इन दिनों सिक्किम में सिक्किम और पश्चिम बंगाल के लिए अभिशाप बनती जा रही तीस्ता नदी के डैम को निष्क्रिय करने के कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान की चर्चा हो रही है, जिसमें जयराम रमेश ने कहा है कि तीस्ता नदी के सारे डैम को बंद कर दिया जाना चाहिए. क्योंकि यह पश्चिम बंगाल और सिक्किम के लिए अभिशाप बन गए हैं. नेशनल हाइड्रो पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार तीस्ता नदी में सेवक से लेकर सिक्किम तक कुल 47 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं, जिसमें 9 कमीशनड है, 15 पर काम चल रहा है जबकि 28 प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है.
दूसरी तरफ NH10 की भांति ही तीस्ता नदी सिक्किम की जीवन रेखा मानी जाती है. चाहे NH10 हो या तीस्ता नदी अथवा तीस्ता नदी में बने डैम हो, पिछले कुछ सालों से उन्होंने सिक्किम की समस्या को बढ़ाया ही है. हाल के दिनों मे भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण सिक्किम की समस्या गंभीर हुई है. सबसे बड़ी समस्या आवागमन को लेकर है. एकमात्र NH10 पर आए दिन भूस्खलन की घटनाएं होती हैं, जिसके कारण मार्ग को बंद कर दिया जाता है. शेष भारत से सिक्किम के कट जाने से कभी-कभी चीन की ओर से बदमाशियां भी शुरू हो जाती हैं.
चीन की सीमा से सटा होने के कारण सिक्किम सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन गया है. वर्तमान में सिक्किम विभिन्न संकटों को झेल रहा है. नाथुला के पास चीन लगातार अपनी ताकत की नुमाइश कर रहा है.चीन ने अपनी सीमा के पास कई गांव बसा दिए हैं. ग्रामीणों के जरिए चीन की नजर भारतीय भूभाग पर भी टिकी हुई है. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है. कई बार सिक्किम के मुख्यमंत्री से लेकर सांसद तक ने केंद्र को चिट्ठी लिखी और संसद में इस मुद्दे को उठाया भी. ऐसा नहीं है कि भारत सरकार इस समस्या को हल्के से ले रही है. सरकार खुद चाहती है कि सिक्किम में परिवहन व्यवस्था सुदृढ़ हो सके. इसके लिए सेवक रंगपु रेल परियोजना समेत NH-10 को अपने अधिकार क्षेत्र में लेना, इत्यादि पर तेजी से काम चल रहा है.
भारत सरकार सिक्किम की सुरक्षा और भारत चीन सीमा तक आवागमन चुस्त दुरुस्त करने के लिए एक फूल प्रूफ योजना तैयार कर रही है. पिछले दिनों सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा ने सदन में मांग की थी कि उत्तरी सिक्किम में भारतीय सीमा के पास रहने वाले ग्रामीणों को भूमि के अधिकार दिए जाएं. उनकी इस मांग के पीछे एक तर्क भी है. अगर लोग वहां बस्तियां बसा कर रहने लगे तो चीन की रणनीति का मुकाबला किया जा सकता है. सांसद का मानना है कि सिक्किम सीमा पर निवासियों के लिए स्थाई बस्तियां बसाने से सिक्किम को एक मजबूत संदेश जाएगा और देश की सीमा सुरक्षित और मजबूत होगी.
सिक्किम चीन के साथ 220 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के बीच लगभग दो महीने तक सीमा पर गतिरोध चला था. चीन ने पिछले 8 सालों में भारत की सीमा से लगे हिमालयी दरे के पास कम से कम एक गांव बसाया है. इतना ही नहीं भूटान और नेपाल की सीमा से लगे अधिकांश दरों पर भी चीन का कब्जा है. ऐसे में अगर भारतीय सीमा में स्थाई रूप से बस्तियां बसाई जाएं तो चीन को एक कड़ा संदेश जाएगा. इस बात को सरकार भी समझती है. उत्तरी सिक्किम के सीमावर्ती इलाकों में वर्तमान में 200 से 300 परिवार रहते हैं. लेकिन उनके पास अपनी भूमि नहीं है. पूरा इलाका सेना और अन्य सरकारी विभागों द्वारा आरक्षित है.
चीन की इस रणनीति का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार ने 2023 में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया था. इस कार्यक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 46 ब्लॉकों के चुनिंदा गांवों को शामिल किया गया है. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार चीन की रणनीति का मुकाबला करने के साथ-साथ सिक्किम को मजबूत करने की तैयारी कर रही है. लेकिन सिक्किम की जो दूसरी प्राकृतिक समस्याएं हैं, सर्वप्रथम उनका निदान जरूरी है. क्योंकि तीस्ता त्रासदी और NH10 बंद हो जाने से सिक्किम को सर्वाधिक नुकसान होता है. सिक्किम के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि NH-10 बंद होने से सिक्किम को रोजाना 100 करोड रुपए का घाटा होता है.
अब समय आ गया है कि सिक्किम के जरिए चीन का मुकाबला करने के लिए सिक्किम को सब तरह से मजबूत और सुरक्षित बनाया जाए. सिक्किम की जीवन रेखा NH-10 खुल चुकी है. NH-10 को केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसी अपने हाथ में ले चुकी है. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में नेशनल हाईवे 10 एक मजबूत स्थिति में होगी. जहां तक तीस्ता त्रासदी की बात है, कांग्रेस नेता जय राम रमेश के सुझावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. जय राम रमेश ने तीस्ता नदी में जल विद्युत परियोजना की तीव्र आलोचना की थी और इसे पर्यावरणीय आपदा बताया था.
जय राम रमेश ने दीपू डांडा में हुए भूस्खलन के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी थी. जिसमें डिकचू में एनएचपीसी हाइड्रो पावर स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचा था. हाइड्रो पावर स्टेशन को 2023 में तीस्ता में आई बाढ़ के दौरान भी भारी नुकसान पहुंचा था. हालांकि सिक्किम सरकार की कुछ अपनी समस्याएं हैं. सरकार अपना विकास मॉडल जारी रखना चाहती है. सिक्किम सरकार को लगता है कि पनबिजली परियोजनाएं सिक्किम के लिए वरदान है. अभिशाप नहीं है. हालांकि यह मसला सिक्किम सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय और चर्चा पर ही निर्भर करता है.
बहर हाल सिक्किम को लेकर राज्य और केंद्र के स्तर पर एक सकारात्मक रणनीति तैयार की जा रही है. आने वाले समय में इस सकारात्मक रणनीति का खुलासा भी हो जाएगा. परंतु क्या सिक्किम सरकार तीस्ता के डैम पर कोई फैसला ले सकेगी अथवा जय राम रमेश के विचारों पर आकलन करेगी? फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. देखना होगा कि भविष्य में सिक्किम सरकार केंद्र के साथ मिलकर चीन का मुकाबला करने के साथ-साथ सिक्किम की प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करने के लिए क्या कदम उठाती है.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)