March 31, 2025
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल दार्जिलिंग राजनीति सिलीगुड़ी

केंद्र ‘डाल-डाल’ तो राज्य सरकार ‘पात-पात’! केंद्र सरकार के ‘नहले’ पर ममता सरकार का ‘दहला’!

पहाड़ में दो प्रमुख समस्याएं हैं. पहाड़ की राजनीति इन्हीं दो मुख्य बिंदुओं के गिर्द घूमती है. यह है गोरखाओं की 11 जनजाति तथा स्थाई राजनीतिक समस्या और दूसरा है यहां के चाय बागानों के श्रमिकों की समस्या, जो प्रमुख वोट फैक्टर है. जिस पार्टी को चाय श्रमिकों तथा गोरखाओं का साथ मिल जाता है, उसे उत्तर बंगाल फतह करने में कोई मुश्किल नहीं होती है.

एक दिन पहले केंद्र सरकार ने पहाड़ के गोरखाओं की नब्ज छूते हुए उनकी स्थाई राजनीतिक समस्या के समाधान हेतु 2 अप्रैल को त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई है. इसमें भाग लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से दार्जिलिंग, पहाड़, तराई और डुआर्स क्षेत्र के सभी हित धारकों और पश्चिम बंगाल सरकार को न्यौता दिया गया है. 2 अप्रैल को सुबह 11:00 बजे नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में त्रिपक्षीय वार्ता भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली है, जो सुर्खियों में है. इसका भाजपा तथा सहयोगी दलों को गोरखाओं पर अपनी पकड़ बनाने में काफी लाभ होगा.

केंद्र सरकार की विज्ञप्ति के तुरंत बाद बंगाल सरकार ने भी राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करते हुए चाय बागानों की समस्याओं को लेकर 3 अप्रैल को सिलीगुड़ी के स्टेट गेस्ट हाउस में एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में राज्य सरकार के श्रम मंत्री समेत जीटीए क्षेत्र के विभिन्न चाय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इस बैठक में शामिल होने के लिए जीटीए क्षेत्र के आठ श्रमिक संगठनों को न्यौता दिया गया है.

दार्जिलिंग पहाड़,डुआर्स क्षेत्र समेत उत्तर बंगाल में अनेक चाय बागान हैं. इन चाय बागानों में हजारों श्रमिक काम करते हैं और किसी तरह से अपना गुजारा करते हैं. कहने के लिए तो उत्तर बंगाल में बहुत से चाय बागान है, लेकिन चाय बागानों तथा उनमें काम करने वाले श्रमिकों की हालत काफी शोचनीय है. बहुत से चाय बागान तो बंद पड़े हैं. कुछ चाय बागान चल तो रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा श्रमिकों को समय पर वेतन नहीं दिया जाता. इसके अलावा चाय बागान श्रमिकों की वेतन वृद्धि से लेकर पीएफ, ग्रेजुएटी समेत अनेक समस्याएं काफी बड़ी हैं.

GTA के चाय बागानों के श्रमिक इस क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक दल की किस्मत का फैसला करते हैं. कदाचित यह सोचकर राज्य सरकार ने चाय श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सिलीगुड़ी में एक बैठक बुलाई है. जो गोरखा नेताओं की नई दिल्ली में होने वाली बैठक के ठीक अगले दिन है. इस बैठक में जीटीए क्षेत्र के श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इस बैठक के बहाने राज्य सरकार चाय श्रमिकों का रहनुमा बनने की कोशिश करेगी ताकि विधानसभा चुनाव में चाय श्रमिकों का वोट हासिल किया जा सके.

राज्य सरकार के पक्ष में एक बड़ी बात यह भी है कि लगभग 8 महीने तक बंद रहने के बाद अलीपुरद्वार जिले का महुआ चाय बागान 4 अप्रैल को खुलने जा रहा है. काफी समय से विवाद के चलते महुआ चाय बागान बंद था. आखिरकार सिलीगुड़ी स्थित वर्कर्स बिल्डिंग में आयोजित एक त्रिपक्षीय बैठक में चाय बागान को खोलने का फैसला किया गया. यह फैसला जीटीए क्षेत्र के चाय बागानों के श्रमिकों पर असर ना डाले, ऐसा नहीं हो सकता है. राज्य सरकार इस वातावरण को भुनाने की जरूर कोशिश करेगी.

सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार के दबाव से महुआ चाय बागान के अधिकारी श्रमिकों को 16% की दर से 2023 और 2024 के बकाया बोनस का भुगतान करेंगे. इसके अलावा श्रमिकों के बकाया वेतन का भी भुगतान किया जाएगा. इससे चाय श्रमिकों में खुशी दिख रही है. ऐसे वातावरण में 3 अप्रैल को होने वाली चाय श्रमिक बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. अब देखना होगा कि राज्य सरकार जीटीए क्षेत्र के चाय श्रमिकों को किस तरह से अपने पक्ष में करती है. जानकार मानते हैं कि केंद्र सरकार के नहले पर राज्य सरकार ने दहला डाला है, जो भविष्य की राजनीतिक रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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