इसमें कोई शक नहीं है कि 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में यूं तो बहुत से दल होंगे, लेकिन उनमें मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने वाला है. तृणमूल कांग्रेस में संगठन के स्तर पर बदलाव की प्रक्रिया जारी है. पार्टी की ओर से ऊर्जावान और सक्षम चेहरे को लाया लाया जा रहा है. जबकि भाजपा की ओर देखे तो अभी तक नए प्रदेश अध्यक्ष की भी नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में 2026 में भाजपा की टीएमसी की हार और भाजपा की विजय की यह रणनीति कैसी है, यह समझ से परे है.
काफी समय से भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चा चल रही है. जनवरी में ही पार्टी ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी और उस समय यही कहा जा रहा था कि फरवरी तक प्रदेश को नया भाजपा अध्यक्ष मिल जाएगा. मगर ऐसा नहीं हो सका. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बालूरघाट के सांसद और केंद्र में मंत्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार है. सुकांत मजूमदार को केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी. क्योंकि पार्टी के सिद्धांत के अनुसार एक व्यक्ति दो पद पर नहीं रह सकता है.
जनवरी से शुरू हुई चर्चा मार्च अप्रैल में तब और तेज हो गई, जब बूथ और जिला स्तर पर नए अध्यक्षों की नियुक्ति हुई. पर प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में सब कुछ शांत पड़ गया. इस बारे में राजनीतिक जानकार और विश्लेषक यह मानते हैं कि भाजपा में संगठन के स्तर पर तृणमूल से भी ज्यादा गुटबाजी तथा नेतृत्व की भारी कमी है.
आलोचक और जानकार मानते हैं कि प्रदेश भाजपा में संगठन के स्तर पर एकजुटता का अभाव है.नेता आपस में टांग खींचने लगे हैं. ऐसे में भाजपा के कार्यकर्ता भी दिशाहीन हो रहे हैं और उनमें पहले जैसा जोश भी दिखाई नहीं देता है. सिलीगुड़ी में भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि प्रदेश अध्यक्ष ऐसा हो, जो उनकी भावनाओं और प्रदेश की संस्कृति को सही दिशा में ले जा सके.
अगर भाजपा को 2026 में अच्छा करना है तो सर्वप्रथम उसे संगठन के स्तर पर मजबूत होना पड़ेगा. पार्टी में अनुशासन की भी कमी है. जो लोग पार्टी छोड़कर TMC में शामिल हो रहे हैं, उनका कहना है कि प्रदेश के बड़े भाजपा नेता उनकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं तथा उनसे पार्टी के मामलों में कोई राय नहीं ली जाती है. पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह टीएमसी के मजबूत जनाधार और संगठन के सामने अपनी स्थिति को कैसे मजबूत कर सके.
किसी भी राजनीतिक दल की विजय के बारे में यह कहा जाता है कि जो राजनीतिक दल संगठन के स्तर पर जितना अधिक मजबूत रहता है, उस राजनीतिक दल की विजय उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि संगठन के स्तर पर मजबूत होकर ही कोई भी राजनीतिक दल सत्ता के करीब पहुंच सकता है. दूसरी तरफ भाजपा का हाल यह है कि संगठन के स्तर पर पार्टी कमजोर है.
खुद सिलीगुड़ी में भी यह देखा जाता है. पिछले एक साल से सिलीगुड़ी में कोई भी संगठनातक बैठक नहीं की गई है. संगठन को लेकर ना ही कोई रणनीति तैयार की गई है. संगठन मंत्री ने लगभग 9 महीने पहले अपना आखिरी दौरा पूरा किया था. अब पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि प्रदेश में नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो,ताकि उनके मार्गदर्शन में भाजपा को नई मजबूती मिल सके.
जितना और जो भी देर हो रही है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इसी साल भाजपा कार्यकर्ताओं को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. प्रदेश भाजपा के नेता बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसका फैसला अखिल भारतीय बीजेपी करती है. पार्टी के संगठन मंत्री अमिताभ चक्रवर्ती भी ऐसा ही कहते है.सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी के अध्यक्ष अरुण मंडल हैं. वे भी इसी बात को दोहराते हैं कि नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भाजपा हाई कमान करता है.
उन्होंने कहा कि रही बात अन्य सांगठनिक चुनाव की, तो जिला स्तर पर लगातार संगठनात्मक बैठकें होती रहती हैं. इसके अलावा छोटे से लेकर बड़े राजनीतिक कार्यक्रम भी बनाए जाते हैं. यानी भाजपा पूरी तैयारी के साथ टीएमसी का मुकाबला करने के लिए तैयार है. विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा को अगर बंगाल में अपना दम दिखाना है तो तुरंत ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सके. इसके साथ ही संगठन के स्तर पर भाजपा की ओर से एक महत्वपूर्ण मैसेज दिया जा सके.
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