इन दिनों पहाड़ में सन्नाटा पसरा हुआ है. दार्जिलिंग, कर्सियांग, कालिमपोंग समेत सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों में वीरानियां दिखाई दे रही है. कुछ समय पूर्व पहाड़ पर रौनक होती थी. पर्यटकों की चहलकदमी से छोटे और बड़े व्यापारियों के चेहरे खिले रहते थे. टैक्सी वाले मौज में थे. लेकिन इस समय चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.
सिलीगुड़ी के एयरव्यू स्थित महानंदा सेतु के पास दार्जिलिंग जाने वाली गाड़ियों का स्टैंड है. बरसात से पूर्व यहां पहाड़ पर जाने के लिए पर्यटकों की भीड़ रहती थी. गाड़ी वाले अच्छी कमाई कर लेते थे. उन्हें इंतजार भी नहीं करना पड़ता था. लेकिन वर्तमान में वे खाली हो गए हैं. उनकी कमाई लगभग 0 हो गई है. पिछले दिनों की बरसात में दार्जिलिंग और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण कई जगह मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए. दूसरी ओर इस मौसम में पर्यटक पहाड़ में नहीं आते हैं. यह सभी कारण हैं जिनसे पहाड़ में सन्नाटा पसरा हुआ है.
पहाड़ पर्यटकों से गुलजार रहता है.क्योंकि पर्यटक पहाड़ में घूमने जाते हैं तो विभिन्न पेशे और वर्ग के व्यापारियों तथा दुकानदारों को लाभ होता है. पर्यटकों से ही उनकी दुकान चलती है जो इस समय बंद पड़ी है. सबसे बुरा हाल तो सिक्किम का है जो कई दिनों तक भीषण बरसात और भूस्खलन का सामना करता रहा. यहां से पर्यटक प्रस्थान कर चुके हैं और अब घूमने का सीजन भी खत्म हो चुका है.
सिक्किम की पहाड़ियों पर लगातार भूस्खलन हो रहा है. पीडब्ल्यूडी विभाग सिलीगुड़ी और सिक्किम को जोड़ने के काम में लगा हुआ है. आए दिन मुख्य पथ पर भूस्खलन होने से घंटो जाम लग जाता है. इससे व्यवसाय भी प्रभावित होता है. पहाड़ में सब्जियां तो काफी महंगी हो चुकी है. वाहनो का आवागमन भी बहुत कम हो गया है. ज्यादातर स्थानीय लोग ही सिलीगुड़ी और गंगटोक का चक्कर लगाते हैं. दार्जिलिंग और कालिमपोंग के लिए भी यही कहा जा सकता है.
पहाड़ पर होटल व्यवसाय को भी धक्का पहुंचा है. वर्तमान में गंगटोक हो अथवा दार्जिलिंग के होटलों में कमरे खाली पड़े हैं. क्योंकि यहां से पर्यटक खासकर विदेशी पर्यटक जा चुके हैं. जिनसे होटल वालों को भारी कमाई होती थी. दार्जिलिंग के एक स्थानीय व्यापारी ने बताया कि हर साल बरसात के समय धंधा मंदा हो जाता है.जून जुलाई से लेकर सितंबर तक पहाड़ पर कार्य व्यवसाय लगभग ठप्प पड़ जाता है.
गंगटोक के कुछ अन्य व्यापारियों ने बताया कि दुर्गा पूजा के बाद से यहां रौनक आएगी. क्योंकि तब मौसम भी सही हो जाता है और पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. पहाड़ के अधिकांश कारोबारियों ने बताया कि दुर्गा पूजा के समय से ही पहाड़ पर रौनक देखने को मिलती है. बरसाती सीजन में व्यापारी और दुकानदार जो कुछ कमा कर जमा करके रखे होते हैं, वही खाते हैं. मंदी यहां तक आ जाती है कि अनेक छोटे दुकानदार अपनी दुकान में ताला मार कर सीधे समतल यानी सिलीगुड़ी में पहुंच जाते हैं.
पर्यटन व्यवसायियों ने यह स्वीकार किया है कि इस साल पर्यटन मौसम में उनकी अच्छी कमाई हुई है. उन्हें उम्मीद है कि बरसात बीतने के बाद और दुर्गा पूजा का मौसम शुरू होने पर एक बार फिर से उनका कारोबार चल पड़ेगा. इसी उम्मीद को आंखों में लिए अनेक पर्यटन व्यवसाई जी रहे हैं. पहाड़ में पर्यटन सीजन नहीं होने से सबसे ज्यादा घाटा टैक्सी चालकों को उठाना पड़ा है. या फिर ऐसे कारोबारी जो भाड़े पर टैक्सी लेकर चलाते हैं उन्हें भी भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है. बहरहाल पहाड़ के कारोबारी दुर्गा पूजा आने का शिद्दत से शिदयत से इंतजार कर रहे हैं.