9 जुलाई को भारत बंद की तैयारी देश के अलग-अलग भागों में की जा रही है. श्रमिक संगठनों के लोग बैठक कर रहे हैं. अलग-अलग कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जा रही है. हालांकि यह कितना सफल होगा, यह बता पाना मुश्किल है. परंतु सिलीगुड़ी और पहाड़ में प्रस्तावित 9 जुलाई के भारत बंद की पुरजोर तैयारी चल रही है.
9 जुलाई का भारत बंद समतल से लेकर पहाड़ तक सुर्खियों में है. इस बार श्रमिक संगठन भारत बंद को लेकर व्यापक तैयारी कर रहे हैं.कई राजनीतिक दल भी इसमें कूद पड़े हैं. सिलीगुड़ी पहाड़ और द्वारकाधीश में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता 9 जुलाई को प्रस्तावित भारत बंद को सफल बनाने के लिए समतल से लेकर पहाड़ तक के नागरिकों से अपील कर रहे हैं.
9 जुलाई का प्रस्तावित भारत बंद के पीछे बहुत से कारण हैं. उनमें से एक बड़ा कारण श्रमिकों का शोषण है. श्रमिकों से 9 से 12 घंटे तक काम कराए जाते हैं. जबकि संविधान में 8 घंटे कार्य ही उल्लेखित है. अगर कोई श्रमिक प्रबंधकों के हिसाब से काम नहीं करता है तो उन्हें धमकी दी जाती है. माकपा के वरिष्ठ नेता के वी वातर ने कहा है कि श्रमिकों के इसी शोषण के खिलाफ देशभर के श्रमिक संगठनों ने 9 जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है.
इस समय माकपा के नेता जगह-जगह रैलियां कर रहे हैं. दार्जिलिंग के चौक बाजार में आयोजित एक जनसभा के दौरान माकपा नेता के वी पातर ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने श्रमिक विरोधी कानून को पारित किया है. इससे मजदूरों के अधिकार का दमन हुआ है.
दार्जिलिंग के मजदूर, खेत में काम करने वाले श्रमिकों, वाहन चालक तथा आम नागरिकों से 9 जुलाई के भारत बंद के समर्थन की अपील की जा रही है. माकपा नेता कह रहे हैं कि यह केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह श्रमिकों के हक की लड़ाई है. पहाड़ के लोग भावनात्मक मुद्दों पर जल्दी ही जुड़ जाते हैं. नेता इसे भुनाने की कोशिश करते हैं. माकपा भारत बंद को सफल बनाने के लिए पहाड़ के लोगों खासकर श्रमिकों को उस दिन की याद दिला रही है, जब 25 जून 1955 को मार्गरेट्स हॉप टी गार्डन में पुलिस फायरिंग में 6 श्रमिकों की मौत हुई थी.
हालांकि इस घटना के बाद आंदोलन और भी ज्यादा उग्र हो गया था. आखिर में राज्य की तत्कालिन कांग्रेस सरकार को श्रमिकों की मांगों को स्वीकार करना पड़ा था. समतल में भी विभिन्न जगहों पर भारत बंद के समर्थन में रैलियां की जा रही हैं. हालांकि यह देखना होगा कि 9 जुलाई का प्रस्तावित भारत बंद देशभर में सफल होता है या नहीं. पर इतना तो तय है कि पहाड़ और समतल में इसका कुछ ना कुछ असर जरूर हो सकता है.
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