया जाएगा ताकि ऐसे बटन का उपयोग आपातकाल में किया जा सके.
वाहन में फिटनेस सर्टिफिकेट तभी उपलब्ध हो सकेगा, जब आप इस विशेष डिवाइस वीएलटीएस को अपने वाहन में लगाएंगे. यह विशेष प्रकार के बटन लगाने से कंट्रोल रूम से वाहन की आवाजाही को ट्रैक किया जाता है. प्राइवेट बसों में सीट की क्षमता के हिसाब से हर यात्री की सीट के ऊपर दोनों तरफ यह बटन लगाया गया है. कैसे काम करता है यह डिवाइस? जैसे ही आप बटन दबाते हैं इससे कंट्रोल रूम में पैनिक कॉल चला जाता है.इसके बाद वाहन में लगे डिवाइस का लोकेशन ट्रेस करने के बाद स्थानीय थाने की पुलिस वहां मदद के लिए पहुंच जाती है.
कोलकाता में पैनिक बटन से खिलवाड़ की घटनाएं बहुत आ रही है. उत्तर बंगाल में अभी यह स्थिति नहीं देखी जा रही है. यहां के कई वाहनों में अभी यह सिस्टम नहीं देखा जा रहा है. लेकिन जल्द ही सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल के निजी और सभी तरह के व्यवसायिक और यात्री परिवहन बसों में पैनिक सिस्टम का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से होने लगेगा. अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला पश्चिम बंगाल पहला राज्य होगा, जहां यात्री निर्भीक और निश्चिंत होकर गंतव्य स्थल की यात्रा कर सकेंगे.