August 5, 2025
Sevoke Road, Siliguri
dowry siliguri siliguri metropolitan police SILIGURI MUNICIPAL CORPORATION

सिलीगुड़ी: दहेज की बलि चढ़ी एक और बेटी! विवाहिता की संदिग्ध मौत, पति गिरफ्तार !

Siliguri: Another daughter sacrificed for dowry! Married woman dies under suspicious circumstances, husband arrested!

मायके वालों का आरोप – “हमारी बेटी को मार डाला गया”, पुलिस ने शुरू की जांच

सिलीगुड़ी के सालूगाड़ा इलाक़े में आज एक ऐसी खबर सामने आई जिसने फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या वाकई दहेज एक सामाजिक बुराई भर है, या अब भी यह धीरे-धीरे बेटियों की ज़िंदगियाँ निगल रहा है?सालूगाड़ा की गलियों में आज भी एक घर ऐसा है, जहां दीवारें खामोश हैं… लेकिन उन खामोशियों के पीछे एक कहानी दबी हुई है – शिल्पी दुबे की कहानी।
बिहार के सिवान जिले से ताल्लुक रखने वाली 24 वर्षीय शिल्पी दुबे की शादी लगभग एक साल पहले अनुराज दुबे से हुई थी, जो सालूगाड़ा बाजार का रहने वाला है। एक साल पुरानी यह शादी अब शोक और सवालों से घिरी हुई है, क्योंकि 30 जुलाई की शाम शिल्पी की अचानक संदिग्ध हालत में मौत हो गई। उसके पति ने दावा किया कि उसने ज़हर खा लिया था, लेकिन मृतका के परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि प्रताड़ना की कहानी है ।

शिल्पी की मां पूनम देवी ने बताया कि शादी के बाद से ही दहेज की मांग शुरू हो गई थी। कभी गहने, कभी पैसे — हर छोटी-बड़ी बात पर बेटी को ताने सुनने पड़ते थे। वह फोन पर अक्सर रोते हुए कहती, “मम्मी, कब तक सहूं? ये लोग मेरा जीना हराम कर रहे हैं।” 30 जुलाई को भी मां-बेटी की बातचीत हुई थी, जिसमें शिल्पी ने कहा कि आज फिर उसे बुरी तरह पीटा गया है। उस बातचीत के चंद घंटे बाद ही अनुराज यानि उनके जमाई का फोन आया — “शिल्पी ने ज़हर खा लिया है।” खबर मिलते ही पूनम देवी और परिवार टूट सा गया।

भक्ति नगर पुलिस को दी गई शिकायत में पूनम देवी ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को शादी के बाद से लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी अनुराज दुबे को गिरफ्तार कर लिया और उसे जलपाईगुड़ी कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि यह मामला संवेदनशील है, इसलिए हर पहलू की गंभीरता से जांच की जा रही है।

आज पड़ोसी खामोश हैं और गली का वो मकान अब सन्नाटे से भरा है। इस घटना ने समाज के उस डरावने पहलू को उजागर किया है, जिसमें पढ़े-लिखे परिवार भी दहेज के लोभ में इंसानियत भूल जाते हैं।

शिल्पी की मौत ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज के दौर में भी बेटियों की ज़िंदगी उनके ससुराल की दहलीज़ पर आकर क्यों कांपने लगती है? क्या कानून, समाज और परिवार मिलकर भी एक लड़की को बचा नहीं पाएंगे? अब सवाल यह नहीं है कि शिल्पी ने ज़हर क्यों खाया… सवाल यह है कि उसकी आत्मा को अब इंसाफ़ कब मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *