पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार को काफी बड़ी राहत मिली है. कम से कम सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार के उस अनुरोध को मान लिया है, जिसमें राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त विद्यालयों में अतिरिक्त पदों के सृजन के पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल के फैसले की जांच सीबीआई से कराए जाने का कोलकाता हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी आवश्यकता नहीं समझी है.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 3 अप्रैल को बंगाल सरकार को गंभीर झटका दिया था. अदालत ने राज्य सरकार द्वारा संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में 25 753 शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था. अदालत ने माना था कि पूरी चयन प्रक्रिया त्रुटि पूर्ण और दागदार थी. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह अतिरिक्त पदों के सृजन के निर्णय पर सीबीआई जांच की दिशा के संबंध में बंगाल सरकार की याचिका पर स्वतंत्र रूप से विचार करेगी.
इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को बड़ी राहत दी है. और कहा है कि कोलकाता हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं लगता. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमारा मानना है कि मंत्रिमंडल के निर्णय पर अतिरिक्त पदों के सृजन के मुद्दे को सीबीआई को सौंपने का हाई कोर्ट का निर्णय उचित नहीं था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 3 अप्रैल के फैसले पर कोई असर नहीं होगा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में बर्खास्त शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जांच जारी रहेगी. 2016 में स्कूल सर्विस कमिशन की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया अनियमित व भ्रष्टाचार में सनी थी. इसलिए उसे रद्द करना पड़ा. यह तो तय हो गया कि जो 26000 शिक्षक और कर्मचारी बर्खास्त हो गए हैं, उनका भविष्य खतरे में है.
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