बरसों पहले एक फिल्म आई थी, जिसमें एक गाना काफी प्रसिद्ध हुआ था. यह मुंबई नगरिया तू देख बबुआ… यह गाना सुपरहिट साबित हुआ था. आजकल सिलीगुड़ी में जो कुछ भी हो रहा है, उसे देखकर यह गाना खुद ब खुद होंठों पर आ जाता है. 8 से 10 लाख की आबादी वाले छोटे शहर सिलीगुड़ी में बड़े-बड़े खेल होते हैं. जीवन और व्यापार के हर क्षेत्र में एक से बढ़कर एक अद्भुत खेल होते हैं. सिलीगुड़ी तो खैर व्यापारिक शहर ही है.
यह शहर बड़े महानगरों की नकल करने में माहिर है. सिलीगुड़ी में आपको हर वह सामान या वस्तु मिल जाएगी, जो बड़े-बड़े महानगरों में भी आसानी से नहीं मिलती है. दिखने में तो ब्रांडेड माल, बड़ी कंपनियों के उत्पाद, रंग हुलिया, लेबल सब कुछ असली दिखेगा और आप असली समझ कर ही उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं. पर क्या वे असली होते हैं? हालांकि समय-समय पर उत्पाद निगरानी विभाग कारखाने और गोदाम पर छापे की कार्रवाई करते हुए असली और नकली के खेल का पटाक्षेप करता है.
इसी सिलीगुड़ी शहर में बरसों पहले नकली ब्रांडेड सरसों तेल, नकली वाशिंग पाउडर, नकली टिकिया, नकली साबुन, नकली घी, नकली मसाले इत्यादि का उत्पाद निगरानी विभाग ने भंडाफोड़ किया था. आज एक बार फिर से डांगीपाड़ा में पकड़े गए नकली शैंपू की बरामदगी के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि अब यहां असली क्या रह गया है. जब शैंपू जैसे साधारण लेकिन महत्वपूर्ण उत्पाद की नकल करके एक तरफ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था तो दूसरी तरफ ब्रांडेड कंपनियों की साख को चूना लगाया जा रहा हो, ऐसे में लोग एक दूसरे से सवाल तो करेंगे ही कि अब असली क्या रह गया है.
इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना जरा मुश्किल है. सिलीगुड़ी की उदार प्रशासनिक व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द का फायदा उठाने के लिए बरसों पहले बिहार (पटना) और उत्तर प्रदेश से 18 साल से 26 साल के कुछ युवक उस्मान, चांद बाबू, साहिल, रोहित, शहजान, समीर, विकी खान, साहिल, टीटू सिलीगुड़ी आए और डांगीपाड़ा के किराए के मकान में नकली शैंपू बनाने का कारखाना खोल दिया. यह सभी लड़के न केवल नकली शैंपू ही तैयार करते थे, बल्कि इन नकली शैंपू को दुकानों पर बेचा भी करते थे. यह नकली शैंपू ब्रांडेड कंपनियों के होते थे. इसलिए किसी को उत्पाद पर शक भी नहीं होता था.
जैसा कि हमेशा से होता आया है, दो नंबर का काम ज्यादा समय तक नहीं चलता है. पुलिस को अपने मुखबिर के जरिए पता चला तो सिलीगुड़ी पुलिस की टीम दबिश डालने मौके पर पहुंच गई और कारखाने पर सीधा छापा मारा. वहां से पुलिस ने नौ लोगों को हिरासत में लिया. इसके साथ ही नकली शैंपू की अनेक बोतले, पाउच, मोल्डिंग मशीन, रसायन आदि बरामद की गयी.जो शैंपू पकड़ी गई है, वे सभी ब्रांडेड कंपनियों के हैं. लेबल भी भारी मात्रा में पकड़े गए हैं.
इस रैकेट का मास्टरमाइंड जावेद खान है, जो आगरा का रहने वाला है. उपरोक्त सभी आरोपी पटना से सिलीगुड़ी आए थे और बरसों से डांगीपाड़ा में मकान किराए पर लेकर नकली असली का धंधा कर रहे थे. इनके द्वारा उत्पादित माल की बिक्री सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि आसपास और सीमावर्ती जिलों में भी होती थी. जिन लोगों ने इनके शैंपू का इस्तेमाल किया होगा, आप समझ सकते हैं कि उनके बालों और स्वास्थ्य का कितना नुकसान हुआ होगा. बहरहाल पुलिस सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें रिमांड पर लेकर विस्तृत पूछताछ कर रही है. पुलिस यह भी पता लगा रही है कि इस रैकेट में और कौन-कौन लोग शामिल हैं.
सिलीगुड़ी में और भी बहुत से काले धंधे होते हैं. पुलिस और प्रशासन को उनकी निगरानी करके पता लगाना चाहिए और इसी तरह की दबिश की कार्रवाई आगे भी करते रहने की जरूरत है. ताकि सिलीगुड़ी के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की हिम्मत कोई नहीं कर सके. ब्रांडेड कंपनियों पर लोगों का भरोसा बना रहे. जो लोग इस तरह से काले धंधे में लिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.