आधुनिक जमाने में भी बेटा और बेटी में फर्क करने की मानसिकता वाले लोग बालिका के जन्म पर मातम मनाते हैं तो बालक के जन्म पर घर में खुशियां मनाई जाती है. अगर ऐसा नहीं होता तो आज सिलीगुड़ी में एक नवजात बालिका की हत्या की कोशिश नहीं की जाती. जिस मां ने यह पाप किया है, पुलिस उसके बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही पुलिस नवजात शिशु के बारे में पता लगाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है.
प्रधान नगर पुलिस ने उस व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिसने एक निजी अस्पताल के बाहर से पॉलीथिन और सूती कपड़े में लिपते शिशु को यह सोचकर उठाया था कि वह कोई पॉलिथीन या कीमती सामान होगा, जिसे वह कबाड़ी की दुकान पर बेचकर कुछ पैसे कम लेगा. व्यक्ति के बारे में बताया जा रहा है कि वह व्यक्ति मल्लागुरी में रहता है और सनकी या पागल किस्म का व्यक्ति है. वह कबाड़ी का काम करता है. दिन भर प्लास्टिक या कबाड़ चुनकर वह शाम को बेचकर अपना गुजारा करता है.
मिली जानकारी के अनुसार रोज की तरह ही कबाड़ी मल्लागुड़ी इलाके में कबाड़ चुन रहा था. प्लास्टिक और कबाड़ चुनते हुए वह एक स्थान पर पहुंच कर रुका, जहां एक थैली में प्लास्टिक में कोई चीज लपेट कर रखी गई थी. कबाडी ने कूड़ा सोचकर उठा लिया. लेकिन जब उसने सूती कपड़े को हटाकर देखा तो उसमें वह एक नवजात शिशु पाया. शिशु जीवित था. कबाड़ी नवजात को उठाकर मल्लागुड़ी उस स्थान पर पहुंचा, जहां वह रोज कबाड़ बेचता था. उसने कबाड़ मालिक को सारी बात बताई.
घटना बड़ी थी और हैरान कर देने वाली थी. तुरंत कबाड़ मालिक ने भक्ति नगर थाना को इसकी सूचना दी. तब तक वहां कई अन्य लोग भी एकत्र हो गए थे. जिन्होंने कबाड़ चुनने वाले को पकड़ रखा था. कबाड़ चुनने वाला काफी घबराया हुआ था. सूचना पाकर पुलिस तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच गई और एक महिला की मदद से नवजात शिशु को गाड़ी में रखकर उसे तुरंत सिलीगुड़ी जिला अस्पताल पहुंचाया, यहां डॉक्टरों ने नवजात शिशु का इलाज शुरू कर दिया. परंतु मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर था. ऐसे में सिलीगुड़ी जिला अस्पताल ने नवजात शिशु को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया.
सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि नवजात शिशु बालिका थी. वह दो दिन पहले ही इस दुनिया में आई थी. बालिका के सिर पर गहरे जख्म का निशान था. जांच में डॉक्टरों ने पाया कि बालिका के सिर में पानी भर गया था. इस बात की संभावना व्यक्त की गई कि नवजात के जन्म के बाद उसे खत्म करने के ख्याल से ही बालिका को थैली में डालकर फेंका गया था. लेकिन संयोग से बालिका जीवित बच गई. डॉक्टर के अनुसार बालिका नवजात की हालत काफी गंभीर है. अगर तुरंत ही उसके सिर से पानी नहीं निकाला गया, तो उसकी जान जा सकती है.
जो भी हो, सिलीगुड़ी में यह मामला काफी सुर्खियों में है. नवजात बालिका को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है. पुलिस उस व्यक्ति से पूछताछ कर रही है, जिसने बालिका को सूती कपड़े में लिपटा पाया था. पुलिस उसके बयान की सच्चाई का भी पता लगा रही है. वह काफी घबराया हुआ है. पुलिस उसके नॉर्मल होने का इंतजार कर रही है. यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या किसी का नवजात की तस्करी का उद्देश्य तो नहीं था.
जो भी हो, यह घटना यह दर्शाती है कि आज हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है. यह तो स्पष्ट है कि नवजात बालिका की हत्या करने की कोशिश की गई थी. लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि नवजात की हत्या क्यों कोई करना चाहता था. एक तरफ हमारी सरकार महिला कल्याण, महिला उत्थान और बेटी बचाओ की मुहिम चला रही है, लेकिन इसका समाज पर कितना असर पड़ रहा है, यह घटना इसकी पोल खोल कर रख देती है.
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