सिलीगुड़ी और संलग्न जलपाईगुड़ी जिले में हाल के दिनों मे गाड़ियों में नीली बत्ती लगाकर घूमने की घटनाएं अत्यधिक बढ़ गई हैं. जो इसके पात्र नहीं हैं, वह भी अपनी गाड़ियों में नीली बत्ती लगाकर घूम रहे हैं. यह एक तरह से पुलिस प्रशासन और ट्रैफिक विभाग पर अपना प्रभाव बढ़ाने का हथकंडा है. सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी जिले में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए अब पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है. दरअसल नीली बत्ती लगे वाहन चालकों द्वारा गाड़ियों को फराटे के साथ सड़कों पर भगाने के चलते हाल में कई दुर्घटनाएं हुई हैं. इसके बाद पुलिस प्रशासन ने ऐसे वाहनों की जांच शुरू कर दी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रशासनिक कार्यालय के कुछ अधिकारी अपनी गाड़ियों में नीली बत्ती का उपयोग कर रहे हैं. कानूनन ऐसा करना अपराध है. पिछले दिनों जिला पुलिस के द्वारा नीली बत्ती वाले वाहनों की जांच शुरू की गई तो परिणाम काफी सकारात्मक रहा. पुलिस ने जलपाईगुड़ी जिला परिषद की जिला ग्रामीण विकास शाखा की एक गाड़ी, आबकारी विभाग की एक गाड़ी, एडीएसआर विभाग की एक गाड़ी के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग की एक गाड़ी को पकड़ा और अधिकारियों के खिलाफ शो काज नोटिस जारी किया है.
जलपाईगुड़ी जिले में नीली बत्ती वाले वाहनों की जांच पोस्ट ऑफिस चौराहे पर की गई थी. सिलीगुड़ी में आए दिन विभिन्न चौक चौराहों पर पुलिस प्रशासन के द्वारा किया जाता है. दार्जिलिंग जिले से लेकर जलपाईगुड़ी जिले और उत्तर बंगाल समेत पूरे प्रदेश में इन दिनों सड़कों पर नीली बत्ती वाले वाहन अधिक संख्या में चल रहे हैं. जलपाईगुड़ी जिले के पुलिस अधीक्षक उमेश खंडबहाले कहते हैं कि खासकर सरकारी विभागों के अधिकारी अवैध तरीके से अपनी गाड़ियों में नीली बत्ती लगाकर घूम रहे हैं. जबकि उनके पास नीली बत्ती लगाने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसे में पुलिस प्रशासन ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है.
कौन लोग अपनी गाड़ियों में नीली बत्ती लगाकर घूम सकते हैं. इसके लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं. भारत सरकार ने लाल बत्ती का उपयोग केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए सीमित कर दिया है. सामान्य जनता अथवा सरकारी अधिकारियों को लाल अथवा नीली बत्ती का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. 1 मई 2017 से यह प्रावधान लागू किया गया है.अगर इस नियम का कोई व्यक्ति या बाबू उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.
कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने देश में वीआईपी कल्चर को हटाने के लिए मंत्री और कैबिनेट मंत्री की गाड़ी पर लगने वाली नीली बत्ती को हटाने का आदेश दिया था. इसके बाद सरकार अथवा विपक्ष का कोई भी नेता या मंत्री अपनी गाड़ी पर नीली अथवा लाल बत्ती का उपयोग नहीं कर सकता है. लेकिन इन सभी के बावजूद रोड पर कई गाड़ियों में लाल और नीली बत्ती लगी हुई देखी जा सकती है. आज ही नीली और लाल बत्ती लगे दो चालकों को पुलिस ने पूछताछ के लिए रोका था. बताया गया है
आपको बताते चलें कि लाल बत्ती का उपयोग केवल उच्च सरकारी पदों पर बैठे अधिकारी कर सकते हैं. इसमें मुख्य तौर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष शामिल हैं. उनके अलावा अन्य कोई व्यक्ति लाल बत्ती का उपयोग नहीं कर सकता है. ऐसी बत्ती का उपयोग केवल आपातकालीन सेवाओं जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहनों द्वारा किया जा सकता है. कलेक्टर और आर्मी के अफसर भी कर सकते हैं.
जबकि नीली बत्ती का उपयोग पुलिस, आपातकालीन सेवाओं अथवा अन्य सरकारी कार्यों से संबंधित सेवा के लिए ही हो सकता है. खासकर यह पुलिस अधिकारियों, आपातकालीन सेवाओं और सरकारी एजेंसियों के लिए होता है. इसका प्रमुख लक्ष्य आपातकालीन सेवाओं को बिना बाधा के काम करने देना है. वर्तमान में इसका दुरुपयोग अत्यधिक बढ़ गया है. जलपाईगुड़ी में पुलिस ने अभियान तेज कर दिया है. जल्द ही सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस भी इस तरह का अभियान सक्रियता से चला सकती है.
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