तारापीठ, बीरभूम (22 अगस्त): कौशिकी अमावस्या के पावन अवसर पर बीरभूम स्थित सिद्धपीठ तारापीठ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही लाखों श्रद्धालु मां तारा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में जुटे।
सुबह 11:55 बजे अमावस्या तिथि शुरू होने से पहले मां की ब्रह्मशिला मूर्ति को स्नान कराया गया और उन्हें राजराजेश्वरी रूप में श्रृंगारित कर मंगल आरती की गई। इसके बाद भक्तों के लिए गर्भगृह के द्वार खोले गए।
मान्यता है कि इस तिथि को देवी दुर्गा के कोश से देवी कौशिकी का जन्म हुआ था, जिन्होंने शुंभ-निशुंभ नामक असुरों का वध कर देवताओं की रक्षा की थी। इसी कारण यह अमावस्या “कौशिकी अमावस्या” के नाम से जानी जाती है।
जनश्रुति है कि तारापीठ के महाश्मशान में अनेक साधकों ने इसी रात साधना कर सिद्धि प्राप्त की थी। आज देवी को भोग स्वरूप पोलाओ, मछली, पাঁठा मांस, शोल मछली, पांच प्रकार की मिठाइयाँ, पायस आदि अर्पित किया जाएगा। रातभर विशेष पूजा, तंत्र साधना और भोग अर्पण का आयोजन चलेगा।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक हजार पुलिसकर्मी, 1700 सिविक वॉलंटियर और 300 मंदिर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही मंदिर परिसर में सीसीटीवी और मेटल डिटेक्टर भी लगाए गए हैं।