सिलीगुड़ी: आज कोजागरी लक्खी पूजा है और घर की महिलाएं उत्सुकता के साथ माँ लक्खी की स्वागत की तैयारियां कर रही है | बता दे कि,कल से ही बाजारों में कोजागरा लक्खी पूजा को लेकर रौनक बनी हुई है | मान्यता है कि, शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी लक्खी पूजा की जाती है | देखा जाए तो हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की कई मान्यताएं हैं | आश्विन माह पूर्णिमा तिथि पर शरद पूर्णिमा मनाई जाती है | शास्त्रों में कहा गया है कि, रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है और फिर इसका सेवन करने से साधक को शांति प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा इस दिन दीपक जलाने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। दीपावली से पहले शरद पूर्णिमा में देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है और यह पूजा पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा में मुख्य रूप से मनाया जाता है | बता दे कि, कोजागरी लक्खी पूजा के दिन महिलाएं दिनभर व्रत रखती है और माँ लक्खी के स्वागत के लिए घर की साफ सफाई के साथ सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनती है और उन रंगोलियों में विशेष कर माँ लक्खी के पैरों के निशाना बनाने का भी रिवाज है और घर के द्वार पर इस तरह की रंगोलियां देख कर माँ लक्खी प्रसन्न होती है |
इस दिन माँ लक्खी को विभिन्न तरह के पकवानों के भोग लगाए जाते हैं, जिसमें नारियल के लड्डू, खोया, नारियल और विभिन्न तरह के मिष्ठान और फल शामिल रहते हैं | बता दे कि आज रात 8.45 मिनट से पूर्णिमा की तिथि शुरू हो जाएगी | कोजागरी लक्खी पूजा को लेकर बाजारों में खरीदारों की भीड़ बनी हुई है | बाजारों में माँ लक्खी की सुंदर सुंदर प्रतिमाएं सजी हुई है |
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)