December 25, 2024
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उत्तर बंगाल राजनीति

बंगाल में तृणमूल, महाराष्ट्र में महायुति और झारखंड में JMM का दबदबा बरकरार!

पश्चिम बंगाल,महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कोई भी पार्टी महिलाओं की अनदेखा करके सत्तारूढ नहीं हो सकती. पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिखाया है. बंगाल की सभी 6 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा हो गया है. जबकि महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत हुई है और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की महा जीत हुई है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उपचुनाव में टीएमसी की जीत को बंगाल की जनता के विश्वास और समर्थन का परिणाम बताया है. अभिषेक बनर्जी ने अपने बयान में विपक्षी दलों और मीडिया पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने बंगाल को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन जनता ने उन्हें खारिज कर दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपचुनाव में जीत के लिए जनता का आभार व्यक्त किया है.

पश्चिम बंगाल के अलावा महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम पर नजर डालें और उसका विश्लेषण करें तो पता चलता है कि भारत की राजनीति में कोई भी राजनीतिक दल महिलाओं की उपेक्षा नहीं कर सकता. महिलाओं को फोकस में रखकर बनाई गई कल्याणकारी योजनाएं राजनीतिक दलों को जीत दिला रही है. यह गेम चेंजर है महिलाओं के खाते में सीधे नगद ट्रांसफर की जाने वाली योजना. मध्य प्रदेश में इस योजना की कामयाबी के बाद महाराष्ट्र, बंगाल और झारखंड में भी सरकारों ने शुरू की और इसका परिणाम सबके सामने है.

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार लक्खी भंडार के तहत प्रत्येक महिला को ₹1000 से लेकर ₹1200 तक हर माह भुगतान करती है. ममता बनर्जी को इसका फायदा भी मिला है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के काफी जोर लगाने के बावजूद टीएमसी ने पूर्व लोकसभा चुनाव के मुकाबले सीटें अधिक जीती. 2019 के लोक सभा चुनाव में टीएमसी को 22 सीटें मिली थी. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने 29 सीटों पर कब्जा किया. इसके अलावा विधानसभाओं के उपचुनाव में भी टीएमसी लगातार विजय प्राप्त कर रही है. जानकार इसके लिए टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लक्खी भंडार योजना मानते हैं.

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की सरकार ने महिला सशक्तिकरण योजना का विस्तार किया. लाडली बहन योजना सरकार की ट्रेडमार्क स्कीम बन गई.इस योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार हर परिवार की महिला मुखिया को प्रतिमाह 1500 रुपए दे रही है. चुनाव से पहले भाजपा गठबंधन सरकार ने इस राशि को ₹2500 तक करने का वादा किया और इसका भाजपा गठबंधन को भारी लाभ मिला है. महाराष्ट्र की महिलाओं ने दिल खोल कर भाजपा गठबंधन सरकार को वोट किया और सत्ता में वापसी करायी है.

इसी तरह से झारखंड में वहां की सरकार ने मैया सम्मान योजना लागू की थी. इस योजना के तहत राज्य सरकार हर महीने गरीब महिलाओं को ₹1000 दे रही थी. हेमंत सरकार ने इस योजना की चार किस्त महिलाओं के खाते में ट्रांसफर भी कर चुकी है. चुनाव से पहले हेमंत सरकार ने हर महीने गरीब महिलाओं को दी जाने वाली योजना की राशि ढाई हजार रुपए तक बढ़ाने का वादा किया. वहां की महिलाओं ने इस पर मोहर लगा दी है. यानी झारखंड में हेमंत सरकार की प्रचंड बहुमत से दोबारा वापसी हुई है.

पश्चिम बंगाल के उपचुनाव से लेकर महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों ने स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई कल्याणकारी योजनाएं राजनीतिक दलों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में साबित हो रही है. यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी अगर किसी पार्टी को सत्ता में आना है तो उसे महिला कल्याणकारी योजनाओं को लाना ही होगा. हालांकि अर्थशास्त्र के दृष्टिकोण से इस तरह की लोक लुभावन योजनाओं से देश और राज्य की प्रगति रुक जाती है!

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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