सनकी लड़के की गंदी नजर काफी दिनों से उस बालिका पर थी, जो दार्जिलिंग मोड़ के पास एक स्कूल में पढ़ती थी. उसने कई दिनों तक बालिका का पीछा करके यह पता लगा लिया था कि वह किस समय स्कूल आती जाती है. उस दिन वह घर से निकला तो उसके इरादे काफी खतरनाक लग रहे थे. उसके दिमाग में भयानक ख्याल उठ रहे थे. जब बालिका स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर लौट रही थी, तभी उसकी बाट जोह रहे लड़के ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया.
. बालिका स्कूल से अपनी हमजोली लड़कियों के साथ निकली थी. कुछ दूर आगे जाने के बाद सभी लड़कियां अपने-अपने घर के लिए चली गई. बालिका भी अकेली अपने घर की ओर बढ़ रही थी. उसी समय लड़का सामने आया और बालिका से बात करने लगा. उसने बालिका को अपनी बातों में लगा लिया और कहा कि वह उसके घर की ओर जा रहा है. परंतु मासूम बालिका को अपनी बातों में लगाए वह कहीं और उसे ले जाने लगा. आगे का रास्ता सुनसान था. यहां एक सुनसान गोदाम था. देखकर बालिका का दिमाग ठनका.
बालिका ने पूछा कि यह उसके घर का रास्ता नहीं है. लड़के ने कहा कि उसे किसी से मिलना है. बस 2 मिनट में घर चलते हैं. यह स्थान सुनसान और जंगल झाड़ से घिरा था. इससे पहले कि बालिका की समझ में कुछ आता, उस लड़के ने उसे एक स्थान पर ले जाकर पटक दिया और उसके साथ मनमानी करने लगा. मासूम बालिका ने इसका विरोध करते हुए जोर-जोर से आवाज लगानी शुरू कर दी. लड़के ने उसका मुंह बंद करने की कोशिश की. लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सका. जब मासूम बालिका लगातार चीखती चिल्लाती रही, तब लड़के को गुस्सा आया और उसने बगल में रखे ईट से उसके सर पर दे मारा.
बालिका का सर फट गया और खून की धार बह निकली. लेकिन वह सनकी रुका नहीं. इसी बीच बालिका के तन बदन में हरकत बंद हो गई. तब वह घबरा गया और बालिका को उसी अवस्था में छोड़कर फरार हो गया. कुछ देर के बाद कुछ राहगीर वहां से गुजर रहे थे. उन्होंने एक उजाड़ गोदाम के नीचे लहूलुहान पड़ी स्कूल की वर्दी में एक बालिका को देखा, तो उनके भी होश फाखता हो गये. जल्दी ही वहां कुछ स्थानीय लोग जमा हो गए. उन्होंने माटीगाड़ा पुलिस को मामले की जानकारी. कुछ देर के बाद माटीगाड़ा पुलिस मौके पर पहुंची और बुरी तरह लहूलुहान अचेत बालिका को चिकित्सा के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल भिजवाया. लेकिन तब तक बालिका मर चुकी थी.
अब तक यह घटना आग की तरह माटीगाड़ा, तुंबा जोत समेत पूरे सिलीगुड़ी शहर में फैल चुकी थी. मृतका तुमबा जोत की रहने वाली थी. परिजनों ने बालिका की शिनाख्त कर ली थी. परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था. एक स्कूल बालिका की बेरहमी से हत्या हुई थी. इसलिए लोग उत्तेजित थे. लोग पुलिस प्रशासन से सवाल कर रहे थे. इससे पहले भी सिलीगुड़ी शहर में हत्या की कई घटनाएं घट चुकी थी. सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर ने इस घटना को गंभीरता से लिया. धीरे-धीरे यह घटना एक राजनीतिक रंग लेती चली गई. भाजपा ने इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और अविलंब हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग की जाने लगी. केवल माटीगाड़ा ही नहीं, बल्कि बागडोगरा, सिलीगुड़ी शहर सब जगह इस घटना को लेकर लोगों में आक्रोश देखा जा रहा था.
सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस पर लगातार पड़ते दबाव के बाद इस घटना की तह तक जाने का फैसला किया गया. माटीगाड़ा पुलिस ने हत्यारे की तलाश और उसकी गिरफ्तारी के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया. पुलिस के आला अधिकारियों के निर्देश पर एसओजी की टीम और माटीगाड़ा पुलिस ने स्थानीय लोगों के बयान तथा सीसीटीवी कैमरे की सहायता से महज 5 घंटे के अंदर बालिका के आरोपी हत्यारे को माटीगाड़ा की लेनिन कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया.
बालिका के आरोपी हत्यारे को पुलिस ने सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश कर रिमांड पर ले लिया है. पुलिस की टीम और इन्वेस्टिगेशन अधिकारी आरोपी युवक से घटना को लेकर विस्तृत पूछताछ कर रहे हैं. उसके पश्चात ही इस सनसनीखेज कहानी पर से पर्दा उठेगा. यह कहानी पुलिस की प्रारंभिक छानबीन पर आधारित है. यह रिपोर्ट तैयार किए जाने तक मृतका बालिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई थी. यह घटना स्कूली बालिकाओं की सुरक्षा की पोल खोलती है. इससे पहले भी स्कूली बालिकाओं के साथ ऐसे हादसे हो चुके हैं. लेकिन हमारी पुलिस ने इससे कोई सबक नहीं लिया. आखिर पुलिस और प्रशासन से चूक कैसे हो जाती है?