सिक्किम की दुर्गम पहाड़ियों में पिछले 1 महीने से चल रही फायरिंग थम गई है. T-90 टैंकों समेत सभी खतरनाक आधुनिक युद्धक शस्त्रों की इस फायरिंग ने आसमान का कलेजा छलनी छलनी कर दिया. पहाड़ियों की गर्जना चीन में भी सुनाई दी है. सिक्किम से सटे चीन की सीमा के पार अपनी आयुध गर्जना से त्रिशक्ति कोर ने दुश्मन को याद दिलाया है कि यह 1962 का भारत नहीं है.
लेकिन घबराइए नहीं. चीन से युद्ध का यह दृश्य नहीं है. यह तो त्रिशक्ति कोर का नियमित प्रशिक्षण अभ्यास था. एक से बढ़कर एक बख्तरबंद युद्ध रणनीतियों को अच्छी तरह परखा गया. अपने कठिन और दुर्गम अभ्यास के जरिए भारतीय सेना ने अपने दमखम और बहादुरी को साबित किया है.
जी हां,सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा और दुश्मनों का दांत खट्टे करने के लिए हर पल तैयार सुकना त्रिशक्ति कोर ने सिक्किम में T -90 टैंकों और मारक क्षमता का परीक्षण व प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर लिया है. T 90 टैंक भारतीय सेना के सबसे आधुनिक मुख्य युद्धक टैंकों में से एक है. यह उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम, बेहतरीन गतिशीलता और मजबूत सुरक्षा प्रणाली से लैस है.
यह टैंक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम है, जिससे यह दूर स्थित दुश्मन के टैकों को सटीकता से निशाना लगा सकता है. इसके अलावा थर्मल इमेजिंग और आधुनिक सेंसर इसे रात में भी प्रभावी बनाते हैं. सेना के जवानों ने सिक्किम में अभ्यास के दौरान अपने अचूक निशानों से दुश्मन देश खासकर चीन की अक्ल ठिकाने लगा दी है. सेना ने बता दिया है कि सिलीगुड़ी गलियारा पर बुरी नजर रखने वाले खुद ही मिट जाएंगे.
सिक्किम से गरजने वाली सेना के बख्तरबंद युद्धक टैंकों ने चीन को अहसास करा दिया है कि भारतीय सेना केवल सक्षम ही नहीं, बल्कि उतना ही बहादुर और सिक्किम की आंख में आंख डालकर अपनी धरती की रक्षा करना भी जानती है. पूरे 1 महीने तक यह अभ्यास चला. इस लाइव फायरिंग अभ्यास को देखना भी अपने आप में एक रोमांच था. हमारी सेना समय-समय पर युद्ध अभ्यास करती रहती है, ताकि जरूरत पड़ने पर सेना दुश्मन का मुंह तोड़ जवाब दे सके.
इस लाइव फायरिंग प्रशिक्षण और अभ्यास का लक्ष्य बख्तरबंद युद्ध रणनीतियों को परखना है. आपको बताते चलें कि T-90 युद्धक टैंकों में शामिल किया गया है और इसकी विशेषता यह है कि बहुत दूर से ही दुश्मन के टैंक को निशाना लगाने में पूरी तरह सक्षम है. हमारी सेना मारक क्षमता का हमेशा परिचय देती आई है.
ऊंचाई वाले इलाकों में त्रिशक्ति कोर का प्रशिक्षण और अभ्यास काफी जोखिम भरा होता है. लेकिन हमारे बहादुर सैनिक हर पल परीक्षा की कसौटी पर खरे उतरते हैं और किसी भी परिस्थिति में खुद को इतना सक्षम बना लेते है कि दुश्मन को भी सोचने पर मजबूर हो जाना पड़ता है. त्रिशक्ति कोर की यह तैयारी सेना के नियमित प्रशिक्षण का एक अंग है.
आपको बताते चलें कि त्रिशक्ति कोर पर सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. कुछ समय पहले सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा पर कुछ सवाल उठने लगे थे. यह कहा जा रहा है कि चीन की निगाह सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर टिकी है. चीन सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अपना नियंत्रण पाना चाहता है. ताकि इस कॉरिडोर का इस्तेमाल कर उत्तर पूर्व राज्यों को अपने शिकंजे में ले सके.
इस खुफिया जानकारी के बाद त्रिशक्ति कोर ने अपने प्रशिक्षण अभ्यास को सिक्किम की पहाड़ियों में जाकर पूरा किया है और चीन को अपने अभ्यास के जरिए यह संदेश दे दिया है कि त्रिशक्ति कोर के रहते हुए चीन सिलीगुड़ी गलियारे पर कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होगा.
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