भरा पूरा परिवार था. संयुक्त परिवार में पति, पत्नी, भाई व भाई का परिवार रहता था. सभी एक दूसरे पर जान छिड़कते थे. कुल छह लोग रहते थे. उनके शरीर भले ही अलग-अलग थे. लेकिन जान एक थी. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि यह पूरा परिवार सदमे में आ गया. परिवार की तीन महिलाएं तो इस दुनिया से रुखसत हो गई. जबकि बाकी बचे लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. यह रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला न केवल कोलकाता में ही बल्कि पूरे भारत में सुर्खियों में है.
कोलकाता के टेंगरा इलाके में रहता था दे परिवार. परिवार में हंसी खुशी थी. दो सगे भाई प्रणय दे और प्रसून दे की एक फैक्ट्री थी. जिसमें चमड़े के gloves तैयार होते थे. कारखाने में 25 से 30 श्रमिक काम करते थे. उत्पादित सामान को विदेशों में भेजा जाता था. लेकिन कुछ साल से उनका कारोबार ठंडा चल रहा था. व्यवसाय और परिवार चलाने के लिए दोनों भाइयों ने करोड़ों का कर्ज ले रखा था. जब उनका धंधा नहीं चला तो उन्होंने अन्य व्यवसाय में भी हाथ डाला. लेकिन दूसरे व्यवसाय में भी उनका काफी नुकसान हो गया. ऐसे में उनकी देनदारी बढ़ती गई.
पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दे परिवार ने 6 फाइनेंस कंपनियों और प्राइवेट बैंकों से अपने मकान को गिरवी रखकर करोड़ों रुपए का कर्ज ले रखा था. इससे वे काफी परेशान रहते थे. काम धंधा तो चल नहीं रहा था.आमदनी शून्य थी. जबकि तगादा बढ़ता जा रहा था. जब भी कोई तगादे वाला आता, दोनों भाई इधर-उधर छुप जाते थे. उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. फिर उन्होंने जो कदम उठाया, वह रूह को कंपकपा देने वाला था.
19 फरवरी को इस परिवार की तीन महिलाएं अपने घर के अंदर मृत पाई गई. उनकी कलाई कटी हुई थी. जबकि बाकी तीन अन्य सदस्य कार में दुर्घटनाग्रस्त हो गए. दुर्घटना तब हुई जब उनकी कार ईएम बाईपास पर मेट्रो पिलर से टकरा गई.पुलिस ने तीन महिलाओं की पोस्टमार्टम की प्राथमिक रिपोर्ट में पाया है कि उनकी हत्या की गई थी. पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रणय की पत्नी सुदेशना दे, प्रसून की पत्नी रूमी दे और उसकी बेटी की हत्या की गई थी. दोनों महिलाओं की गला और कलाई काटकर हत्या की गई थी.
जबकि नाबालिग बच्ची के भोजन में जहर मिलाया गया था. जांच के क्रम में पुलिस को एक सनसनी खेज जानकारी मिली. अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे प्रणय दे ने अपने बयान में पुलिस को बताया है कि उनके परिवार के सभी सदस्यों ने खुद को मिटा डालने के लिए एक साथ खीर में नींद की गोलियां मिलाकर खायी थी. लेकिन परिवार के पुरुष सदस्यों को कुछ नहीं हुआ.प्रसून और प्रणय ने सोचा कि नाबालिक बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा और फिर दोनों भाई खुद को मिटा डालेंगे. लेकिन नाबालिग बच्ची ने अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया.
यह घटना सुर्खियों में है, जहां कर्ज में दबे एक परिवार ने जिंदगी से छुटकारा पाने के लिए एक खतरनाक फैसला लिया. लेकिन क्या उनका फैसला सही है? जिंदगी से पलायन करना समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने चुनौतियों का सामना करने के बजाय जीवन से पलायन करने का जो रास्ता चुना,उसे किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है. टेंगरा कांड में घटना में जीवित बच्चे एक किशोर समेत परिवार के तीन पुरुष सदस्यों की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है. तीनों ही सदस्य आईसीयू में हैं.
43 वर्षीय प्रसून दे की कई पसलियां टूट गई है. कोहनी से कलाई तक की हड्डी टूटी पाई गई है. प्रसून के भाई प्रणय दे को भी आईसीयू में भर्ती कराया गया है. उन्हें भी गंभीर शारीरिक चोट आई है. 14 वर्षीय किशोर के शरीर पर चोट के कई निशान भी हैं. उसका दाहिना हाथ टूटा हुआ है. यह घटना एक सबक भी है. अगर यह सभी बच भी जाते हैं तो उन्होंने जो खोया है, उसे कैसे हासिल करेंगे. अगर यह प्रमाणित हो गया कि उन्होंने ही महिलाओं की हत्या की है, तो ऊपर से उन पर हत्या का मुकदमा भी चलेगा. अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में अगला कदम क्या उठाती है.
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