एक तरफ पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर टीएमसी ने अभी से ही अपनी जमीन को मजबूत करना शुरू कर दिया है, तो दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा केंद्रीय नेताओं का मुंह ताक रही है.इसी महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बंगाल आने वाले हैं. लेकिन उससे पहले भाजपा में टूट का सिलसिला जारी है.
प्रदेश भाजपा नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का गढ काफी सुरक्षित और मजबूत माना जाता रहा है. लेकिन अब शुभेंदु अधिकारी के गढ में भी टीएमसी ने घुसपैठ कर दी है.यहां से भाजपा की विधायक तापसी मंडल थी. अब उन्होंने भाजपा छोड़ कर टीएमसी में सदस्यता ग्रहण कर ली है. तापसी मंडल के बारे में कहा जाता है कि वह लंबे समय से राजनीति से जुड़ी हुई है. 2016 का विधानसभा चुनाव उन्होंने माकपा से लड़कर जीता था. 2021 के चुनाव से पहले तापसी शुभेंदु अधिकारी के कहने पर भाजपा में शामिल हुई और भाजपा की टिकट पर हल्दिया से चुनाव जीतने में सफल रही.
सूत्र बता रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों से तापसी मंडल और सुवेंदु अधिकारी के बीच अनबन चल रही थी. सुबेंदु अधिकारी ने तापसी मंडल के कुछ अधिकार और जिम्मेदारियों को उनसे छीन लिया था. इससे वह नाराज चल रही थी और जैसे ही टीएमसी से उन्हें संकेत मिला, उन्होंने टीएमसी ज्वाइन कर लिया.
यह माना जाता है कि उत्तर बंगाल भाजपा का सुरक्षित गढ़ है. उत्तर बंगाल से भाजपा ने अधिकांश विधानसभा की सीटें जीती है. इनमें दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी ,अलीपुरद्वार ,कूच बिहार, मालदा आदि जिले शामिल है. फालाकाटा में भाजपा की मजबूत स्थिति के बारे में बताने की जरूरत नहीं है. लेकिन मौजूदा हालात यह है कि भाजपा की फालाकाटा में भी जमीन खिसक रही है. टीएमसी के एक नेता के दावे के अनुसार यहां के भाजपा नेता रंजीत बर्मन समेत 30 परिवार टीएमसी में शामिल हो गए हैं.
इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ भूतपूर्व सांसद जॉन बारला की नाराजगी और भाजपा से दूरी के खूब चर्चे हो चुके हैं. दार्जिलिंग जिले में भी कम से कम पहाड़ में भाजपा की स्थिति संतोषजनक नहीं है. कर्सियांग के भाजपा विधायक टीएमसी में शामिल होने का मौका देख रहे हैं. राजू बिष्ट के सबसे करीबी दार्जिलिंग भाजपा विधायक नीरज जिंबा पहले भी भाजपा पर आग बबूला हो चुके हैं.
हाल ही में मंडल चुनाव में भाजपा का असंतोष देखने को मिला था. वह चाहे सिलीगुड़ी हो या कोलकाता या बंगाल का कोई अन्य शहर, सब जगह असंतोष देखने को मिला. सुकांत मजूमदार अभी तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उन्हें यह सीट छोड़नी है. लेकिन चिंता इस बात की है कि भाजपा को अभी ऐसा कोई नेता नहीं मिल रहा है, जिसके नेतृत्व में 2026 का विधानसभा चुनाव लड़ा जा सके और जो इतना सक्षम हो कि भाजपा को प्रदेश में सत्ता दिलाने में अपना जौहर दिखा सके.
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पहले ही कह चुका है कि 2026 में टीएमसी की विदाई तय है. लेकिन यह कैसे होगा? केवल भाषण बाजी से नहीं होने वाला है. कुछ दिनों में ही अमित शाह बंगाल आने वाले हैं. उनके आने के बाद ही प्रदेश भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं में एक नई ऊर्जा का संचार होगा. हालांकि पार्टी में चल रही टूट और मतभेद को लेकर भाजपा के एक नेता ने आंतरिक कलह जरूर बताया है. अपना नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि जल्द ही मतभेद दूर कर लिए जाएंगे और फिर से भाजपा उसी जोश और खरोश के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी.
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