October 11, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी में शौचालय और टॉयलेट की कमी का द॔श झेल रही महिलाएं!

सिलीगुड़ी शहर में साफ सफाई और स्वच्छता का आलम क्या है, यह तो बताने की जरूरत नहीं है.परंतु यहां टॉयलेट की बात करना जरूरी हो गया है. क्योंकि अक्सर सिलीगुड़ी में टॉयलेट की पर्याप्त व्यवस्था ना होने का सिलीगुड़ी नगर निगम पर अक्सर आरोप लगता रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि सिलीगुड़ी शहर में बढ़ती आबादी के दृष्टिकोण से महिला टॉयलेट अथवा पुरुष टॉयलेट की पर्याप्त व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है.

शहर में जितने भी गिने-चुने टॉयलेट अथवा शौचालय हैं, वह काफी पहले से ही स्थित हैं. आश्चर्य की बात यह है कि सिलीगुड़ी शहर के अधिकांश लोगों को इनके बारे में पता तक नहीं है. इससे कभी-कभी स्त्री पुरुषों को अजीब सी स्थिति का सामना करना पड़ जाता है, जब उन्हें वाशरूम की तलब होती है. खासकर स्त्रियों के मामले में. इस स्थिति में उन्हें या तो इलाके के लोगों से पूछना पड़ता है या फिर वापस घर लौट जाना पड़ता है.

हालांकि सिलीगुड़ी नगर निगम लगातार दावा करती रही है कि शहर में टॉयलेट की कमी नहीं है. हो सकता है कि इसमें कुछ सच्चाई भी हो. परंतु लोगों को इसकी जानकारी तो होनी ही चाहिए. वास्तव में सिलीगुड़ी शहर में अधिकांश टॉयलेट और शौचालय ऐसी जगह पर स्थित है, जिनके बारे में स्थानीय निवासियों को ही पता होता है.दूर के लोग उनके बारे में जानते नहीं, जब तक कि इसकी आवश्यकता नहीं होती. मुख्य सड़क पर स्थित ना होने के कारण लोगों को उसके बारे में जानकारी नहीं होती. पहले से ही बनाए गए टॉयलेट बाजार की गलियों में स्थित है या फिर ऐसी जगह पर जहां बगैर पता किए आप पहुंच नहीं पाते हैं.

उदाहरण के लिए विधान मार्केट, हिल कार्ट रोड ,महावीर स्थान, नया बाजार तथा विभिन्न बाजारों में स्थित शौचालय. एकाध को छोड़कर लगभग सभी टॉयलेट बाजार के अंदर गलियों में स्थित है. सिलीगुड़ी नगर निगम द्वारा हाल के दिनों में जिन टॉयलेट, शौचालय का निर्माण किया गया है, वह तो सड़क पर स्थित है और इसलिए इनके बारे में लोगों को जानकारी है. नए साल में सिलीगुड़ी नगर निगम को स्वच्छता और साफ सफाई के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में नए-नए टॉयलेट का निर्माण करने की जरूरत है, जो लोगों की नजर में आए. इसके साथ ही पहले से स्थापित पुराने टॉयलेट तक पहुंचने के लिए सड़क पर इंडिकेटर अथवा संकेतक चिन्हों से भी दर्शाने की जरूरत है.

सिलीगुड़ी में टॉयलेट की क्या अवस्था है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि लोगों को मजबूरी में सड़क के किनारे ही जाना पड़ता है. इससे सड़क गंदी हो जाती है और दूर-दूर तक पेशाब की गंध आते जाते लोगों को झेलना पड़ता है. सबसे ज्यादा समस्या स्त्रियों को लेकर है. शहर के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नए साल में सिलीगुड़ी नगर निगम स्त्री पुरुषों को ध्यान में रखकर अधिक से अधिक वाशरूम और शौचालय का निर्माण कराए.

सिलीगुड़ी में कोर्ट कचहरी और अन्य सार्वजनिक स्थानों में भी महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है. हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि देश की 26% अदालतों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है. अदालत, जो देश के बाकी सरकारी संस्थानों के मुकाबले ज्यादा समृद्ध और सुविधा संपन्न होती है, जब उनका यह हाल है तो बाकी जगहों का क्या हाल होगा.

महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं होने से कभी-कभी महिला की जान पर बन आती है. इसका उदाहरण तमिलनाडु की युवती शरण्या थी. जिसे नई नई नौकरी लगी थी. दफ्तर में महिला टॉयलेट तक नहीं था. शरण्या और उसकी महिला सहकर्मी टॉयलेट के लिए एक under-construction इमारत में जाया करते थे. एक दिन गलती से उसका पांव फिसला और वह सेप्टिक टैंक में जा गिरी, जहां उसकी मौत हो गई.

इसी तरह से मुंबई के फ्लोरा फाउंटेन इलाके में एक गैर सरकारी दफ्तर में काम करने वाली श्रद्धा के दफ्तर में महिला टॉयलेट नहीं था. उसे ऑफिस से लगभग आधा किलोमीटर दूर एक इमारत में जाना पड़ता था. बार बार बाथरूम जाने से बचने के लिए श्रद्धा ने पानी पीना ही छोड़ दिया. नतीजा यह हुआ कि उसके शरीर में पानी की कमी पड़ गई…इस तरह की अनेक घटनाएं महिलाओं के साथ होती रहती है. कम से कम सिलीगुड़ी में महिलाओं को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े, ऐसे में सिलीगुड़ी नगर निगम और संबंधित इकाइयों को चाहिए कि यहां शहर में पर्याप्त संख्या में महिला टॉयलेट के साथ-साथ पुरुषों के लिए भी शौचालय अथवा टॉयलेट की व्यवस्था हो. इससे शहर में सफाई और स्वच्छता बनी रहेगी, साथ ही महिलाओं को दुष्कर स्थितियों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा.

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