June 1, 2025
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लाइफस्टाइल

क्या अब 9 साल बाद बिहार में शराबबंदी का कानून हटेगा ?

बिहार में शराबबंदी के लगभग 9 साल बीत चुके हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 अप्रैल 2016 को बिहार के लिए यह ऐतिहासिक नियम लागू किया था |
सवाल यह उठता है कि, बिहार में शराबबंदी का कितना असर हुआ है, आंकड़ों की माने तो 2015 से16 के बीच में बिहार में शराब पीने वाले पुरुष 28.9 प्रतिशत थे और अब भी 17 प्रतिशत पुरुष शराब पीते हैं | 2016 के दौर में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, तब उन्हें मिली जुली प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा था | हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि, वे अपने द्वारा संचालित बड़े पैमाने पर अवैध शराब के व्यापार से पैसा कमा रहे हैं।
जहाँ उच्च न्यायालय ने इस तरह की टिप्पणी की, तो वहीं राजनीतिक पंडितों ने भी नीतीश कुमार के इस शराबबंदी के फैसले को मास्टर स्ट्रोक करार दिया, देखा जाए तो उसके बाद के चुनावों में जेडीयू और नीतीश कुमार को शराबबंदी का जबरदस्त फायदा मिला, खास तौर पर महिलाओं ने जमकर नीतीश कुमार का समर्थन किया और बिहार की महिलाओं के वे महसीहा बन गए, क्योंकि इस ऐतिहासिक कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और बिहार की जनता को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से निजात दिलाने में मदद की |
लेकिन शराबबंदी के कई नुकसान भी सामने आए हैं, क्योंकि शराबबंदी का फैसला कई लोगों को मौत की नींद सुला चुका है राज्य में शराबबंदी के बावजूद लोग जहरीले शराब का सेवन कर रहे हैं जिससे उनकी मौत हो रही है | अब तो पटना हाई कोर्ट ने भी कह दिया है कि, शराब बंदी गरीबों के लिए मुसीबत बन गई है | हाइकोर्ट ने कहा कि, यह कानून शराब और दूसरी गैरकानूनी चीजों की तस्करी को बढ़ावा दे रहा है, गरीबों के लिए परेशानी का सबब बन गया है |

अब बात करते हैं शराब की कालेबाजारी की, शराबबंदी से बिहार में नकली और फर्जी शराब बनाने व उसकी बिक्री में कई प्रतिशत इजाफा हुआ है एक ओर तो जहां नकली और जहरीले शराब पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं और लोगों की मौत भी हो रही है तो वहीं बिहार में शराब की तस्करी को भी बढ़ावा मिला है | इन सभी विषय के कारण बिहार के राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है |
बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्ष ने भी नीतीश सरकार को आड़े हाथ लिया है बता दे कि, पटना हाइकोर्ट की सख्त टिप्पणी को लेकर लालू यादव की पार्टी RJD के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा, “हाइकोर्ट ने बिहार के अवैध शराब के कारोबार पर मुहर लगा दी है, उन्होंने कहा कि, नीतीश कुमार ने बिहार को ‘जिंदा लाश’ में तब्दील कर दिया है |
इतना ही नहीं प्रशांत किशोर 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुके हैं और वह लगातार शराबबंदी को बिहार में फेल बता रहे हैं, साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि, यदि बिहार में उनकी सरकार बनती है तो वे 1 घंटे के अंदर शराबबंदी कानून को उखाड़ कर फेंक देंगे |
बिहार में शराबबंदी से हर साल 20,000 करोड़ का नुकसान का भी दावा जनसुराज पार्टी ने किया है |

यदि बिहार में सही मायने में शराबबंदी हो चुकी है, तो इन 9 सालों में लगभग 9 लाख शराब से जुड़े मामले दर्ज हो चुके हैं, लगभग 13 लाख लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, वहीं 4 करोड़ लीटर से ज्यादा अवैध शराब बरामद किए जा चुके हैं, इसके अलावा लगभग 300 लोगों की संदिग्ध मौत और लगभग 200 लोगों के मरने की वजह जहरीली शराब बन चुका है | इसके अलावा बिहार के बाहर से लगभग 250 शराब माफिया गिरफ्तार किया जा चुके हैं | वहीं एजेंसियों की माने तो शराबबंदी के बाद बिहार में अन्य प्रतिबंधित मादक पदार्थों की तस्करी और इसके लत में पड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है |

वहीं पुलिस सूत्रों के अनुसार बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार शराब तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं, अब बात करें 2025 में होने वाले बिहार के विधान सभा चुनाव की, तो एक ओर तो प्रशांत किशोर ने अब शराबबंदी के कानून को उखाड़ कर फेंकने का दावा कर दिया है, तो देखना यह है कि, अब बिहार की जनता का क्या फैसला होता है, क्योंकि 2016 में शराबबंदी के फैसले के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की महिलाओं के चहेते बन गए थे और शराबबंदी का बंपर फायदा नीतीश कुमार को हर चुनाव में मिला है , तो वहीं पुरुषों की आंखों की किरकिरी भी नीतीश कुमार बन गए, अब प्रशांत किशोर द्वारा किया गया दावा बिहार विधान सभा चुनाव में कितना असर करता है, यह तो समय निर्धारित करेगा |

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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