अभियुक्त मोहम्मद अब्बास को सर्किट बेंच ने जरूर राहत दे दी है. उसके परिजन यह सोचकर राहत की सांस ले रहे होंगे कि उसकी मृत्यु दंड की सजा को हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया है. दूसरी तरफ इस फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए मृतका के परिजन सुप्रीम कोर्ट में जाने की योजना बना रहे हैं. मृतक की मां का कहना है कि उसे इंसाफ चाहिए. उसकी बेटी जहां भी होगी, वह इंसाफ मांग रही है और इंसाफ मिलने पर ही उसकी आत्मा को शांति मिलेगी.
सिलीगुड़ी के बहुचर्चित छात्रा दुष्कर्म हत्याकांड में आज कोलकाता हाई कोर्ट की सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने फैसला सुनाया तो इस फैसले ने मृतका की मां का दिल ही तोड़ दिया. परिवार ने हाई कोर्ट से उम्मीद लगा रखी थी कि अदालत निचली अदालत की फांसी की सजा को बरकरार रखेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और हाईकोर्ट की सर्किट बेंच ने मोहम्मद अब्बास की फांसी की सजा को 20 साल के आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया.
आमतौर पर ऐसे मामले में जब मामला पुराना पड़ने लगता है, तो कोर्ट के न्यायाधीश के द्वारा फैसला सुनाते वक्त आरोपी या अभियुक्त के पक्ष में कहीं ना कहीं सहानुभूति भी होती है. हालांकि कोर्ट में सहानुभूति का कोई स्थान नहीं होता है और वहां सिर्फ सबूत और गवाह ही देखे जाते हैं. लेकिन कभी-कभी संदेह का लाभ मुजरिम को मिल जाता है. जब कोर्ट का फैसला आया तो फैसले को सुनकर मृतका की मां और उनके परिवारीजन दुखी हो उठे. उन्होंने न्यायालय के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया.
मृतका की मां ने कहा कि निचली अदालत ने अभियुक्त को मृत्युदंड दिया था. लेकिन हाई कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा में तब्दील कर दिया. क्या यही इंसाफ है? इस फैसले को कोई भी मां मानने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्त पक्ष के लोग गरीब हैं तो क्या इससे उनकी सजा कम कर देनी चाहिए. गरीब तो वह भी हैं. उन्होंने कहा कि अगर अदालत इस तरह का फैसला सुनाएगी तो इससे किसी को इंसाफ नहीं मिलेगा.
उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले से अपराध को बढ़ावा मिलता है. अदालत से उन्हें इंसाफ की उम्मीद थी. जब कोर्ट इस तरह का फैसला सुनाएगा तो ऐसे में लोगों का अदालत पर से भरोसा उठ जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करूंगी और इंसाफ के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ती रहूंगी.
आपको बता दें कि सिलीगुड़ी के इस बहु चर्चित हत्या दुष्कर्म मामले में सिलीगुड़ी कोर्ट ने 7 सितंबर 2024 को मोहम्मद अब्बास को दोषी करार देते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी. जिन तीन धाराओं के तहत मोहम्मद अब्बास का अपराध साबित हुआ था, उनमें अधिकतम सजा देने का प्रावधान शामिल था. इसलिए अदालत ने मोहम्मद अब्बास को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. यह सजा दो धाराओं 302 और पोक्सो एक्ट सेक्शन 6 के तहत सुनाई गई थी. जबकि दूसरे मामले में उसे 7 साल की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत ने इसके साथ ही मोहम्मद अब्बास को आदेश दिया था कि वह मृतका के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपए प्रदान करे.
सिलीगुड़ी का यह बहु चर्चित कांड हिला देने वाला था. 21 अगस्त 2023 को जब मोहम्मद अब्बास ने माटीगाड़ा इलाके में एक स्कूली छात्रा का पीछा करके उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की और जब इसमें सफल नहीं रहा तो उसकी हत्या कर दी.इस बहुचर्चित कांड में सिलीगुड़ी के लोगों का गुस्सा मोहम्मद अब्बास के प्रति इस कदर भड़क उठा था कि अदालत में उसे पेश करते समय पुलिस को पसीना बहाना पड़ता था. कई बार हमलावर भीड़ मोहम्मद अब्बास पर टूट पड़ती थी. इसलिए पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपी को अदालत में पेश करती थी और कोर्ट की सुनवाई के बाद वापस जेल ले जाती थी.