सिलीगुड़ी में एक अजीब सी दहशत देखी जा रही है. पहली बार ऐसा देखा जा रहा है, जब लोग एक दूसरे से सवाल करते हुए एक अजीब सी निराशा में घिर जाते हैं. किसी के पास कोई जवाब नहीं है. दार्जिलिंग मोड़ से लेकर फूलबारी तक और मेडिकल से लेकर सालूगाड़ा तक सब जगह लोग टेंशन में हैं.जल ही जीवन है. जल बिन दुनिया सूनी है. सिलीगुड़ी में यह सूनापन अब देखा जा रहा है.
SMC की डेडलाइन की तलवार खड़ी है. कल 10 तारीख है और 10 तारीख से सिलीगुड़ी नगर निगम पर जलापूर्ति के लिए दबाव नहीं दिया जा सकता . क्योंकि मेयर गौतम देव ने पहले ही सिलीगुड़ी के लोगों से जलापूर्ति में असुविधा के लिए माफी मांग ली है. अब जो करना है सिलीगुड़ी के नागरिकों को खुद ही करना है. सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से महानंदा का पानी शुद्ध करके वितरित करने की बात कही गई है. पर सच्चाई यह है कि महानंदा में पानी ही नहीं है. फिर भी मेयर गौतम देव सिलीगुड़ीवासियों को आश्वस्त कर रहे हैं कि सिलीगुड़ी में जल के लिए हाहाकार नहीं होगा. पर यह आश्वासन निराधार ही कहा जाएगा.
आज मेयर गौतम देव ने एक संवाददाता सम्मेलन में सिलीगुड़ी के लोगों को भय से उबारने की एक कोशिश जरूर की है. उन्होंने कहा कि 6 करोड़ 9 लाख रुपए से जलाशय का निर्माण किया जा रहा है. सिंचाई विभाग उसे एक महीने में पूरा कर लेगा. मेयर गौतम देव ने 7 जून तक उसे कंप्लीट कर लेने की बात कही है. लेकिन तब तक क्या होगा? एक दिन, दो दिन तो लोग निकाल लेंगे. इंजीनियरों को कहा गया है कि तीस्ता बांध को 25 मई तक पूरा कर लिया जाए. हालांकि जो संकेत मिल रहा है, कम से कम 1 महीना बांध निर्माण में लग जाएगा. यानी एक महीने तक सिलीगुड़ी के लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.
गौतम देव कहते हैं कि प्रत्येक दिन प्रति बोरो को वार्ड में वितरित करने के लिए 3000 पानी का पाउच दिया जाएगा. 21 टैंकर की व्यवस्था की गई है, जो वार्ड वार्ड में जाकर पानी पहुंचाएगा. हो सकता है कि तीन-चार दिनों तक सिलीगुड़ी के लोगों को ज्यादा असुविधा नहीं हो, पर उसके बाद क्या होगा? गौतम देव भी आशंकित हैं. रविवार से लेकर इस संदर्भ में उन्होंने दो-दो बार सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, सिंचाई विभाग तथा जल विभाग अधिकारियों के साथ बैठक कर ली है. पर किसी ने भी अलादीन के चिराग से जल संकट के समाधान की बात नहीं सुझाई है.
हालांकि सिलीगुड़ी में जल का हाहाकार नहीं हो, यह देखने के लिए एक कंट्रोल रूम भी खोला जा रहा है, जो 24 घंटे तक खुला रहेगा. और जहां भी शहर में जल का संकट होगा, कंट्रोल रूम के जरिए अधिकारियों को सूचना मिलेगी और जल को संबंधित इलाके में पहुंचाया जाएगा . लेकिन यह पर्याप्त नहीं होगा. टैंकर और पाउच के जरिए जल की कमी को आखिर कब तक और कितना पूरा किया जा सकता है.
सिलीगुड़ी के लोगों को जल की कमी नहीं होने देने के लिए 100000 पानी का पाउच खरीदा जा रहा है. इसके अलावा 21 टैंकर भी तैयार हैं जो सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत विभिन्न वार्डों में पानी की आपूर्ति करेंगे. मेयर गौतम देव ने कहा कि कई जगह पानी के पाइप में लीकेज हुआ है. उसे भी ठीक किया जा रहा है. इसके अलावा पाइप की चोरी रोकने के लिए स्थानीय वार्ड कमेटी को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. सब कुछ ठीक है. लेकिन इस भीषण गर्मी में लगभग पूरे महीने तक सिलीगुड़ी के लोगों में जल का हाहाकार नहीं हो, इसका सटीक उपाय ना तो प्रशासन के पास है और ना ही नागरिकों के पास.
वास्तव में सिलीगुड़ी में पानी के लिए हाहाकार का यह कारण गाजल डोबा में तीस्ता के बांध के निर्माण के कारण जलापूर्ति को रोकना है. बरसात से पहले तीस्ता के बांध का निर्माण किया जाना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो बरसात में जलपाईगुड़ी डूब जाएगा. यहां सिक्किम की तरह ही भयानक त्रासदी आ सकती है. कल से यह कार्य शुरू हो जाएगा और कम से कम पूरे महीने तक पूरा होने में लग जाएगा. बांध निर्माण के कारण सिलीगुड़ी को की जाने वाली जलापूर्ति रोक दी जाएगी. ऐसे में सिलीगुड़ी के लोग टेंशन में है कि पानी की आपूर्ति किस तरह से हो सकेगी. क्योंकि पानी से ही सारा काम होना है.
दार्जिलिंग मोड, बर्दवान रोड, वार्ड नंबर 5, वार्ड नंबर 34 समेत सिलीगुड़ी नगर निगम के कुछ वार्डो को छोड़कर सभी वार्डों का खस्ता हाल है. गर्मियों में पेयजल संकट तो वैसे ही रहता है. नल है लेकिन नल से पानी नहीं आता है. अगर आता भी है तो बहुत कम और जल्द ही चला भी जाता है. कल से तो यह स्थिति और खराब होने वाली है. लोग जल संकट से उबरने के लिए इधर-उधर से पानी के जुगाड़ में लग गए हैं. यहां कुआं और हैंड पाइप पहले ही सूख चुके हैं. इसलिए लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वर्तमान भीषण जल संकट का समाधान क्या है. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि अब तो भगवान ही मालिक है!
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