लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों ने बागियों का सामना जरूर किया है. तृणमूल कांग्रेस से लेकर कांग्रेस, भाजपा इत्यादि दलों ने विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में बागियों का सामना किया है. ऐसी भी खबरें आ रही है कि बागियों ने कई जगह अपने दल के अधिकृत उम्मीदवारों का खेल भी बिगाड़ा है. इसमें वह कितने कामयाब हुए हैं, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. अब चुनाव परिणाम का इंतजार किया जा रहा है. अगर किसी दल का उसके बागियों के कारण नुकसान होता है, तो निश्चित है कि उस दल के द्वारा बागियों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
सिक्किम भाजपा ने बागियों पर कार्रवाई करने के लिए एक अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी गठित की है. सिक्किम प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष डी आर थापा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी का गठन करके इसमें पांच लोगों को शामिल किया है. कमेटी के अध्यक्ष कर्मा पी भूटिया को बनाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भाजपा चुनाव परिणाम के बाद सिक्किम में बागियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
हाल ही में संपन्न सिक्किम विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के कई छोटे बड़े नेता पार्टी से असंतुष्ट होकर बगावत पर उतर गए. उन्होंने अपने उम्मीदवारों को हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इसे सिक्किम भाजपा ने गंभीरता से लिया है. 26 अप्रैल को पार्टी प्रवक्ता पास॔ग गयाली शेरपा ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके इसका संकेत भी दे दिया था. पासंग ग्याली शेरपा ने गंगटोक में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए काम किया.
ऐसी चर्चा है कि पश्चिम बंगाल में भी भाजपा अपने बागियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर सकती है. दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवार राजू बिष्ट के खिलाफ कर्सियांग के भाजपा विधायक बीपी बजगई ने चुनाव लड़ा था.उनके खिलाफ भी पार्टी एक्शन ले सकती है. इसका संकेत राजू बिष्ट ने चुनाव के दौरान दे दिया था. इसलिए बीपी बजगई की विधानसभा सदस्यता छीनी जा सकती है. बीपी बजगई ने राजू विष्ट के खिलाफ निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ा है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बीपी बज गई को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जा सकता है.
कांग्रेस ने तो चुनाव के दौरान ही अपने बागियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी थी. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जिस भारी उत्साह के साथ विनय तमांग को कांग्रेस में शामिल किया था, कुछ ही दिनों में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर कांग्रेस से निष्कासित भी कर दिया.कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद विनय तमांग ने राजू बिष्ट के पक्ष में चुनाव प्रचार और जनता से वोट देने की अपील की थी. विनय तमांग दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र के लिए स्वयं को कांग्रेस उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से नाराज थे और मुनीष तमांग को एक बाहरी उम्मीदवार के रूप में प्रचार करके कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा रहे थे. इसलिए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें दल से निकाल दिया.
तृणमूल कांग्रेस में भी कमोबेश ऐसा ही हाल था. अर्जुन सिंह को टिकट नहीं मिलने से अर्जुन सिंह ने ममता बनर्जी और पार्टी से बगावत कर दी. बाद में अर्जुन सिंह ने घर वापसी की. भाजपा ने उन्हें टिकट दिया है. वह भाजपा के उम्मीदवार हैं. तृणमूल कांग्रेस के कुछ बागी नेताओं को समय रहते पार्टी ने संभाल लिया. लेकिन जो नहीं माने उन्हें बाहर का भी रास्ता दिखा दिया. ऐसी चर्चा है कि लगभग सभी राजनीतिक दल चुनाव परिणाम आने के बाद अपने-अपने बागियों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं.
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