सिक्किम के बहुचर्चित पद्म गुरुंग हत्याकांड में राज्य सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है. यह रिपोर्ट सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को भेज दी गई है. इसके बाद से सिक्किम की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में भूचाल आ गया है. एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग ने माना है कि पदम गुरुंग की आकस्मिक मौत हुई थी.
आपको बता दूं कि पदम गुरुंग सिक्किम के नामची जिले के सिक्किम गवर्नमेंट कॉलेज, कामरान के प्रेसिडेंट तथा स्टूडेंट रिप्रेजेंटेटिव काउंसिल के सदस्य थे. विगत 27-28 जून 2023 को एक नाले में उनकी लाश पुलिस ने बरामद की थी. तब इसे एक दुर्घटना मात्र माना गया था.पुलिस ने अपने बयान में कहा था कि भारी वर्षा के कारण नाले में उनका पैर फिसल गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई.इसके जवाब में पद्म गुरुंग के भाई प्रेम गुरुंग ने कहा था कि 27 जुलाई रात 2:30 बजे के लगभग उन्हें जानकारी दी गई थी कि उनका भाई drain में गिर गया है. पदम गुरुंग के साथ उसके चार दोस्त थे. उन्हीं लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी. प्रेम गुरुंग ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि उनका भाई रात 11:00 बजे drain में गिरा था. लेकिन यह पता नहीं चलता है कि उनका पैर फैसला.उसके बाद वे drain में गिरे थे.
उनके परिवार के लोग शुरू से ही दावा कर रहे थे कि पदम गुरुंग की हत्या की गई है. इस मामले की जांच का दायित्व नामची पुलिस थाना के प्रभारी दावा पाक्रिन तथा सब इंस्पेक्टर सिद्धार्थ सुब्बा को सौंपा गया था. मौजूदा डीएसपी दावा पाखरिन उस समय नामची पुलिस थाना के प्रभारी थे. इन दोनों ही पुलिस अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही का आरोप लगाकर तत्काल सस्पेंड करने की न्यायिक जांच आयोग में अनुशंसा की गई है.
पदम गुरुंग प्रकरण लंबे समय तक चर्चा का विषय बना था. पदम गुरुंग के परिजन लगातार मांग कर रहे थे कि उनके बेटे की हत्या की गई है. जबकि पुलिस आरंभिक तथ्यों के आधार पर इसे मात्र दुर्घटना मान रही थी. पद्म गुरुंग के परिजनों ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उछाला था. पुलिस की कार्य शैली पर सवाल उठाते हुए 14 जुलाई को नामची में एक भारी एकजुटता रैली निकाली गई थी. यह रैली पुलिस की मौजूदगी में निकाली गई थी और नामची जोरथांग हाईवे को ब्लॉक कर दिया गया था. जिस नाले से पदम की लाश बरामद हुई थी, उस नाले को नाप कर देखा गया कि उसमें पद्म गुरुंग गिर ही नहीं सकते थे.
इसके बाद पुलिस अधिकारियों के प्रति संदेह बढा और शक गहरा होता गया, तब गुरुंग कम्युनिटी के एक मेंबर ने ऐसे लोगों का आह्वान किया जो पद्म गुरुंग हत्याकांड में सबूत सुपुर्द कर सके. उन्हें ₹100000 की इनाम की राशि देने की घोषणा की गई. पुलिस और प्रशासन पर दबाव बढ़ाने की गरज से 7 अगस्त 2023 को नामची में एक भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. इसमें पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे थे और धारा 144 लगा दिया था. जब विवाद और हंगामा बढा तो सिक्किम सरकार ने मामले की जांच के लिए सिक्किम हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस माननीय नरेंद्र कुमार जैन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया. माननीय न्यायाधीश महोदय नरेंद्र कुमार जैन की जांच रिपोर्ट आ गई है. इसने सिक्किम की राजनीति में खलबली मचा दी है.
रिपोर्ट में कई बातों का उल्लेख किया गया है और सिक्किम सरकार से अनुशंसा की गई है. इनमें से दो पुलिस अधिकारियों को ड्यूटी के प्रति गैर जिम्मेदार मानते हुए उनके निलंबन की मांग की गई है. यह दोनों पुलिस अधिकारी पद्म गुरुंग प्रकरण में मामले की जांच कर रहे थे. इनमें से एक इन्वेस्टिगेशन अधिकारी सिद्धार्थ सुब्बा तथा दूसरा नामची पुलिस थाना के प्रभारी दावा पाखरिन थे. उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की सिफारिश की गई है जबकि नामची जिले के एसपी मनीष कुमार वर्मा आईपीएस को शोकॉज नोटिस भेजने की सिफारिश की गई है.
रिपोर्ट में मृतक के आश्रित को राज्य सरकार के द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देने की अनुशंसा की गई है. यह रिपोर्ट 102 गवाहों से बातचीत, तथ्यों और अन्य सबूत के आधार पर तैयार की गई है. एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में इस मामले की नए सिरे से जांच करने की मांग की गई है.