भारत में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर ₹100 से ज्यादा है. जबकि भूटान में इसका वर्तमान भाव 63 रुपए प्रति लीटर है. भूटान घूमने जाने वाले पर्यटक की आड़ में तस्कर पेट्रोलियम पदार्थों की तस्करी करते हैं. इसी तरह से भूटान से मारिजुआना समेत Drugs की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है. इन पदार्थों के अलावा भूटान से सस्ती शराब, केरोसिन तेल और वन्य जीवों के देहांश की तस्करी उच्च स्तर पर हो रही है.
सूत्रों ने बताया कि भारत और भूटान दोनों देशों के अधिकारियों की नजर काफी समय बाद इन पर गई है. इससे दोनों देशों को भारी नुकसान हो रहा है. भूटान सरकार काफी समय से लापरवाही बरत रही थी. जबकि भारत की ओर से खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर भूटान पर दबाव बढ़ाया जा रहा था. आखिरकार भूटान सरकार इस पर सहमत नजर आ रही है. यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि कई पिछली कई बैठकों के बाद नतीजा सकारात्मक रहा है.
इन दिनों सिलीगुड़ी, असम, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ भूटान से भी विभिन्न तरह के मादक पदार्थ, वन्य जीवों के देहांश तथा अन्य वस्तुओं की तस्करी की जा रही है. भूटान घूमने के नाम पर पर्यटक बन कर कई लोग जयगांव के रास्ते भूटान सीमा में प्रवेश करके पूंछोलिंग में पेट्रोल और डीजल की तस्करी करते हैं. भूटान में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत काफी कम है. आमतौर पर देखा जाता है कि भूटान घूमने गए पर्यटक पूंछोलिंग में अपनी कार की टंकी फूल करवा देते हैं. फिर भूटान से वापसी में भारत में बेच देते हैं.
भूटान से जिन वस्तुओं की तस्करी की जा रही है, उनमें इलेक्ट्रॉनिक सामान के अलावा उच्च नशे के सामान, हाथी दांत, वन्य जीवों के देहांश इत्यादि शामिल हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी कीमत है. उत्तर बंगाल और असम में सक्रिय तस्कर गिरोह के लोग भूटान से तस्करी करके इन्हें बांग्लादेश अथवा भारत से बाहर के देशों में भेजते हैं, जहां से उन्हें अच्छा खासा पैसा मिलता है. सूत्रों ने दावा किया है कि जिस तरह से सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस नशीले पदार्थों की बरामदगी कर रही है, उनमें से लगभग 50% भाग भूटान से तस्करी कर सिलीगुड़ी के रास्ते भारत लाया जाता है.
जानकार मानते हैं कि अगर भूटान से मादक पदार्थों की तस्करी को रोका जाए तो सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान Say to no ड्रग्स को भारी सफलता मिल सकती है. इसके साथ ही उत्तर बंगाल में सक्रिय तस्कर गुट भी काफी ठंडा पड़ सकता है. काफी दिनों से अधिकारी स्तर पर भारत भूटान के अधिकारियों की बैठक चल रही थी. लेकिन किसी न किसी मुद्दे पर बात नहीं बनती थी. परंतु अब इस दिशा में एक सकारात्मक समाचार प्राप्त हो रहा है. कम से कम तस्करी के मुद्दे पर भारत और भूटान के बीच सहमति बन चुकी है.
दोनों देश मिलकर तस्करी की रोकथाम करेंगे. चालसा में एक निजी रिसोर्ट में भारत भूटान सीमा जिला समन्वय समिति की पिछले दिनों एक बैठक हुई थी. इस दो दिवसीय बैठक में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. भारत और भूटान के बीच उत्तर बंगाल जिला पुलिस और प्रशासन की ओर से भूटान को कई शिकायतें दी गई. जबकि भूटान सरकार से तस्करी को रोकने के लिए अन्य आवश्यक कदम उठाने के लिए अनुरोध किया गया. भूटान से शराब, पेट्रोल, केरोसिन तेल और वन्य जीवन के देहांश की तस्करी की जा रही है.
दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि सीमा पर तैनात पुलिस और खुफिया विभाग तस्करी को रोकने के लिए एक दूसरे को सूचनाओं और सहयोग का आदान-प्रदान करेंगे. आपको बताते चलें कि भूटान सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच यह 26वीं बैठक थी. प्रतिनिधि के तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार के जलपाईगुड़ी के विभागीय आयुक्त अनूप कुमार अग्रवाल, उत्तर बंगाल पुलिस के आई जी राजेश कुमार यादव, वन विभाग के राजेश कुमार के साथ-साथ जलपाईगुड़ी दार्जिलिंग, कूचबिहार और अलीपुरद्वार जिलों के जिला अधिकारी और जिला पुलिस अधीक्षक शामिल थे. जबकि भूटान सरकार की ओर से भूटान के महानिदेशक, भूटान के सुरक्षा अधिकारी कर्मा दोरजी तथा अन्य शामिल थे.
यह सच है कि भूटान सरकार अगर भारत को सही समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहयोग करती है, तो तस्करी के कार्य में लगे तस्करों के नेटवर्क को भारी क्षति पहुंच सकती है. वर्तमान में हमारी पुलिस तस्करों तक पहुंचने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रही है. परंतु भूटान सरकार से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही तस्करों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि भूटान सरकार के अधिकारियों को पटा लेने में तस्कर महारत हासिल रखते हैं और इस तरह से वे अपना काम निकाल लेते हैं. बहर हाल यह देखना होगा कि भारत भूटान सहमति से उत्तर बंगाल में तस्करी को रोकने में कितनी सफलता मिलती है!
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