असम, मणिपुर तथा बंगाल में सीमा पार वन्यजीव तस्करी गतिविधियों को अंजाम देने वाले विभिन्न गुटों की सहायता और समर्थन करने तथा उन्हें विभिन्न तरह से आर्थिक मदद पहुंचाने वाले अंतर्राष्ट्रीय वन्य जीव तस्कर नेटवर्क की प्रमुख कड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पुलिस और वन विभाग को नाको चने चबाने वाला आखिरकार रिकू नरजारी वन्य जीवों का शिकार करते-करते वन विभाग और पुलिस का भी शिकार हो गया.
पुलिस और वन विभाग के कर्मी काफी समय से उसके पीछे पड़े थे. लेकिन वह लगातार स्थान बदल रहा था. पुलिस और वन विभाग से आंख मिचौली करता आ रहा यह तस्कर सरगना बंगाल ,असम, मणिपुर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपने विभिन्न तस्कर गुटों के बीच वन्य जीव तस्करी गतिविधियों को अंजाम देता रहा. लेकिन कहते हैं कि जब पाप का घड़ा भरता है तो एक न एक दिन फूट ही जाता है. इंटेलिजेंस ब्यूरो, पुलिस तथा वन विभाग की उसे गिरफ्तार करने की नायाब योजना और ऑपरेशन आखिरकार सफल रहा. इसके साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन्य जीव पशुओं का कहर समझे जाने वाले इस अंतरराष्ट्रीय तस्कर का खेल अब खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है.
पूर्वोत्तर क्षेत्रों में जंगली जीवों का बसेरा है. यहां घने जंगल और पार्क हैं. जंगलों में विभिन्न तरह के जंगली पशु पाए जाते हैं. इन पशुओं को मारकर उनके बाल, सिंग और हड्डियों की तस्करी करने में कई गैंग सक्रिय हैं. विदेशों में जंगली जानवरों की खाल, सिंग और हड्डियों की भारी मांग है. क्योंकि इनसे कई तरह के अमूल्य सामान तैयार किए जाते हैं. यही कारण है कि इन क्षेत्रों में वन्य जीवों का शिकार करने वाले गिरोह काफी सक्रिय हैं. रिकू नरजारी इन सभी गुटों का सरगना है जो शुरू से ही अवैध गतिविधियों को अंजाम देता रहा है.
इसी रिकू नरजारी को असम के कामरूप जिले से पकड़ा गया है. इस अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्कर को गिरफ्तार करने के लिए असम और बंगाल का फॉरेस्ट विभाग व पुलिस काफी दिनों से उसके पीछे पड़ी थी. लेकिन यह किसी एक स्थान पर रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम नहीं देता था. यह लगातार स्थान बदल रहा था. मोबाइल और पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने सुरक्षा यंत्रों को विशेष सतर्कता यंत्रों से सुसज्जित रखा था, जो उसे पुलिस की पहुंच से दूर रखते थे. गुप्तचर विभाग ने उसकी इसी कड़ी को तोड़ने का बीड़ा उठाया. अलीपुरद्वार के पुलिस अधीक्षक वाई रघुवंशी ने दोनों राज्यों के वन विभाग और पुलिस को ऑपरेशन संचालित करने में काफी मदद की. उनके कारण ही यह बड़ी सफलता हाथ लगी है.
रिकू नरजारी को पूर्वोत्तर क्षेत्र में डेविड गीते और डामरा के नाम से भी जाना जाता है. यह आतंक का पर्याय बन चुका था. मुख्य रूप से यह गेंडे के सिंग का शिकार करने वाले विभिन्न तस्कर गुटों की मदद करता था. उन्हें हथियार, फंड आदि मुहैया कराता था. सीमा पार हो रही अवैध तस्करी में सीधे इसका ही हाथ होता था. इसके इशारे पर ही सीमा पार वन्य जीव तस्करी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा था. पुलिस और वन विभाग काफी परेशान था. रिकू नरजारी असम, मणिपुर तथा बंगाल में अपनी गतिविधियों को एक विशेष नेटवर्क के द्वारा संचालित करता रहा है. सूत्रों ने बताया कि रिकू नरजारी का जल्दापारा नेशनल पार्क में 2014 से ही गेंडे के सिंग की चोरी चुपके शिकार की घटनाओं से संबंध रहा है.
रिकू नरजारी पूर्व में भी गिरफ्तार होकर जेल जा चुका है. उसे 3 साल की सजा हुई थी. 2019 में जेल से निकलने के बाद उसने फिर से अपना पुराना धंधा शुरू किया. जब तक वन विभाग और पुलिस उसके पीछे लगती, वह पूर्वोत्तर इलाकों में वन्य जीव पशुओं का शिकार करने वाले गुटों का हौसला अफजाई करता रहा. 2019 के बाद जब पुलिस और वन विभाग के लोगों ने सख्ती दिखाई, तब वह भाग कर मणिपुर चला गया और वहां मणिपुर के चुराचंदपुर में अपनी गतिविधियों को संचालित करने लगा. यहां भी उसने पुलिस और वन विभाग की नाकों में दम कर दिया. अब नरजारी बंगाल पुलिस की कैद में है.
बंगाल पुलिस उसे रिमांड में लेकर उसके अतीत को खंगालना चाहेगी. रिकू नरजारी से पुलिस पूछताछ करेगी. वन विभाग रिकू से पूछताछ करके यह पता लगाएगा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में और कौन-कौन से तस्कर गुट सक्रिय हैं, जिन्हें वह सहायता करता रहा है तथा उन्हें फंड मुहैया करता रहा है. इस पूछताछ में वन्य जीव तस्करी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भी भंडाफोड़ होने की उम्मीद की जा रही है. बंगाल के मुख्य वन्य रक्षा वार्डन देबल राय, जो फॉरेस्ट विभाग में मुख्य कंजरवेटर भी हैं, बताते हैं कि रिकू नरजारी की गिरफ्तारी से क्रॉस बॉर्डर एरिया में वन्य जीव तस्करी की गतिविधियों की रोकथाम में मदद मिलने की उम्मीद है.
जल्दापारा नेशनल पार्क प्राधिकरण रिकू नरजारी की गिरफ्तारी से राहत महसूस कर रहा है. उसे लगता है कि इलाके में गेंडे की सुरक्षा हो सकेगी तथा अपराधियों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी. वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार कहते हैं कि वन्य जीव अपराध के खिलाफ हमारे जीरो टॉलरेंस नीति का ही यह परिणाम है. वन्य जीव तस्करों के खिलाफ हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी.
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