आज सिलीगुड़ी के धार्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया, जब सिलीगुड़ी पुलिस श्री साईं बाबा मंदिर के भक्तों के विरोध के बावजूद मंदिर को खाली कराने में सफल रही. यह भी चर्चा है कि आस्था पर कोर्ट का आदेश भारी पड़ा. लेकिन इसके साथ ही सवाल यह भी है कि जब कोर्ट का आदेश 2022 में ही आ गया था, तो मंदिर को खाली कराने में 3 साल क्यों लग गए? इसको लेकर बहुत सी बातें कही जा रही हैं. कहीं ना कहीं श्री साईं बाबा के भक्तों में भी नाराजगी देखी जा रही है. 20 साल पुराने मंदिर का यह हश्र होगा, किसी ने भी नहीं सोचा था…
आज सिलीगुड़ी में पुलिस कमिश्नरेट की पुलिस सिलीगुड़ी के एम आर रोड, वार्ड नंबर 8 में स्थित श्री साईं बाबा मंदिर को खाली कराने पहुंची तो श्री साईं बाबा मंदिर प्रबंधन पक्ष और श्री साईं बाबा के भक्तों की ओर से आपत्ति की गई. पुलिस ने कोर्ट के आर्डर को दिखाया है और कहा है कि पुलिस सिर्फ कोर्ट के आर्डर का अनुपालन कर रही है. भारी गहमागहमी और तनाव के बीच पुलिस ने बगैर सख्ती दिखाए ही मंदिर से सामान खाली करवा दिया. जहां कभी भक्तों का जमावड़ा होता था, आज वह भाग खाली हो गया. अब यहां श्री साईं बाबा की आरती नहीं होगी. और ना ही प्रसाद वितरण होगा.
मिली जानकारी के अनुसार खालपाड़ा के एम आर रोड में स्थित श्री साईं बाबा मंदिर बरसों से चल रहा है. जिस बिल्डिंग में मंदिर स्थापित है, वह पूरा बिल्डिंग गैर कानूनी तरीके से बना है. मंदिर की भूमि और बिल्डिंग के दावेदार माने जाने वाले अजीत कुमार मलिक, रत्ना मलिक और हिमेल मलिक ने मंदिर की यह भूमि किराए पर दी थी. बाद में उन्होंने पुजारी पक्ष से मंदिर खाली करने को कहा. लेकिन मंदिर पक्ष ने बिल्डिंग खाली करने से मना कर दिया.
इसके बाद तीनों दावेदारों ने मंदिर खाली करने को लेकर 2015 में मंदिर प्रशासन पर एक मुकदमा संख्या 57/ 2002 दर्ज किया था. इस पर अदालत में कार्यवाही शुरू हुई. साईं बाबा मंदिर प्रशासन को कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी किया गया और अदालत में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया. लेकिन चर्चा है कि मंदिर प्रशासन ने कोर्ट के आदेश की तामील नहीं की. उसके बाद 2022 में कोर्ट की तरफ से दावेदारों के पक्ष में फैसला आया. इसमें कोर्ट ने कहा कि मंदिर की मिल्कियत अजीत कुमार मलिक, रत्ना मलिक और हिमेल मलिक की है. इस पर बना कोई भी ढांचा अवैध है.कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि मंदिर को खाली कराकर दावेदारों के सुपुर्द किया जाए.
आज एसीपी फारूक मोहम्मद चौधरी ने कोर्ट के आदेश की प्रति पढ़ते हुए कहा कि पुलिस का काम कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है. पुलिस अपना काम करेगी. अगर मंदिर प्रशासन को किसी तरह की कोई आपत्ति है, तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाए. जब पुलिस दलबल के साथ मौके पर पहुंची तो लोगों की भारी भीड़ जुटी थी. इसके अलावा श्री साईं बाबा मंदिर पक्ष और दावेदारों के पक्ष के लोग भी मौके पर उपस्थित थे. श्री साईं बाबा मंदिर के पुजारी का कहना है कि उन्होंने किसी भी नोटिस पर कोई हस्ताक्षर ही नहीं किया तो यह कैसे समझा जाए कि उन्हें नोटिस मिला है.
श्री साईं बाबा मंदिर खाली कराने के क्रम में काफी गहमागहमी देखी गई. पक्ष और विपक्ष के लोग आक्रामक नजर आए. मंदिर प्रशासन के अपने तर्क थे. लेकिन कानून सभी पर भारी पड़ा. पुलिस ने व्यवस्था बनाई. दावेदार पक्ष ने कोर्ट के आदेश की बात की. आपको बताते चलें कि खालपाड़ा में स्थित श्री साईं बाबा मंदिर लगभग 20 साल पुराना है और किराए पर चल रहा था.
उधर इस पूरे विवाद में लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है. लोगों का कहना है कि किसी भी मंदिर को हटाना या खाली करना धार्मिक रूप से सही नहीं है. यह आस्था का विषय है. जबकि ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो यह कहते हैं कि मंदिर की भूमि पाक और साफ होनी चाहिए. अवैध भूमि पर मंदिर की स्थापना अच्छी बात नहीं है. इस तरह से अनेक लोग अनेक तरह से इस पूरे मुद्दे पर अपनी बात रख रहे हैं. आप इस पर क्या विचार रखते हैं, हमें जरूर बताइएगा.
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