December 8, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

अब विद्यार्थियों से सवाल नहीं पूछे जाएंगे कि मुगल शासक कौन थे!

सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सिलीगुड़ी और प्रदेश के स्कूलों में 12वीं कक्षा के बच्चों से विद्यालय में नहीं पूछे जाएंगे यह सवाल कि मुगल शासक कौन थे! और ना ही परीक्षा में मुगल काल से संबंधित इस तरह के प्रश्न आएंगे. क्योंकि अब मुगल शासकों के इतिहास का एनसीईआरटी की पुस्तकों में दि एंड कर दिया गया है.

एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग काफी समय से की जा रही थी. आरोप लगाया जा रहा था कि कांग्रेस तथा वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया था. इसमें देश पर 300 साल राज करने वाले मुगलों का गुणगान किया गया था जबकि भारतीय सनातनी राजाओं के गौरवशाली इतिहास को जानबूझकर गायब कर दिया गया था. इसी को सुधारने के लिए लंबे समय से मांग उठ रही थी.

आखिरकार एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के लिए इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिंदी के पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए इतिहास की पुस्तक से मुगल साम्राज्य से जुड़ा अध्याय हटा दिया. क्या क्या बदलाव किया गया है, इस पर एक नजर डालते हैं. इतिहास पार्ट टू से मुगल दरबार और शासकों तथा उनके इतिहास से संबंधित अध्यायों को हटाया गया है. जबकि नागरिक शास्त्र की पुस्तक से वर्ल्ड पॉलिटिक्स द कोल्ड वार एरा जैसे अध्याय हटाए गए हैं. राजनीति की पुस्तक से जन आंदोलन का उदय तथा एक दल के प्रभुत्व का दौर भी हटा दिया गया है.

11वीं की पुस्तक थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री से सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और द इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन आदि अध्याय भी हटा दिए गए हैं. जबकि हिंदी के पाठ्यक्रम में हिंदी आरोह भाग 2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल, अंतरा भाग 2 से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के ‘गीत गाने दो मुझे’ को हटाया गया है. इसके अलावा विष्णु खरे की कविता एक कम और सत्य को भी पाठ्य पुस्तक से हटाया गया है.

इसी शैक्षणिक सत्र से पश्चिम बंगाल समेत देशभर के उन सभी स्कूलों तथा छात्रों के लिए नया बदलाव लागू हो जाएगा, जहां एनसीईआरटी की पुस्तकें पाठ्यक्रम का हिस्सा है. सीबीएसई के अलावा उत्तर प्रदेश बोर्ड में भी यह लागू कर दिया गया है. 10 वीं की पुस्तक लोकतांत्रिक राजनीति 2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन ,लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे अध्यायों को भी हटा दिया गया है.

हालांकि सी बी एस ई के स्कूलों के बच्चों पर इस बदलाव का कोई असर पड़ेगा, ऐसा दिखता नहीं है. परंतु ऐसे बदलाव का आने वाले समय में राजनीतिकरण किया जा सकता है. क्योंकि पुस्तकों से जिन अध्यायों को हटाया गया है, उनका संबंध कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी पार्टी और भारतीय जनसंघ से जुड़ा हुआ है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *