देखिए राजनीती में तालियां और तंज एक साथ बजती हैं, राजनीती में हर फैसले, हर बयान के पीछे वो सच्चाई होती है जो आगे से दिखाई नहीं देती। लेकिन कुछ फैसले ऐसे होते हैं की लगता है की जैसे अगर थोड़ी बहुत राजनीती उसपर हो भी रही है तो होने दो, जनता का फायदा भी तो हो रहा है। अब सुधार की गूँज गंगटोक से लेकर सिलीगुड़ी तक और सिलीगुड़ी से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे रही है। लेकिन साथ ही साथ सुनाई दे रहा है, बिहार का चुनाव , ट्रम्प का टेर्रिफ वॉर और मज़बूत विपक्ष का लोकतंत्र और जनता को फायदा। लेकिन जो भी हो केंद्र ने जीएसटी सुधार में जो फायदा जनता को पहुँचाया है , उससे कहीं न कहीं व्यापारियों और आम जनता ने राहत की सांस ज़रूर ली है , की देर आये पर दुरस्त आए।
जीएसटी सुधार की सराहना इसी तरह से सिक्किम में भी हो रही है। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने इसे “परिवर्तनकारी पहल” बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद दिया है। उन्होंने अपने ट्विटर x पर पोस्ट कर कहा की शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और ज़रूरी वस्तुओं पर नए स्लैब “सार्वभौमिक और समावेशी विकास” की ओर ले जाएंगे। उनका दावा है कि किसान, व्यापारी और आम लोग सभी को इससे फायदा होगा और यह प्रधानमंत्री के पारदर्शी और न्यायपूर्ण टैक्स सिस्टम के विज़न के अनुरूप है। GST का नया ढांचा अब 22 सितंबर से लागू होगा, जिसमें टैक्स की दरें सिर्फ दो स्तरों पर होंगी, 5% और 18%। जबकि तंबाकू और अल्ट्रा-लक्ज़री सामानों पर विशेष 40% की दर लागू होगी। पहले यही टैक्स चार स्लैब में बंटा था,5, 12, 18 और 28 प्रतिशत में ।
अब सिक्किम में सिर्फ मुख्यमंत्री गोले ही नहीं, बल्कि बीजेपी की सिक्किम इकाई भी इस सुधार को “गरीब और किसानों के बोझ को घटाने वाला कदम” बता रही है। पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि छोटे उद्यमियों और MSMEs को सबसे ज़्यादा राहत मिलेगी, क्योंकि अब उनकी Compliance cost कम होगी और कारोबार आसान होगा। सिक्किम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डी.आर. थापा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “NextGen GST, pm मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जिससे गरीब, किसान, महिला और युवा सभी को राहत मिलेगी।”
अब लेकिन यहाँ सिक्किम के लिए गौर करने वाली बात ये भी रहेगी की GST में सुधर सिक्किम को कितना नुक्सान पहुंचा सकता है , सिक्किम जो पहले ही 2023 की विनाशकारी बाढ़ के बाद उभरने की कोशिश कर रहा है , सिक्किम जिसे बार बार nh 10 के बंद हो जाने से करोड़ों का नुक्सान उठाना पड़ता है, वहां सरकार को gst में बदलाव से कितना नुक्सान पहुंचेगा इसका भी आंकलन करना चाहिए। खैर सिक्किम के मुख्यमंत्री और सिक्किम भाजपा ने इस बदलाव के लिए सहमति जताते हुए , केंद्र की सराहना की है।
लेकिन जैसे मैं पहले ही कह चूका हूँ राजनीति में तालियाँ और तंज़ साथ-साथ बजते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने अपने x ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर कहा है की “भाई, सुधार तो स्वागत योग्य है, लेकिन 8 साल देर से?” उनके इस व्यंग्य को उन्होंने आगे साफ किया और कहा की जिस जीएसटी ढाँचे का वे 2017 से विरोध कर रहे थे, वही आज बदला जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वजह सिर्फ बिहार चुनाव हैं, या फिर अमेरिका के ट्रम्प टैरिफ, या अर्थव्यवस्था की सुस्ती और बढ़ता कर्ज़, या ये सब कुछ ही ?
दरअसल बात यूँ है की जनता महँगाई और टैक्स बोझ के नीचे कराह रही थी। अब जब चुनावी साल है, तो सरकार को ‘समावेशी विकास’ की याद आ गई है । विपक्ष का व्यंग्य भी इसी पर है की “जब जनता आठ साल तक टैक्स के बोझ तले दब रही थी, तब सुधार क्यों नहीं हुआ?” हालाँकि कुछ लोग ये कहने से भी नहीं चूक रहे हैं की ‘वोट चोरी’ मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ये सब इस वक़्त किया गया , यानी की इसकी टाइमिंग पर , चुनावों को देखते हुए , सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन कहीं कहीं से भी हवा बाह रही है की , विपक्ष ने जिस प्रकार मज़बूती से मुद्दे उठाए हैं , ऐसे में सर्कार भी समझ गई है की जनता मुद्दों को सुन रही है , ध्यान भटकाऊ राजनीती नहीं चल रही है और ये की अब पेट्रोल के दाम चाहे न घटे , gst में सहूलियत देके इसे क्रन्तिकारी बताकर एक आध चुनाव तो निपट ही सकता है। खैर मज़बूत सर्कार के लिए एकजुट और कड़ा विपक्ष कितना फायदेमंद होता है , जनता के लिए ये सब कुछ दिनों से भारत की जनता देख ही रही है। बाकी ये नेवर एंडिंग साइकिल है , कल को कुर्सियां बदली तो हालात यही होंगे। पक्ष – विपक्ष के बीच कुर्सी चाहिए प्रतियोगिता और उसके इर्द गिर्द घिरी राजनीती कभी खत्म नहीं होती है।