सिलीगुड़ी के ऑटो वाले जब भी सड़क पर सवारी उठाते टोटो वालों को देखते हैं तो वे जल भून जाते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि ऑटो में बैठने आए यात्री पीछे से आते टोटो में ही बैठ जाते हैं. कभी-कभी इस बात को लेकर टोटो और आटोवालों में जमकर बहस होने लगती है. उनके बीच गाली गलौज होना आम बात है. यही कारण है कि आटो वाले आजकल टोटो वालों के पीछे पड़ चुके हैं. जब भी उन्हें प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा प्रदर्शन करना होता है, उसमें टोटो की बात जरूर करेंगे और प्रशासन से टोटो को बंद करने की बात कहना भी नहीं भूलते. कुछ ऐसा ही विचार टोटो वाले भी ऑटो वालों के खिलाफ रखते हैं.
सिलीगुड़ी के ऑटो चालक ट्रैफिक, पुलिस और प्रशासन से खासा नाराज हैं. आजकल ट्रैफिक वाले ऑटो चालकों को स्टैंड पर गाड़ियां लगाने नहीं दे रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई ट्रैफिक नियंत्रण की दिशा में की जा रही है, परंतु उनका कहना है कि अगर स्टैंड पर ऑटो नहीं लगाएंगे तो क्या सड़कों पर लगाएंगे? ऑटो चालक सबसे ज्यादा प्रशासन पर खफा है. क्योंकि उन्हें लगता है कि प्रशासन ने टोटो पर तो कोई पाबंदी नहीं लगाई जबकि सिलीगुड़ी में गिने-चुने चल रहे ऑटो के पीछे पड़ गया हैं.
इन ऑटो चालकों का स्पष्ट कहना है कि प्रशासन टोटो पर तो कोई कार्रवाई नहीं करता. जबकि आटो को हमेशा अपना निशाना बनाता है.ऐसा हम होने नहीं देंगे. पिछले दो दिनों से ट्रैफिक पुलिस सड़क पर गुजरती यात्री गाड़ियों को ज्यादा समय तक स्टैंड पर रोकने नहीं देती. एयर व्यू मोड से लेकर सेवक मोड, हाशमी चौक और कई इलाकों में ट्रैफिक पुलिस की ओर से वहां बैरियर लगा दिया गया है जहां ऑटो वाले अपनी गाड़ियां रोक कर सवारियां उठाते हैं. अब वहां बैरियर लगा होने से वे गाड़ियां नहीं लगा पाएंगे. ऐसे में जब सवारी ही नहीं मिलेगी, तो वे गाड़ियां चला कर क्या करेंगे?
सिलीगुड़ी में ऐसे कई मौके आए, जब ऑटो चालक संघ की ओर से टोटो पर गुस्सा उतारा गया. प्रशासन पर टोटो से मिली भगत का आरोप लगाया गया. शुक्रवार को भी सिलीगुड़ी में यह नजारा देखा गया. जब ट्रैफिक पुलिस की ओर से एयर व्यू मोड और सेवक मोड पर ऑटो चालकों को गाड़ी लगाने नहीं दिया गया.इसके बाद उन्होंने प्रशासन पर अपनी भड़ास निकाली और टोटो को तुरंत बंद करने की मांग की. ऑटो चालकों का आरोप है कि पुलिस उन्हें बेवजह परेशान करती है. दिन भर गाड़ियां चलाते हैं. अगर ₹500 भी कमाई नहीं हो, तो वे मालिक को क्या देंगे और अपने घर का खर्च कैसे चलाएंगे.
ट्रैफिक पुलिस की ओर से कहा जा रहा है कि किसी भी ऑटो चालक को परेशान नहीं किया जा रहा है. सड़क पर अनावश्यक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के द्वारा कदम उठाए जा रहे है. वे किसी भी ऑटो वाले के खिलाफ नहीं है. लेकिन मौजूदा समस्या यह है कि सिलीगुड़ी में ट्रैफिक नियंत्रण एक चुनौती पूर्ण समस्या बन गई है.इसके लिए प्रशासन कोई भी सख्त कदम उठा सकता है. उधर ऑटो चालकों ने स्पष्ट कह दिया है कि अगर प्रशासन के द्वारा टोटो चालकों को गाड़ी चलाने से नहीं रोका गया तो वह आंदोलन करेंगे.
सिलीगुड़ी में हजारों टोटो चल रहे हैं. जबकि ऑटो की संख्या 500 से 700 होगी. टोटो के कारण ऑटो चालकों को सवारी नहीं मिल रही है. इसके अलावा रास्ता जाम का प्रमुख कारण भी टोटो है. इसलिए उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द सिलीगुड़ी की सड़कों से टोटो को हटाया जाए. सूत्र बता रहे हैं कि प्रशासन ने टोटो पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है. बहुत जल्द कोई चौंकाने वाली खबर मिल सकती है. बात कानों में जा रही है कि अगले महीने से सिलीगुड़ी की मुख्य सड़कों पर टोटो को चलने नहीं दिया जाएगा.
उधर टोटो वाले ऑटो वालों की बुराई करते हुए कहते हैं कि सब जगह आटो नहीं चल सकते. दिनों दिन यात्रियों की संख्या बढ़ रही है.अगर टोटो नहीं चलेंगे तो ऑटो वालों की मनमानी बढ़ जाएगी. यह सवारी के हक में अच्छा नहीं होगा. टोटो वालों का साफ कहना है कि रोजी रोटी सबकी है. चाहे ऑटो वाले हो या टोटो वाले.सब अपनी किस्मत से कमाते हैं. रही बात ट्रैफिक नियंत्रण की तो प्रशासन को चाहिए कि सर्वप्रथम बाहर से सिलीगुड़ी टोटो चलाने वालों की धर पकड़ करे. उनका आरोप है कि इस्लामपुर, मालदा तक से लोग सिलीगुड़ी टोटो चलाने के लिए आते हैं.
कहीं ना कहीं उनके बयानों में सच्चाई भी झलकती है. क्योंकि अगर टोटो हो अथवा ऑटो, सड़कों पर चलने नहीं दिया गया तो उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. रही बात कि सिलीगुड़ी के बाहर के क्षेत्रो जैसे इस्लामपुर, विधान नगर, मालदा, बालूरघाट इत्यादि क्षेत्रों से सिलीगुड़ी में गाड़ी चला कर जीविका कमाने वाले लोग हैं, तो प्रशासन को उनके खिलाफ भी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. क्योंकि किसी भी शहर में जाकर रोजी-रोटी कमाने का व्यक्ति को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है.
बेहतर रहेगा कि प्रशासन किसी भी यात्री वाहन के लिए ठोस नियम तैयार करे और नियमों के दायरे में ही उन्हें रहने का दिशा निर्देश जारी करे. वाहनों के लिए जगह-जगह स्टैंड की पहचान हो. बीच रास्ते में यात्री वाहन नहीं रुके, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. इसके अलावा वैध वाहन को ही चलने की अनुमति मिले. अगर प्रशासन किसी को रोजी-रोटी नहीं दे सकता, तो उसे किसी से रोजी-रोटी छिनने भी अधिकार नहीं है.
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