लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. भाजपा बहुमत से काफी पीछे रह गई है. लेकिन एनडीए को बहुमत मिल गया है. यह भी स्पष्ट हो गया है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे. नरेंद्र मोदी 8 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ भी लेंगे. यूं तो भाजपा ने कहीं खोया और कहीं पाया भी है लेकिन उसे सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से आशा थी. जहां भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. और तो और भाजपा को अयोध्या में ही हार का सामना करना पड़ा है. इससे न केवल सनातनी लोग बल्कि पूरा देश अचंभित है. यहां तक कि विपक्षी पार्टियां भी भाजपा के अयोध्या हारने से हैरान है.
भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद थी कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा को सबसे बड़ी सफलता मिलेगी. क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी की बदौलत ही जनवरी महीने में ही अयोध्या में श्री राम लला विराजमान हुए थे. अयोध्या में श्री राम मंदिर, भगवान श्री राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह, भव्य राम मंदिर का निर्माण इत्यादि का श्रेय भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जाता है. इसके अलावा अयोध्या में बहुत से विकास कार्य हुए हैं. इनमें एयरपोर्ट से लेकर अयोध्या का सूरते हाल तक बदल देने के लिए बीजेपी को कभी नहीं भूला जा सकता.
जहां इतने सारे विकास कार्य हुए हों, जहां देश का गौरव श्री राम लला विराजमान हों, जहां सनातन धर्म की ज्योति रात दिन जलती हो, जहां से पूरे देश को संदेश जाता हो, वहां अयोध्या में ही भाजपा का हार जाना किसी को भी चकित कर सकता है. देश के दूसरे शहरों की तरह सिलीगुड़ी के सनातनी लोग भी इसकी चर्चा कर रहे हैं. आखिर अयोध्या में बीजेपी हारी तो क्यों हारी. केंद्र और प्रदेश सरकार ने अयोध्या में विकास की गंगा बहाई.अंतरराष्ट्रीय स्तर का अयोध्या धाम का रेलवे स्टेशन बना. राम की पैड़ी की सुंदरता बढ़ाई गई. श्री राम लला का प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद से सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के कोने-कोने से लोग अयोध्या में श्री राम लला का दर्शन करने गए. इतना विकास और धर्म का काम करने के बावज़ूद भाजपा लोकसभा सीट हार गई.
दरअसल इसके पीछे खुद बीजेपी जिम्मेवार है. भाजपा अति विश्वास की शिकार हुई है. इसके अलावा अयोध्या से भाजपा ने जो प्रत्याशी दिया था, उनके घमंड ने भाजपा को डुबो दिया. यहां से भाजपा ने लल्लू सिंह को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन लल्लू सिंह से अयोध्या की जनता नाराज थी. 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह अयोध्या से जीते थे तो उन्होंने लोगों से कहना शुरू कर दिया था कि आप लोगों ने मोदी को वोट दिया. मुझे नहीं. इसके अलावा श्री राम पथ का निर्माण हुआ. इसमें हजारों दुकानें और मकान तोड़ दिए गए. लेकिन उसका मुआवजा किसी को नहीं दिया गया. जब पीड़ित लोग अपने जनप्रतिनिधि के पास जाते तो लल्लू सिंह का यही जवाब होता था कि यह मामला सरकार का है. वह कुछ नहीं कर सकते. कम से कम अयोध्या सीट हारने का यह प्रमुख कारण बना.
हालांकि सिलीगुड़ी के सनातनी विचार के लोगों को यह गले से नहीं उतर रहा है कि केवल उम्मीदवार के चलते भाजपा अयोध्या से हार गई. लोग तो यह भी कहते हैं कि यह पूरा चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया था. ऐसे में क्या हो गया कि लोगों ने मोदी के नाम पर वोट नहीं किया. कहीं ना कहीं नरेंद्र मोदी भी अयोध्या में पार्टी की हार से जरूर दुखी होंगे. क्योंकि इतना सब कुछ करने के बावजूद ना तो उनका धर्म चला और ना ही विकास का मॉडल. अयोध्या की हार का प्रारंभिक कारण तो यही नजर आता है. आपकी नजर में भाजपा की अयोध्या में हार का कारण क्या है. बहरहाल, भाजपा जरूर अयोध्या समेत उत्तर प्रदेश में पार्टी की करारी हार का मंथन करेगी.
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