पिछले कुछ दिनों से लगभग रोजाना ही सिलीगुड़ी शहर में शादी विवाह, रिसेप्शन आदि के कार्यक्रम हो रहे हैं.आज से 15 दिसंबर तक आप लगभग रोजाना ही शहर में शादी विवाह होते देख सकते हैं. रिसेप्शन, वेडिंग, सगाई पार्टी आदि का खूब एंजॉय कर सकते हैं.आज, कल, 13 तारीख, 14 तारीख और 15 तारीख को सिलीगुड़ी शहर में शादी विवाह और अनेक मांगलिक कार्यक्रम रखे गए हैं. सिलीगुड़ी के लगभग सभी भवन इन पांच दिनों में बुक हो चुके हैं.
लेकिन इसके बाद यानी 16 दिसंबर से शहर में सन्नाटा पड़ जाएगा. नहीं बजेगी शहनाई. केवल सिलीगुड़ी ही क्यों, देश भर में हिंदू वैदिक और सनातन धर्म को मानने वाले लोग शादी के लिए तरस कर रह जाएंगे. पूरे 1 महीने तक शहर और पूरे देश में शादियां नहीं होगी और ना ही मांगलिक कार्य संपन्न होंगे. क्योंकि 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है जो एक माह तक चलेगा.
हमारे हिंदू वैदिक धर्म में खरमास के महीने में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है और ना ही किसी तरह का कोई मांगलिक कार्य होता है. पंडितों और प्रकांड विद्वानों के अनुसार भगवान सूर्य ब्रह्मांड का चक्कर काट कर 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश करेंगे, तो खरमास लग जाएगा. खरमास में शादी विवाह, मुंडन,गृह प्रवेश आदि संस्कार नहीं होते. पूरा एक माह तक इंतजार करने के बाद 15 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में आएंगे. उसके बाद शुभ कार्य संपन्न होने लगेंगे.
पंडितों और विद्वानों के अनुसार सूर्य देव जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तब वह अपने गुरु की सेवा में लग जाते हैं. ऐसे में उनका प्रभाव कम हो जाता है. यही कारण है कि इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होता. बड़े बुजुर्ग भी कहते हैं कि खरमास के दौरान गुरु का बल काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त समय नहीं होता. मांगलिक कार्यों के लिए सूर्य और गुरु का शुभ स्थिति में होना आवश्यक है.
लोगों में मान्यता है कि खरमास के महीने में शादी अथवा सगाई करने से दंपतियों को जीवन भर दुःख और विपत्ति का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा घर में दरिद्रता और क्लेश छाई रहती है.व्यक्ति जिस कार्य में हाथ डालता है, वह कभी सफल नहीं होता. जिस कारण घर में अशांति और पारिवारिक विद्रोह की सृष्टि हो जाती है.