November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

साथ जियेंगे साथ मरेंगे!

बहुत पहले एक फिल्म आई थी लैला. इस फिल्म में मशहूर गीतकार सावन कुमार ने एक गीत लिखा था. साथ जियेंगे साथ मरेंगे कि लोग हमें याद करेंगे. यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ था. यह गीत एक कोरी कल्पना पर आधारित था. जब सावन कुमार ने इस गीत की रचना की थी, तब उन्होंने यह कल्पना नहीं की थी कि मोहब्बत के इस मुकाम को वास्तविक रूप में भी साकार होते देखा जा सकेगा. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की घटना मशहूर गीतकार सावन कुमार की कल्पना को यथार्थ के धरातल पर ला खड़ा करती है.

यहां घटी घटना अखबारों और सोशल मीडिया के सुर्खियों में है. एक पति पत्नी का प्यार इस कदर गहरा था कि मौत भी दोनों को जुदा नहीं कर सकी. मुर्शिदाबाद जिले के कांदी में शंकर मंडल और उनकी पत्नी नियति मंडल रहते थे. शंकर मंडल 85 साल के हो चुके थे. जबकि उनकी पत्नी नियति मंडल की उम्र 68 साल थी. दोनों पति-पत्नी में काफी प्यार था. लगभग 50 साल का उनका दांपत्य जीवन एक ही दिन में दोनों की मौत के साथ ही समाप्त हो गया. इसलिए इस घटना की चर्चा न केवल मुर्शिदाबाद जिले में ही बल्कि पूरे प्रदेश में भी हो रही है.

परिवार के लोग शोक में डूबे हुए हैं.क्योंकि एक ही घर से दो-दो लोगों की अर्थी एक साथ उठी है. पूरा गांव शोक मग्न है और केवल शंकर मंडल और उनकी पत्नी नियति मंडल की मौत की ही चर्चा कर रहा है. शंकर मंडल के परिवार में उनकी पत्नी नियति मंडल के अलावा एक बेटा और दो बेटियां थीं. पति पत्नी दोनों ने अपने बेटे बेटियों की शादी धूमधाम से कर दी थी. परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था.

शंकर मंडल लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. उनकी पत्नी नियति मंडल पति की दिन-रात सेवा करती. कुछ दिन पहले शंकर मंडल की हालत बिगड़ने पर नियति मंडल उन्हें भरतपुर ग्रामीण अस्पताल ले गई थी. वहां उनका इलाज हुआ. जब कुछ ठीक हुए तो उन्हें फिर से घर लाया गया. परंतु घर आने पर शंकर मंडल की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. नियति मंडल पति की दिन रात सेवा में जुटी रही. पर नियति को कुछ और मंजूर था. मंगलवार की रात शंकर मंडल का देहांत हो गया.

जब शंकर मंडल का पार्थिव शरीर अस्पताल से घर लाकर आंगन में रखा गया तो नियति मंडल अपने पति की मौत का गम बर्दाश्त नहीं कर पाई और रोते हुए पति के सीने पर सिर रख दिया. उसके बाद वह रोते-रोते बेहोश हो गई. घर वालों ने सोचा कि उसे सदमा लगा है. अत उसे होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी का छिड़काव किया गया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बाद में शंकर मंडल के बेटे ने डॉक्टर को बुलाया. डॉक्टर ने जांच की तो पता चला कि नियति मंडल की भी मौत हो चुकी है.

गांव के लोग बताते हैं कि ऐसा हम लोगों ने कथा कहानियों मे सुना और फिल्मों में देखा था. परंतु हकीकत में भी ऐसा होता है. यह उन्होंने पहली बार अपनी आंखों से देखा है. घर वालों ने दोनों मृतक पति-पत्नी का अंतिम संस्कार गांव में ही एक साथ कर दिया है. मृत दंपति के बेटे अनंत मंडल बताते हैं कि उनके माता-पिता में काफी प्यार था. कभी दोनों एक दूसरे से अलग नहीं हुए. कभी दोनों किसी बात को लेकर एक दूसरे से झगड़े भी नहीं. उनके विचार आपस में मिलते थे. दोनों मिलकर फैसले करते थे. दोनों ने एक साथ जीया और एक साथ ही प्राण त्याग दिया. इस तरह की घटना बहुत कम देखी सुनी जाती है.

लेकिन मुर्शिदाबाद में इस घटना की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है. यहां के लोग इसे एक अद्भुत घटना बताते हैं. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि सच्चा प्यार हमेशा गहरा होता है. यही कारण है कि एक के नहीं रहने पर दूसरे ने अपना जीवन अधूरा समझा और एक साथ मौत को गले लगा लिया.

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